पहले यह बताना बेहतर होगा कि 1896 और 1900 के ओलिम्पिक खेलों में गोल्ड मेडल नहीं दिए गए। उनमें चाँदी और ताँबे के मेडल क्रमशः विजेता और उप-विजेता को दिए गए। 1904 में अमेरिका के मिज़ूरी ओलिम्पिक में तीन मेडल का चलन शुरू हुआ। ओलिम्पिक के गोल्ड मेडल का आकार, डिजाइन और वज़न बदलता रहता है। लंदन ओलिम्पिक में काफी बड़े आकार के मेडल दिए गए जो 85 मिमी व्यास के थे। इनकी मोटाई 7 मिमी थी। सन 2016 में ब्राज़ील के रियो डि जेनेरो में होने वाले ओलिम्पिक खेलों के लिए 4,924 मेडल तैयार करने का काम वहाँ के सिक्के ढालने वाली सरकारी टकसाल को यह काम दिया गया है। अभी मेडल के साइज़ और वज़न की सूचना नहीं है। मेडल तैयार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक कमेटी के मोटे निर्देशों के अनुसार सोने का मेडल भी चाँदी में ढाला जाता है और उसके ऊपर लगभग 6 ग्राम सोने की प्लेटिंग होती है। चाँदी का मेडल .925 शुद्धता की चाँदी को होता है और कांस्य पदक में ताँबे, टिन और ज़स्ते की मिलावट होती है।
क्या रेलगाड़ी के इंजन में टॉयलेट होते हैं?
भारतीय रेलवे के इंजनों में अभी तक टॉयलेट नहीं होते थे। पर अब अमेरिकन कम्पनी इलेक्ट्रोमोटिव डीजल और भारतीय रेलवे के अनुसंधान, विकास एवं अभिकल्प संस्थान आरडीएसओ ने मिलकर डब्ल्यूडीजी 5 नाम से जो इंजन तैयार किया है उसमें एयरकंडीशनिंग और टॉयलेट की सुविधाएं हैं जो इंजन चलाने वालों की दिक्कतों को कम करेंगे। अभी बड़े स्तर पर इंजनों में टॉयलेट नहीं लगे हैं। भारतीय रेलगाड़ियों के सवारी डिब्बों में अभी तक ओपन टाइप टॉयलेट होते हैं जो ट्रैक को खराब करते हैं। पिछले दो साल से रेलवे बजट में कोचों में बायो टॉयलेट लगाने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह काम अभी धीमी गति से चल रहा है।
केसर क्या होता है?
केसर वनस्पति है और उसकी खेती होती है। भारत की केसर दुनिया में सबसे अच्छी मानी जाती है। भारत में केवल जम्मू-कश्मीर में ही केसर की खेती होती है। कश्मीर के अंवतीपुरा के पंपोर और जम्मू संभाग के किश्तवाड़ इलाके में केसर की खेती की जाती है। केसर बोने के लिए खास जमीन की आवश्यकता होती है। ऐसी जमीन जहां बर्फ पड़ती हो और जमीन में नमी मौजूद रहती हो। जिस जमीन पर केसर बोयी जाती है वहां कोई और खेती नहीं की जा सकती। कारण, केसर का बीज हमेशा जमीन के अंदर ही रहता है। इस बीज को निकाल कर उसमे दवाइयाँ और खाद मिलाकर फिर से बोया जाता है। यह बुआई जुलाई-अगस्त में की जाती है। केसर के फूल अक्टूबर-नवंबर में खिलने लगते हैं। जमीन में जितनी ज्यादा नमी होगी, केसर की पैदावार भी उतनी ही ज्यादा होगी। केसर का फूल नीले रंग का होता है। नीले फूल के भीतर पराग की पांच पंखुड़ियां होती हैं। इनमें तीन केसरिया रंग की और बीच की दो पंखुड़ियां पीले रंग की। केसरिया रंग की पंखुड़िया ही असली केसर कही जाती हैं,।
मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी का नाम क्या है?
मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स है, जो कान में होती है। उसकी लंबाई 2।5 मिलीमीटर होती है। सबसे लम्बी हड्डी फीमर बोन यानी जाँघ की हड्डी 19-20 इंच तक होती है।राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
interesting post.....thanks for sharing the information....
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