Saturday, September 15, 2018

आतंकवाद क्या है?

आतंकवाद एक हिंसात्मक गतिविधि है, जिसके पीछे आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक उद्देश्य हो सकते हैं. भय फैलाकर राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करना. दुनिया में इसके कई उदाहरण हैं, पर आज वैश्विक-आतंकवाद पर हमारा ज्यादा ध्यान है. ‘आतंकवादी’ और ‘आतंकवाद’ शब्दों का सबसे पहले इस्तेमाल 18वीं सदी में फ्रांसीसी राज्य क्रांति के दौरान हुआ. हाल के वर्षों में हम जिस अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का नाम सुन रहे हैं, वह 1983 में बेरुत बमबारी के बाद से प्रचलन में आया है. 11 सितम्बर 2001 को न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले और फिर 2002 में बाली बमबारी के कारण यह सुर्खियों में रहा. भारत में अस्सी के दशक में खालिस्तानी हिंसा के कारण आतंकवाद सुर्खियों में था. सन 2001 में भारतीय संसद पर हुआ हमला और फिर 26 नवम्बर 2008 को मुम्बई पर हुआ हमला बहुत बड़ी घटनाएं थीं. आतंकवाद की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है. इस हिंसा के समर्थक इसे युद्ध की शैली मानते हैं और इससे पीड़ित अनैतिक. संयुक्त राष्ट्र ने इसकी सर्वमान्य परिभाषा बनाने का प्रयास किया है, पर मतभेदों के कारण इसमें सफलता नहीं मिली है.

नक्सलवाद

नक्सलवाद मोटे तौर पर भारत की मार्क्सवादी-लेनिनवादी पार्टी की विचारधारा के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द है. यह पार्टी नब्बे के दशक में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से टूटकर बनी थी. नक्सल शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव नक्सलबाड़ी से हुई है जहाँ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चारु मजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 में सत्ता के खिलाफ़ एक सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत की.वे चीन के कम्युनिस्ट नेता माओ त्जेदुंग के समर्थक थे. आज कई नक्सली संगठन वैधानिक रूप से स्वीकृत राजनीतिक पार्टी बन गए हैं और संसदीय चुनावों में भाग भी लेते है. बहुत से माओवादी संगठन हिंसक गतिविधियों में लिप्त हैं. इनका पुराने नक्सलवाद से सीधा सम्बन्ध नहीं है, पर अपनी हिंसक गतिविधियों के कारण वे नक्सलवादी माने जाते हैं. आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ, उड़ीसा, झारखंड, महाराष्ट्र और बिहार इनके प्रभाव में हैं.

आतंक विरोधी कानून
देश में अस्सी के दशक में आतंकी गतिविधियाँ बढ़ने के बाद टैररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज़ एक्ट (टाडा)-1987 बनाया गया.इसके दुरुपयोग की शिकायतें मिलने के बाद 1995 में इसे लैप्स होने दिया गया.इस कानून में पुलिस के सामने कबूल की गई बातों को प्रमाण मान लिया जाता था.सन 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण और 2001 में संसद भवन पर हुए हमले के बाद प्रिवेंशन ऑफ टैररिज्म एक्ट (पोटा)-2002 बना.इसके दुरुपयोग की शिकायतों के बाद 2004 में इसे रद्द कर दिया गया. इन दोनों कानूनों के पहले देश में अनलॉफुल एक्टिविटीज़ (प्रिवेंशन) एक्ट (यूएपीए)-1967 का कानून भी था. सन 2008 में मुम्बई हमले के बाद इस कानून में संशोधन करके इसका इस्तेमाल होने लगा. सन 2012 में इसमें और संशोधन किया गया.इसमें आतंकवाद की परिभाषा में बड़े बदलाव किए गए.देश की अर्थव्यवस्था को धक्का पहुँचाने, जाली नोटों का प्रसार करने जैसी बातें भी इसमें शामिल की गईं.इसमें आरोप पत्र दाखिल करने की अवधि तीन महीने से बढ़ाकर छह महीने कर दी गई.

2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 15/09/2018 की बुलेटिन, ध्यान की कला भी चोरी जैसी है “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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