हींग एशिया में पाए जाने
वाले सौंफ की प्रजाति के फेरूला फोइटिस नामक पौधे का चिकना रस है. ये पौधे-ईरान, अफगानिस्तान,
तुर्की, बलूचिस्तान,
अफगानिस्तान के
पहाड़ी इलाकों में अधिक होते हैं. भारत में हींग की खेती बहुत कम मात्रा में होती
है. इस पौधे की टहनियाँ 6 से 10 फ़ुट तक ऊँची हो जाती हैं. इस पर हरापन लिए पीले रंग के
फूल निकलते हैं. इसकी जड़ों को काटा जाता है जहाँ से एक दूधिया रस निकलता है. फिर
इसे इकट्ठा कर लेते हैं. सूखने पर यह भूरे रंग के गोंद जैसा हो जाता है, यही हींग
है. ईरान में लगभग हर तरह के भोजन में इसका प्रयोग किया जाता है. भारत में हींग का
काफी इस्तेमाल होता है. इसे संस्कृत में 'हिंगु' कहा जाता है. इसमें ओषधीय
गुण भी अनेक हैं. हाजमे के लिए हींग बहुत अच्छी है. यह खाँसी भी दूर करती है.
‘पीत-पत्रकारिता’ क्या होती है?
पीत पत्रकारिता (Yellow journalism) उस पत्रकारिता को कहते हैं जिसमें सही समाचारों
की उपेक्षा करके सनसनी फैलाने वाले या ध्यान-खींचने वाले शीर्षकों का बहुतायत में
प्रयोग किया जाता है. इसे समाचारपत्रों की बिक्री बढ़ाने का घटिया तरीका माना जाता
है. मूलतः अब इससे आशय अनैतिक और भ्रष्ट पत्रकारिता है. जिन दिनों यह शब्द चला था
तब इसका मतलब लोकप्रिय पत्रकारिता था. इसका इस्तेमाल अमेरिका में 1890 के आसपास शुरू हुआ था. उन दिनों जोज़फ पुलिट्जर के अख़बार
‘न्यूयॉर्क वर्ल्ड’ और विलियम रैंडॉल्फ हर्स्ट के ‘न्यूयॉर्क जर्नल’ के बीच
जबर्दस्त प्रतियोगिता चली थी. इस पत्रकारिता को यलो कहने के बीच प्रमुख रूप से
पीले रंग का इस्तेमाल है, जो दोनों अखबारों के
कार्टूनों का प्रभाव बढ़ाता था. दोनों अखबारों का हीरो पीले रंग का कुत्ता था. यलो
जर्नलिज्म शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल उन्हीं दिनों न्यूयॉर्क प्रेस के सम्पादक
एरविन वार्डमैन ने किया.
रिमोट-आविष्कार किसने
किया?
सन 1898 में निकोला टेस्ला ने अमेरिका में पहला रिमोट पेटेंट कराया
जो पानी पर चल रही नाव को दूर से संचालित कर सकता था. रिमोट कंट्रोल से सामान्य तात्पर्य
टीवी या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इंफ्रारेड मैग्नेटिक स्पेक्ट्रम से संचालित
करना है. सुदूर अंतरिक्ष में घूम रहे यानों को भी दूर से ही नियंत्रित किया जाता
है. तमाम देशों में बगैर ड्राइवर की मेट्रो ट्रेन दूर से संचालित हो रहीं हैं. हम
जिन रिमोट कंट्रोल गैजेट्स की बात कर रहे हैं वे कुछ दूरी यानी पाँच मीटर के आसपास
तक काम करते हैं. ये रिमोट प्रायः इंफ्रारेड का उपयोग करते हैं. सत्तर के दशक से
पहले के रिमोट अल्ट्रासोनिक तरंगों का इस्तेमाल करते थे. रेडियो तकनीक का आविष्कार
होने के बाद रेडियो तरंगों के मार्फत संदेश भेजने की शुरुआत भी हो गई थी. शुरूआती
रिमोट कंट्रोल रेडियो तरंगों के मार्फत चलते थे. अब इनमें ब्लू टूथ
कनेक्टिविटी, मोशन सेंसर और वॉइस कंट्रोल भी शामिल होने लगे हैं.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (04-06-2018) को "मत सीख यहाँ पर सिखलाओ" (चर्चा अंक-2991) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
ज्ञानवर्धक।
ReplyDeleteज्ञानवर्धक जानकारी।
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