‘स्मार्ट सिटी’ क्या होता है? हमारे देश में इसकी क्या उपयोगिता है?
मंजुलता, 115 जी., मालवीय रोड, जॉर्ज टाउन, इलाहाबाद-211002
स्मार्टफोन और
स्मार्ट टीवी की तरह स्मार्ट सिटी का रिश्ता मूलतः तकनीक से है। यह इक्कीसवीं सदी
की अवधारणा है, जो अभी शक्ल ले ही रही है। किसी भी शहर की रूपरेखा में प्रशासन, ऊर्जा-पानी, भवन, रोज़गार, पर्यटन, यातायात, स्वास्थ्य, शिक्षा और
सुरक्षा जैसी बातें खास होती हैं। हम स्मार्ट सिटी को इन बिंदुओं की कसौटी पर परख
सकते हैं। इन कार्यों में यदि हम तकनीक का इस्तेमाल करके जहाँ बेहतर लाभ ले पाएं
और नियंत्रण-मॉनिटरिंग कर पाएं वही है स्मार्ट सिटी। भविष्य के शहर में बिजली के
ग्रिड से लेकर सीवर पाइप, सड़कें, कारें और इमारतें हर चीज़ नेटवर्क से जुड़ी
होगी। इमारत अपने आप बिजली बंद करेगी, कारें खुद अपने लिए
पार्किंग ढूंढेंगी। यहां तक कि कूड़ेदान भी स्मार्ट होगा। ये शहर पर्यावरण के
लिहाज से भी सुरक्षित होंगे।
ये शहर संस्कृति
विहीन नहीं होंगे, इनमें कला दीर्घाएं होंगी, थिएटर होंगे और पुस्तकालय भी होंगे,
जो तकनीक के जरिए सीधे नागरिक से जुड़े होंगे। भारत जैसे देश में जहाँ शहरीकरण
अपने शुरुआती दैर में है, इसका मतलब है नई तकनीक और सुविधाओं से लैस आधुनिक शहर। एक
शहर, जो अपने निवासियों को
पूरी सहूलियत,
सुविधाएं और अवसर
दे पाए, वही सिटी स्मार्ट है। सिद्धांततः
इनमें समावेशी विकास के अवसर भी होंगे। झुग्गी-झोपड़ियाँ नहीं होंगी। पानी, बिजली
की बरबादी नहीं होगी। अक्षय ऊर्जा, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक तकनीक का ज्यादा से
ज्यादा इस्तेमाल होगा। सूचना और संचार की यह तकनीक सरकारी काम-काज का जरिया भी
होगी। ऐसे शहर पर्यावरण, सफाई और सार्वजनिक स्वास्थ्य, परिवहन और शिक्षा सुविधाओं
में भी सामान्य शहरों से बेहतर, तेज और कार्य-कुशल होंगे।
दुनिया में
एम्स्टर्डम (हॉलैंड), बार्सिलोना (स्पेन), स्टॉकहोम (स्वीडन), सुवान और सोल (द
कोरिया), वॉटरलू, ओंटारियो और कैलगैरी (कनाडा), न्यूयॉर्क, ला ग्रेंज और जॉर्जिया
(यूएसए), ग्लासगो ( स्कॉटलैंड, यूके), ताइपेह (ताइवान), मिताका (जापान) और
सिंगापुर जैसे शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिशें हों रही हैं। स्मार्ट सिटी में
पर्याप्त बिजली,
पानी, आवास, परिवहन, स्वास्थ्य सेवाएं
तथा रोज़गार होंगे। स्मार्ट शहर सड़कों के कुशल इस्तेमाल को बढ़ा सकते हैं। वे
लोगों को सड़कों पर कार अथवा अन्य किसी वाहन के बजाय पैदल यात्रा अथवा साइकिल से
चलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। व्यक्तिगत वाहनों को हतोत्साहित करके दक्षिण
कोरिया की राजधानी सोल ने सड़कों के
विस्तार पर रोक लगाई है। बार्सिलोना में ऐसी एकीकृत प्रणाली बनाई गई है ताकि
यात्रा की दूरी कम से कम हो।
भारत में एक
रुपये का नोट भारत सरकार द्वारा तथा अन्य बड़े नोट यानी 10-20 रु. आदि के नोट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी क्यों किए
जाते हैं? इस प्रथा के चलन का कारण
क्या है, जबकि दो अलग-अलग स्थानों
पर छपाई एवं प्रबंधन व्यय बढ़ता है। कृपया बताएं कि इसका कारण एवं नियम क्या है?
उषा गुप्ता, महाराजा रेजीडेंसी, फ्लैट नं.-102, विंचूरकर की गोठ, ग्वालियर-474001
रिज़र्व बैंक ऑफ
इंडिया एक्ट 1934 के अंतर्गत बैंकनोट के मूल्य के बराबर धन देने का दायित्व
रिज़र्व बैंक का है। रिज़र्व बैंक के गवर्नर की और से धारक को नोट में वर्णित राशि
देने का वचन दिया जाता है। इंडियन कॉइनेज एक्ट 2011 के अनुसार देश की मुद्रा
का वितरण रिज़र्व बैंक करता है। पर इन नियमों के तहत एक रुपए के नोट या सिक्के
ज़ारी करने का दायित्व भारत सरकार का है। रिज़र्व बैंक के पास 5,10,20,50,100,500
और 1000 रुपए को नोट ज़ारी करने का अधिकार है। इसके अलावा भारत सरकार के पास किसी
भी मूल्य का सिक्का ज़ारी करने का अधिकार है। इस माने में देखें तो भारत सरकार
रुपया ज़ारी करती है। रुपया अपने आप में सम-मूल्य ‘सम्पदा’ है या सम्पूर्ण मुद्रा है, जो हमारी करेंसी की
मूल इकाई भी है। इसके तहत एक रुपए का नोट भी मुद्रा या कॉइन है। उसपर सिक्के की
प्रतिकृति होती है। सरकार 1000 रुपए तक के सिक्के भी जारी कर सकती है। दूसरी ओर रिज़र्व
बैंक कागजी मुद्रा का सम-मूल्य देने का वचन देता है। वे वचन-पत्र (प्रॉमिज़री नोट)
हैं, जबकि सिक्का मुद्रा है।
हाल में इंडियन
कॉइनेज अधिनियम 2011 के पास होने के बाद एक भ्रम पैदा हुआ कि सरकार एक रुपए का
करेंसी नोट नहीं निकाल सकती। सन 1994 के बाद से सरकार ने एक रुपए का नोट छापना बंद
कर दिया था। सरकार इस साल अब एक रुपए का नया नोट जारी कर रही है। नोटों को छापने
की अलग व्यवस्था नहीं है। भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम
लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) बैंक नोट, सिक्कों, कोर्ट
फीस स्टाम्प, सिक्योरिटी पेपर, डाक के लिफाफों वगैरह की छपाई करता है। इसके अधीन
सिक्के ढालने वाली टकसालें भी हैं।
सामान खरीदने के साथ
गारंटी/वारंटी मिलती है। दोनों में क्या अंतर है?
नेहा अग्रवाल, टेलीफोन एक्सचेंज के पास, राजगढ़, जिला: अलवर-301408
सामान्य अर्थ में
गारंटी है किसी वस्तु की पूरी जिम्मेदारी। वह खराब हो तो या तो दुरुस्त करने या पूरी
तरह बदलने का आश्वासन। वॉरंटी का मतलब है एक कीमत लेकर उस वस्तु को कारगर बनाए
रखने का वादा। इसके तहत एक खास अवधि तक उस वस्तु, मशीनरी या उपकरण में आई खराबी को
दूर करने का आश्वासन दिया जाता है। मसलन किसी वॉटर हीटर में पानी गरम करने वाले
हीटिंग एलीमेंट पर चार साल तक और इनर टैंक पर सात साल की गारंटी होने का मतलब है
उस अवधि में खराबी होने पर उसे बदला जाएगा। एक ही उपकरण के अलग-अलग अंगों को लेकर
अलग-अलग वादे हो सकते हैं। यही वॉरंटी है।
थॉमस कप का संबंध
किस खेल से है? तथा इसे सर्वप्रथम किसे दिया गया?
खुशी कुमारी
द्वारा: सुधीर कुमार, रेलवे रोड, साड़ी सुहाग, अलीगढ़-202001
थॉमस कप बैडमिंटन की पुरुष
टीम चैम्पियनशिप है। इसे विश्व चैम्पियनशिप माना जा सकता है। इसका सुझाव अपने समय
के श्रेष्ठ ब्रिटिश खिलाड़ी सर जॉर्ज एलन टॉमस या थॉमस ने दिया था। उनके नाम पर ही
इस प्रतियोगिता का नाम है। पहली प्रतियोगिता सन 1948-49 में हुई थी। पहले यह हर
तीन साल में होती थी, पर सन 1982 से यह हर दो साल में होने लगी है। सबसे पहली
चैम्पियनशिप मलेशिया ने जीती।
कादम्बिनी के जुलाई 2015 अंक में प्रकाशित
अच्छा लिखा है आपने. समग्र जानकारी.
ReplyDelete