Sunday, May 22, 2016

क्या होती है कौड़ी? इसका प्रयोग मुद्रा के रूप में कैसे और कब से है?

कौड़ी शंख की तरह एक प्रकार का छोटा समुद्री घोंघा है। कौड़ी को इतालवी भाषा में पोर्सेलाना कहा जाता है। अपनी चमक के कारण पोर्सलीन शब्द इसी पोर्सेलाना यानी कौड़ी से बना है। हमारे यहाँ शंख को लक्ष्मी का भाई माना जाता है। शंख की ही तरह कौड़ी भी समुद्र से उत्पन्न हुई है। इसलिए वह लक्ष्मी की बहन है। उसे लक्ष्मी का प्रतीक मानते हैं। चौपड़ खेलने के लिए पाँसो की जगह कौड़ी का इस्तेमाल होता है। दरवाज़े पर मांगलिक कौड़ी की झालरें लगाई जाती हैं। दीपावली के दिन चांदी के सिक्कों के साथ कौड़ी को भी दूध आदि से नहलाकर पूजा की जाती है। मुद्रा के चलन से पहले विनिमय में कौडि़यों का प्रयोग भी होता था। बीसवीं सदी के शुरुआती वर्षों में उत्तर भारत में एक पैसा सोलह कौड़ियों के बराबर था। 

मनुष्य ने व्यापार-व्यवसाय पहले शुरू किया फिर विनिमय के साधन खोजे। मुद्रा के रूप में कौड़ियों और सीपों वगैरह का इस्तेमाल दुनिया के प्रायः सभी समाजों में होता था। इसे शैल मनी कहते हैं। ईसा से तकरीबन डेढ़ हजार साल पहले चीन में कौड़ी का मुद्रा के तौर पर चलन शुरू होने के प्रमाण मिले हैं। कौड़ी को ही मुद्रा के रूप में क्यों चुना गया? कौड़ी में वे सारे गुण पाए गे जो अच्छी मुद्रा में होने चाहिए। इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। ये नष्ट नहीं होती। गिनने में आसानी रहती है। नकली कौड़ी नहीं बन सकती। आज भी अफ्रीका के कुछ भागों में कौड़ी की मुद्रा चलती है। जहाँ-जहाँ भी ऐतिहासिक खुदाइयां हुई हैं,वहां कौड़ी भी मिली हैं।

डिक्शनरी डॉट कॉम के अनुसार अंग्रेजी शब्द Cowrie भी कौड़ी से बना है। हिन्दी शब्दों की व्युत्पत्ति पर शोध करने वाले अजित वडनेरकर के अनुसार कौड़ी शब्द बना है संस्कृत के कपर्दिका से जिसका क्रम इस प्रकार रहा -कपर्दिका>कअडिका>कअडिआ>कौडिआ>कौड़ी। कौड़ी मुद्रा चीन के बाद भारत से होते हुए लगभग समूची दुनिया में प्रचलित हो गई। पुरानी मुद्रा व्यवस्था में कौड़ी सबसे छोटी इकाई थी। हमारे यहाँ उल्लेख मिलते हैं जिनके अनुसार दस कौड़ी मिलाकर एक दमड़ी बनती थी। एक गाय खरीदने के लिए पच्चीस हजार कौड़ियों की ज़रूरत पड़ती थी। कौड़ी की अल्प क्रय शक्ति को देखते हुए ही मुहावरों की दुनिया में कौड़ी तुच्छता के भाव में भी शामिल हो गई। दाम के छठे हिस्से को छदाम कहा गया जो छह+द्रम्म के मेल से बना। दो दमड़ी मिलाकर एक छदाम बनता था। अर्थात एक छदाम यानी बीस कौड़ी। हालांकि दाशमिक गणना पद्धति भारत की देन है, पर पुराने ज़माने में मुद्रा, माप, वज़न आदि की कई तरह की पद्धतियाँ चलती थीं। मन, सेर, पाव, छटांक, तोला, माशा और रत्ती वगैरह। इसी तरह सोलह आने या चौंसठ पैसे का रुपया। छदाम भी प्राचीन मुद्रा का ही नाम है। मौर्य काल में यूनानी मुद्रा द्रख्म का भारत में भी चलन था। संस्कृत में इसे ही द्रम्मम् कहा गया है जिसका अपभ्रंश हुआ दम्म, दाम , दमड़ी आदि। मुग़लकाल में एक रुपए का मूल्य चालीस दाम के बराबर थी। दाम के छठे हिस्से को छदाम कहा गया जो छह+द्रम्म के मेल से बना। दो दमड़ी मिलाकर एक छदाम बनता था। अर्थात एक छदाम यानी बीस कौड़ी।

राइट टु रिकॉल क्या है?
राइट टु रिकॉल का मतलब है चुने हुए प्रतिनिधि को वापस बुलाना। एथेंस के नगर लोकतंत्र में यह व्यवस्था थी। अमेरिका की राज्य क्रांति के मूल तत्वों में नागरिक के इस अधिकार का ज़िक्र भी है। पर संविधान में इसकी व्यवस्था नहीं है। फिर भी देश के 18 राज्यों में इसकी व्यवस्था है। सन 2011 में 150 रिकॉल चुनाव हुए, जिनमें 75 पदाधिकारियों को उनके पद से हटाया गया। ये रिकॉल सिटी काउंसिल, मेयर, स्कूल बोर्ड वगैरह में हुए हैं। कनाडा के ब्रिटिश कोलम्बिया प्रांत में इसकी व्यवस्था है। स्विट्ज़रलैंड में संघीय स्तर पर तो नहीं, पर छह कैंटनों में इसकी व्यवस्था है। वेनेजुएला में सन 2004 में राष्ट्रपति ह्यूगो शावेस को हटाने के लिए जनमत संग्रह हुआ था, जिसमें जनता ने उन्हें अपने पद पर बने रहने का आदेश दिया। भारत में भी इस अधिकार की माँग की जा रही है। इस अधिकार के साथ अनेक दिक्कतें जुड़ीं हैं। राजनीति में आरोप लगाना आसान होता है। भारत जैसे देश में हम इसका उदाहरण रोज-बरोज देख सकते हैं। इसके प्रयोग हमें गाँव या स्कूल के स्तर पर करके देखना चाहिए।


जेनेटिकली मोडीफाइड फूड्स क्या हैं?

जेनेटिकली मोडीफाइड या बायोटेक फूड्स से आशय उस खाद्य सामग्री से है, जिसे उगाने के लिए प्रयुक्त बीजों के डीएनए में बदलाव किया जाता है। यह बदलाव उपज बढ़ाने के अलावा रोगों से लड़ने, खास परिस्थितियों जैसे की ज्यादा पानी या कम पानी में फसल उगाने आदि के काम आता है। हमारे देश में अभी तक इस प्रकार की खाद्य सामग्री की अनुमति नहीं है।

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