Thursday, November 19, 2015

किसी दवा की एक्सपायरी डेट कैसे तय होती है?

किसी भी दवा की समय सीमा एक वैज्ञानिक पद्धति से तय की जाती है. इन दवाइयों को सामान्य से कठिन परिस्थितियों में रखा जाता है जैसे 75 आरएच से अधिक आर्द्रता या 40 डिग्री से अधिक तापमान. फिर हर महीने या हर हफ़्ते उनकी प्रभावशीलता की जांच की जाती है. इसी आधार पर यह तय किया जाता है कि अमुक दवा की समय सीमा डेढ़ साल हो, दो साल या तीन साल. जब दवा बाज़ार में आ जाती है तो फिर उसका अध्ययन किया जाता है और उसकी प्रभावशीलता के अनुसार ही उसकी समय सीमा बढ़ाई जाती है.
भारी पानी (हैवी वॉटर) क्या होता है?
भारी पानी भी पानी है, पर खास तरह का. पानी की रासायनिक संरचना हाइड्रोजन के दो और ऑक्सीजन के एक परमाणु के मिलने से होती है. इसे कहते हैं एच2ओ. पर भारी पानी को कहते हैं डी2ओ. इसमें डी है हाइड्रोजन का आइसोटोप (समस्थानिक) ड्यूडीरियम. हाइड्रोजन के तीन प्रकार के आइसोटोप होते हैं. एक, प्रोटीयम, जो सामान्य पानी में होता है. इसे लाइट हाइड्रोजन कहते हैं. दूसरा है ड्यूटीरियम, जिसे भारी हाइड्रोजन कहते हैं और तीसरा है टाइरियम. भारी पानी को ड्यूटीरियम ऑक्साइड के नाम से भी जाना जाता है. इसी तरह ऑक्सीजन के भी तीन प्रकार के समस्थानिक या आइसोटोप होते हैं. इनके मिलने से सोलह प्रकार के पानी बनते हैं. सामान्यत: हम जिस पानी का इस्तेमाल करते हैं, उसमें भी भारी पानी हो सकता है, पर उसकी मात्रा बहुत कम होती है. एक टन में तकरीबन डेढ़ सौ ग्राम. आम पानी और भारी पानी के भौतिक और रासायनिक गुणधर्मों में काफी समानता है, लेकिन नाभिकीय गुणधर्मों में काफी फर्क है. भारी पानी के गुणधर्म इसे नाभिकीय रिएक्टर में मंदक यानी कूलेंट के रूप में उपयोगी बनाते हैं. कूलेंट के रूप में हल्के पानी के अलावा बेरीलियम और भारी पानी का इस्तेमाल होता है. भारी पानी इनमें सबसे बेहतर है.

ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) की ओपनिंग धुन किस संगीतकार ने बनाई और कब?
इस बारे में कई तरह की बातें हैं. कुछ लोगों की मान्यता है कि इसे ठाकुर बलवंत सिंह ने बनाया. कुछ मानते हैं कि पं रविशंकर ने इसकी रचना की और कुछ लोग वॉयलिन वादक वीजी जोग को इसका रचेता मानते हैं. सम्भव है इसमें इन सबका योगदान हो, पर इसकी रचना का श्रेय चेकोस्लोवाकिया के बोहीमिया इलाके के संगीतकार वॉल्टर कॉफमैन को जाता है. इसकी रचना तीस के दशक में हुई होगी. कम से कम 1936 से यह अस्तित्व में है. वॉल्टर कॉफमैन उस वक्त मुम्बई में ऑल इंडिया रेडियो के पश्चिमी संगीत विभाग में कम्पोज़र का काम कर रहे थे. इस धुन में तानपूरा, वायोला और वॉयलिन का इस्तेमाल हुआ है. वॉल्टर कॉफमैन को यूरोप की राजनीतिक स्थितियों के कारण घर से बाहर आना पड़ा. वे अंतत: अमेरिका में बसे, पर भारत में भी रहे और यहाँ के संगीत का उन्होंने अध्ययन किया. कहा जाता है कि उनके एक सोनाटा यानी बंदिश या रचना में यह धुन भी थी. कॉफमैन ने इसमें कुछ बदलाव भी किया. इस रचना में वॉयलिन ज़ुबिन मेहता के पिता मेहली मेहता ने बजाया है. कुछ लोगों का कहना है कि यह राग शिवरंजिनी में निबद्ध है.

पुनर्विचार याचिका क्या है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 137 और 145 के तहत अपीलीय अदालतों यानी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के बारे में कोई पक्ष पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है. यह याचिका अदालत के निर्णय के बाद तीस दिन के भीतर दाखिल की जानी चाहिए. पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद भी वह पक्ष उपचार याचिका या क्यूरेटिव पैटीशन दाखिल कर सकता है.

भारतीय शिल्प की नागर शैली क्या है?
हिन्दू शिल्प शास्त्र में कई तरह के शिखरों का विवरण मिलता है. इनमें नागर, द्रविड़ और वेसर प्रमुख हैं. नागर शैली आर्यावर्त की प्रतिनिधि शैली है जिसका प्रसार हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत माला तक देखा जा सकता है. वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है.

क्या हम अदालत में अपने मुकदमे की जिरह खुद कर सकते हैं?
हाँ आप जिरह कर सकते हैं. वकील की व्यवस्था आप की सहायता के लिए है. सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था है कि आप केवल अपने मामले की जिरह कर सकते हैं, किसी दूसरे की नहीं. उसके लिए वकील करना ही होगा. हाल में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने मामलों को अदालत के सामने रखने के लिए कुछ जरूरी निर्देश भी जारी किए हैं. यों जटिल मामलों में आपको वकील की जरूरत होगी. साथ ही आपको कानून और अदालती प्रक्रिया की समझ भी होनी चाहिए.

जेंडर स्टडीज़ क्या होती है?
जेंडर स्टडीज़ का सामान्य अर्थ लैंगिक मसलों का अध्ययन है. इसमें महिला और पुरुष दोनों का अध्ययन शामिल है, पर व्यावहारिक रूप से यह नारी विषयक अध्ययन है. इसमें कानून, राजनीति, साहित्य, समाज, संस्कृति, मनोविज्ञान, पारिवार जैसे तमाम मसले शामिल हैं. यह मल्टी डिसिप्लिनरी अध्ययन है.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

1 comment:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - कवियित्री निर्मला ठाकुर जी की प्रथम पुण्यतिथि में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...