ऐसा ब्रिटिश परम्परा के कारण है। ईस्ट इंडिया कम्पनी से
ब्रिटिश सरकार को भारत की सत्ता हस्तांतरण होने के बाद 1860 में पहली बार बजट
प्रणाली प्रारम्भ की गई। 1867 में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि का पहला बजट
प्रस्तुत किया गया। इंग्लैंड में इसे 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक इसलिए
नहीं रखा जाता क्योंकि साल के अंत में क्रिसमस के त्योहार की वजह से लोग व्यस्त
रहते हैं। उस वक्त आर्थिक हिसाब-किताब के लिए समय नहीं होता, क्योंकि सर्दी की
छुट्टियाँ होती हैं। पर दुनिया के सभी देशों में वित्तीय वर्ष1 अप्रैल से शुरू
नहीं होता। अमेरिका का वित्तीय वर्ष पहली अक्तूबर से 30 सितंबर तक होता है, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मिस्र, पाकिस्तान में यह पहली जुलाई को शुरू होकर 30 जून तक रहता है। चीन, ब्राजील, जर्मनी, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, पुर्तगाल, रूस, स्पेन, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, ताइवान एवं अन्य 60 देशों में 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक अर्थात् कैलेंडर वर्ष को वित्त
वर्ष भी माना जाता है।
संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, आईएमएफ एवं विश्व के बड़े वित्तीय संस्थान कैलेंडर वर्ष को
अपने वित्त वर्ष के रूप में अपनाते हैं। भारत में भी 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक के
कैलेंडर वर्ष को वित्त वर्ष में अपनाने के लिए समय-समय पर सुझाव दिए जाते रहे हैं
किन्तु अभी तक वित्त वर्ष की तारीखों में बदलाव नहीं आ पाया। हाल में भारत में नए
वित्त वर्ष की जरूरत और बदलाव की संभावनाओं पर विचार के लिए भारत सरकार ने पूर्व
आर्थिक सलाहकार डॉ. शंकर आचार्य की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय समिति का गठन
किया है। यह समिति 31 दिसम्बर 2016 तक अपनी रिपोर्ट देगी। भारत सरकार इस साल से
बजट की तारीख भी 28 फरवरी से बदल कर जनवरी में रखने पर विचार कर रही है। भारत की
अर्थ-व्यवस्था खेती से भी प्रभावित होती है। मॉनसून की अनियमितता का असर
अर्थ-व्यवस्था पर पड़ता है। कई बार अर्थशास्त्रियों ने जुलाई से जून के वित्त वर्ष
की सलाह भी दी। भारत सरकार ने 1984 में डॉ. एलके झा की अध्यक्षता में वित्त वर्ष
में बदलाव के लिए समिति का गठन किया था। इस समिति ने जनवरी से दिसम्बर को वित्त
वर्ष अपनाने का सुझाव दिया था। पर सरकार ने बदलाव करना ठीक नहीं समझा।
2020 के ओलिम्पिक तोक्यो में होंगे। 2024 के
कहाँ होंगे?
सन 2024 के खेलों के आयोजन स्थल को
तय करने की प्रक्रिया अभी चल रही है। सबसे पहले उन देशों को आमंत्रित किया गया, जो
आयोजन में दिलचस्पी रखते हैं। यह काम 15 सितम्बर 2015 में पूरा हो गया। इसके बाद
पाँच शहरों के नाम सामने आए। ये थे बुडापेस्ट (हंगरी), हैम्बर्ग (जर्मनी), लॉस
एंजेलस (अमेरिका), पेरिस (फ्रांस) और रोम (इटली)। 29 नवम्बर 2015 को हैम्बर्ग ने
अपना नाम वापस ले लिया। अब चार शहरों के नाम सूची में हैं। अंतिम रूप से नाम 13
सितम्बर 2017 को अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक कमेटी की लीमा, पेरू में होने वाली बैठक
में होगा।
रेड सी (लाल सागर) का रंग क्या लाल है?
लाल सागर का यूनानी नाम एरिथ्रा थलासा, लैटिन नाम मेयर रुब्रुम,
और अरबी नाम
टिग्रीन्या है। इस इलाके में पानी की सतह पर पैदा होने वाली वनस्पति के कारण हो
सकता है इसे लाल नाम दिया गया हो। इस इलाके के पहाड़ों का नाम हरेई ईडाम है। हिब्रू
भाषा में ईडाम लाल चेहरे वाले एक व्यक्ति का नाम है। इस इलाके में दिशाओं को रंग
के नाम दिए गए हैं। लाल शब्द दक्षिण को और काला उत्तर को दर्शाता है। पुराने ज़माने
में इसके पास के रेत को मिस्री लोग दशरेत कहते थे, जिसका अर्थ होता
है लाल ज़मीन।
ट्रैक्टर के अगले दो पहिए पिछले पहिए के
मुकाबले छोटे क्यों होते हैं?
ऐसा आमतौर पर उन ट्रैक्टरों के साथ होता है जिनके पिछले
पहिए इंजन से जुड़े होते हैं। अगले पहिए सिर्फ दिशा देने (स्टीयरिंग) का काम करते
हैं। भारी पहियों को मोड़ने के लिए ज्यादा ताकत की जरूरत होगी। टू ह्वील ड्राइव में
पिछले पहिए चलायमान होते हैं। चूंकि ट्रैक्टर को ऊबड़-खाबड़ जमीन पर चलना होता है
इसलिए उसके चलायमान पहिए बड़े टायरों वाले होते हैं। फोर ह्वील ड्राइव ट्रैक्टर भी
होते हैं, जिनके चारों पहिए बराबर साइज के होते हैं। इस
स्थिति में स्टीयरिंग फ्रंट ह्वील से नहीं होती बल्कि आगे और पीछे के पहियों के
बीच में एक जोड़ इस तरह का लगाया जाता है जिससे ट्रैक्टर को दिशा दी जा सके यानी
स्टीयर किया जा सके।
दिल्ली में सबसे ज्यादा गहराई वाला मेट्रो
स्टेशन कौन सा है?
दिल्ली में सबसे ज्यादा गहराई वाला मेट्रो स्टेशन चावड़ी बाज़ार है, जो 30 मीटर
यानी तकरीबन 98 फुट की गहराई पर है। इसके आसपास जामा मस्जिद और लाल किला जैसी ऐतिहासिक
इमारतें हैं, उन्हें मेट्रो चलने से किसी प्रकार का नुकसान न हो इसलिए इतनी गहराई रखी
गई है।