‘ह्विसिल ब्लोवर’ माने सीटी बजाने
वाला. इसका सामान्य अर्थ एक ऐसे व्यक्ति से है जो सरकारी तंत्र में व्याप्त
भ्रष्टाचार या गैर-कानूनी काम का भंडाफोड़ करता है. जैसे खेल में रेफरी किसी ‘फाउल’
पर ह्विसिल बजाता है. उपभोक्ता अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े अमेरिकी
एक्टिविस्ट रैल्फ नैडर ने ऐसे व्यक्ति को ‘सूचनादाता’(Informer)
या ‘स्निचर्स’(Snitchers) का नाम दिया, किंतु व्यापक स्तर पर यह ‘ह्विसिल ब्लोवर्स’ के नाम से ही चर्चा में है. हाल के वर्षों में विकीलीक्स और
एडवर्ड स्नोडेन ने इसे और बेहतर रूप दिया है. दुनिया के कई देशों ने व्हिसिल
ब्लोवरों के संरक्षण के लिए कानून बनाए हैं.
भारत के विधि आयोग की 2001 की
रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश (2004) पर केंद्रित ‘ह्विसिल ब्लोवर्स संरक्षण
अधिनियम- 2014’ संसद से पास हुआ. इसमें
संशोधन के लिए ‘ह्विसिल ब्लोवर्स संरक्षण (संशोधन) विधेयक- 2015’ पेश किया गया है, जो लोकसभा से
पास हो चुका है. राज्यसभा के सामने विचारार्थ लम्बित है.
राष्ट्रपति भवन पर पहली बार तिरंगा
कब फहराया गया?
भारतीय संविधान सभा ने 22 जुलाई
1947 को राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार किया. 14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि के आसपास यह
ध्वज संसद भवन के सेंट्रल हॉल में फहराया गया. इसी कार्यक्रम में श्रीमती हंसा
मेहता ने राष्ट्रध्वज डॉ राजेन्द्र प्रसाद को भेंट किया. 15 अगस्त 1947 की भोर तब
के वायसरीगल हाउस और वर्तमान राष्ट्रपति भवन पर तिरंगा फहराया गया. संसद भवन के
शिखर पर भी उसी सुबह तिरंगा फहराया गया.
‘बायोपिक’ क्या होता है?
‘बायोपिक’ शब्द बायो ग्रैफिकल
यानी किसी व्यक्ति के जीवनी से बना है. यह फिल्म मेकिंग से आया शब्द है इसलिए
बायोपिक कहते हैं यानी किसी की जीवनी पर बनी फिल्म. पिछले दिनों हमने दशरथ माँझी
के जीवन पर बनी फिल्म ‘माउंटेन मैन’ देखी. मंगल पांडे, मिल्खा
सिंह और पान सिंह तोमर से लेकर महात्मा गांधी के जीवन पर तमाम फिल्में बन चुकी
हैं.
‘गीक’ किसे कहते हैं?
गीक शब्द स्लैंग है यानी अव्याकरणीय,
अमानक या बोल-चाल का शब्द. यह अंग्रेजी और जर्मन समाज के बीच प्रचलित शब्द है,
जिसका आशय सत्रहवीं-अठारहवीं शताब्दी में बेवकूफ, सनकी या पागल होता था. पर इन
दिनों यह शब्द धुन के धनी, विशेषज्ञ या अपनी अलग दुनिया में रहने वालों के लिए
किया जाने लगा है. ऐसे व्यक्ति जो साइंस, तकनीक या संगीत के किसी उपकरण के साथ
इतनी गहराई से जुड़ जाते हैं कि उनका अलग संसार बस जाता है. अनफैशनेबल या लीक से
अलग चलने वाले. ‘गिज्मो गीक’ यानी किसी उपकरण से लिपटा रहने
वाला. उपकरण गिटार हो या लैपटॉप. इन दिनों नए शब्दों की भरमार है, खासतौर से तकनीक
के विस्तार ने इन्हें लोकप्रिय बनाने में काफी मदद की है. ऐसे नए शब्दों को जानने
के लिए अर्बन डिक्शनरी जैसी वैबसाइट तैयार हो गई हैं. आप इसमें जाकर अपना नया शब्द
भी दर्ज करा सकते हैं. इस डिक्शनरी का लिंक है
गंजापन क्या केवल पुरुषों में ही होता है?
केवल पुरुषों में ही नहीं होता, पर यह सच है कि स्त्रियों
की तुलना में पुरुष ज्यादा गंजे होते हैं. इसका कारण है पुरुष हार्मोन
डिहाइड्रोटेस्टोटेरॉन और एंड्रोजीन्स. स्त्रियों में ये नहीं होते हैं या कम होते
हैं. स्त्रियाँ भी गंजी हो सकती हैं. वे गंजी कम दिखाई पड़ती हैं, क्योंकि सांस्कृतिक रूप से गंजे पुरुष सहज स्वीकार्य हैं. स्त्रियों को नकली बालों या
विग का सहारा लेना पड़ता है. गंजे होने के अन्य कारण भी हो सकते हैं. मसलन सिर की
त्वचा में मौजूद पैरोक्साइड या सोरायसिस जैसी कोई बीमारी. कुपोषण और मानसिक तनाव
भी गंजेपन का कारण हो सकता है. कीमोथिरैपी से भी गंजापन आता है.
भारत की पहली महिला
विमान चालक कौन थीं?
जेआरडी टाटा पहले भारतीय
थे, जिन्हें 1929 में विमान चलाने का लाइसेंस मिला था. पर पहली महिला विमान चालक
थीं सरला ठकराल. उन्होंने 1936 में लाहौर हवाई अड्डे से जिप्सी मॉथ नामक दो सीटों वाले विमान को
उड़ाया था. उस वक्त उनकी उम्र 21 साल थी. उन्होंने दिल्ली में खोले गए फ़्लाइंग
क्लब में विमान चालन की ट्रेनिंग ली थी और एक हज़ार घंटे का अनुभव बटोरा था.
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