यह बैंकों के धनराशि
लेन-देन की व्यवस्था है। भारतीय बैंक रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) और नेशनल
इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर प्रणाली के मार्फत काम करते हैं। आमतौर पर धनराशि का ट्रांसफर
इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विसेज (ईसीएस) के मार्फत होता है। इस व्यवस्था के तहत बैंकों
की ब्रांचों के इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड (आईएफएससी) परदान किए गए हैं। यह कोड
चेक पर लिखा रहता है। आम आदमी को जल्द और सही सेवा देने के लिए ही इन्हें बनाया गया
है।
प्लास्टिक सर्जरी
क्या है?
प्लास्टिक सर्जरी
का मतलब है, शरीर के किसी हिस्से को ठीक
करना या पुनर्जीवित करना। इसमें प्लास्टिक शब्द-ग्रीक शब्द "प्लास्टिको"
से आया है। ग्रीक में प्लास्टिको का अर्थ होता है बनाना या तैयार करना। प्लास्टिक सर्जरी में सर्जन शरीर के किसी हिस्से के सेल निकालकर दूसरे
हिस्से में जोड़ता है और वे स्वयं उस अंग की जगह ले लेते हैं। प्रायः दुर्घटना या किसी
कारण से अंग भंग होने पर इसका इस्तेमाल होता है। हाथ-पैर कट जाने, चेहरे, नाक, कान वगैरह में विकृति आने पर इसकी मदद ली जाती है। प्लास्टिक
सर्जरी का श्रेय छठी शताब्दी ईसा पूर्व के भारतीय शल्य चिकित्सक सुश्रुत को जाता है।
मार्टिन लूथर किंग
कौन थे?
दो प्रसिद्ध मार्टिन
लूथर हुए हैं। पहले हैं मार्टिन लूथर (1483-1546), जो ईसाई धर्म में प्रोटेस्टवाद नामक सुधारात्मक आन्दोलन चलाने के लिए प्रसिद्ध
हैं। वे जर्मन भिक्षु, धर्मशास्त्री, विश्वविद्यालय में प्राध्यापक, पादरी एवं चर्च-सुधारक थे जिनके विचारों के द्वारा प्रोटेस्टिज्म
सुधारान्दोलन आरम्भ हुआ जिसने पश्चिमी यूरोप के विकास की दिशा बदल दी। दूसरे हैं डॉ.
मार्टिन लूथर किंग (15 जनवरी 1929 से 4 अप्रैल 1968) अमेरिका के एक पादरी, आन्दोलनकारी (ऍक्टिविस्ट) एवं अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकारों
के संघर्ष के प्रमुख नेता थे। उन्हें अमेरिका का गांधी भी कहा जाता है। उनके प्रयत्नों
से अमेरिका में नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में प्रगति हुई; इसलिए उन्हें आज मानव अधिकारों के प्रतीक के रूप में भी देखा
जाता है। इनका जन्म का नाम माइकेल किंग जूनियर था। इनके पिता का नाम भी माइकेल किंग
था। बेटे का नाम हुआ माइकेल किंग जूनियर। इनका परिवार 1934 में यूरोप की यात्रा पर गया और वहाँ प्रोटेस्टेंट आंदोलन के नेता मार्टिन लूथर
के कार्यों से परिचित होने के बाद इनके पिता ने अपने बेटे का नाम मार्टिन लूथर रख दिया।
विश्व का सबसे प्राचीन
खेल कौन सा है और किस देश में खेला जाता है?
प्राचीन गुफा चित्रों
को देखें तो शिकार को पहला खेल माना जा सकते है। यदि इसे खेल न मानें तो दौड़ना, तैराकी और कुश्ती को दुनिया के प्राचीनतम खेल कहा जा सकता है।
इसमें फेंकना या थ्रो को भी शामिल कर सकते हैं। फेंकने में भाला, चक्का और गोला फेंकना शामिल है। आज ये खेल सभी देशों में खेले
जाते हैं। यह क्रीड़ा है। इसके अलावा आदि मानव ने गुफाओं में कालिख से लकीरें खींचकर
भी खेल खेले हैं। मिस्र की प्राचीन सभ्यता के अवशेषों में छोटे-छोटे रंगीन पत्थर और
हाथी तथा अन्य पशुओं की आकृतियाँ मिली हैं, जिनसे लगता है कि वे बोर्ड गेम खेलते थे।
कुओं की खुदाई गोल
और पोखरों की खुदाई चौकोर क्यों होती है?
कुओं के निर्माण को
साथ यह बात जुड़ी होती है कि उनकी दीवार भीतर से मज़बूत हो। गोलाकार या आर्च के आकार
की दीवार काफी मजबूत होती है। पुराने ज़माने में जब लिंटेल नहीं होते थे या आरसीसी
निर्माण नहीं होता था आर्च के सहारे बड़े-बड़े हॉल और पुल बनते थे। चौकोर कुआं बनाने
पर चारों दीवारों की मजबूती के मुकाबले गोलाकार दीवार कहीं मजबूत होगी। पोखरों का आकार
बड़ा होता है और उनपर यह बात लागू नहीं होती। बावज़ूद इसके दुनिया के कई मशहूर बाँध
जैसे हूवर बाँध अर्ध गोलाकार हैं। ऐसे बाँधों को आर्च डैम कहते है।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्मदिवस - महाराणा प्रताप, गोपाल कृष्ण गोखले और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबहुत ही जानकारी भरा लेख | अपने सुपुत्र को आपकी पोस्टें पढवाता हूँ अक्सर
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