मानव विकास सूचकांक या ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स मानव विकास के तीन बुनियादी आयामों (दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन, ज्ञान तक पहुँच तथा जीवन के एक सभ्य स्तर) द्वारा प्रगति का आकलन करने का एक वैश्विक मानक है, जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) हर साल जारी करता है. इसमें कई तरह की सूचनाओं के आधार पर हरेक देश को अंक दिए जाते हैं. मसलन शिक्षा, स्वास्थ्य, स्त्रियों की स्थिति, आर्थिक स्थिति, जीवन स्तर, संचार के साधन वगैरह. इसके आधार पर अलग-अलग देशों का तुलनात्मक अध्ययन सम्भव होता है. यह सूचकांक अलग-अलग शहरों या अलग-अलग प्रदेशों के तुलनात्मक अध्ययन के लिए भी तैयार किया जा सकता है. इस साल यह रिपोर्ट 14 सितम्बर, 2018 को जारी हुई. सन 1990 से यह रपट जारी हो रही है. इसे बनाने की पहल पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूबुल हक ने की थी. इसमें भारत के अमर्त्य सेन के अलावा पॉल स्ट्रीटेन, फ्रांसिस स्टीवर्ट, गुस्ताव रेनिस और कीथ ग्रिफिथ जैसे अर्थशास्त्री भी जुड़े रहे हैं.
भारत का स्थान
हाल ही में नवीनतम मानव विकास रिपोर्ट में, वर्ष 2017 पर आधारित है, भारत को कुल 189 देशों में 130वाँ स्थान प्राप्त हुआ है. पिछले वर्ष भारत को इस सूचकांक में 131वाँ स्थान प्राप्त हुआ था. सूची में सबसे ऊपर पाँच देश क्रमश:- नॉर्वे (0.953), स्विट्ज़रलैंड (0.944), ऑस्ट्रेलिया(0.939), आयरलैंड(0.938) और ज़र्मनी(0.936) हैं. सबसे निचले स्थान पर अफ्रीकी देश नाइज़र (0.354) है. भारत की एचडीआई गणना 0.640 है, जो दक्षिण एशिया के औसत सूचकांक 0.638 से बेहतर है. अलबत्ता भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका (0.770) 76वें स्थान पर, चीन (0.752) 86वें स्थान पर और मालदीव (0.717) 101वें स्थान पर हैं. बांग्लादेश (0.608) 136 और पाकिस्तान (0.562)150वें स्थान पर है. भूटान (0.612) 134वें और नेपाल (0.574) 149वें स्थान पर है.
भारत में असमानता
रिपोर्ट में असमानता को भारत के लिए प्रमुख चुनौती माना गया है. देश की असमानता के अंकों को कम करें तो भारत का एचडीआई 0.468 होगा. इस मामले में भी पाकिस्तान और बांग्लादेश का एचडीआई भारत से कम है, पर इन दोनों देशों में असमानता भारत से कम है. वर्ष 1990 से 2017 की अवधि में भारत में जीवन प्रत्याशा लगभग 11 साल बढ़ी है. स्कूली शिक्षा के मामले में भी स्थिति सुधरी है, जबकि 1990 और 2017 के बीच भारत की सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) प्रति व्यक्ति 266.6 प्रतिशत बढ़ी है. लैंगिक असमानता के सूचकांक (जीआईआई) में भारत (0.524)160 देशों की सूची में 127वें स्थान पर है, पाकिस्तान का स्थान 133 और बांग्लादेश का स्थान 134वाँ है. भारत में संसद की 11.6 प्रतिशत सीटें महिला सदस्यों को पास हैं, 36 फीसदी वयस्क महिलाएं कम से कम सेकंडरी स्तर की शिक्षा प्राप्त कर चुकी हैं. 63.5 प्रतिशत पुरुष इस स्तर तक शिक्षा प्राप्त हैं. भारत में प्रति 1,00,000 स्त्रियों में से 174 की प्रसव-जनित कारणों से मृत्यु हो जाती है.
भारत का स्थान
हाल ही में नवीनतम मानव विकास रिपोर्ट में, वर्ष 2017 पर आधारित है, भारत को कुल 189 देशों में 130वाँ स्थान प्राप्त हुआ है. पिछले वर्ष भारत को इस सूचकांक में 131वाँ स्थान प्राप्त हुआ था. सूची में सबसे ऊपर पाँच देश क्रमश:- नॉर्वे (0.953), स्विट्ज़रलैंड (0.944), ऑस्ट्रेलिया(0.939), आयरलैंड(0.938) और ज़र्मनी(0.936) हैं. सबसे निचले स्थान पर अफ्रीकी देश नाइज़र (0.354) है. भारत की एचडीआई गणना 0.640 है, जो दक्षिण एशिया के औसत सूचकांक 0.638 से बेहतर है. अलबत्ता भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका (0.770) 76वें स्थान पर, चीन (0.752) 86वें स्थान पर और मालदीव (0.717) 101वें स्थान पर हैं. बांग्लादेश (0.608) 136 और पाकिस्तान (0.562)150वें स्थान पर है. भूटान (0.612) 134वें और नेपाल (0.574) 149वें स्थान पर है.
भारत में असमानता
रिपोर्ट में असमानता को भारत के लिए प्रमुख चुनौती माना गया है. देश की असमानता के अंकों को कम करें तो भारत का एचडीआई 0.468 होगा. इस मामले में भी पाकिस्तान और बांग्लादेश का एचडीआई भारत से कम है, पर इन दोनों देशों में असमानता भारत से कम है. वर्ष 1990 से 2017 की अवधि में भारत में जीवन प्रत्याशा लगभग 11 साल बढ़ी है. स्कूली शिक्षा के मामले में भी स्थिति सुधरी है, जबकि 1990 और 2017 के बीच भारत की सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) प्रति व्यक्ति 266.6 प्रतिशत बढ़ी है. लैंगिक असमानता के सूचकांक (जीआईआई) में भारत (0.524)160 देशों की सूची में 127वें स्थान पर है, पाकिस्तान का स्थान 133 और बांग्लादेश का स्थान 134वाँ है. भारत में संसद की 11.6 प्रतिशत सीटें महिला सदस्यों को पास हैं, 36 फीसदी वयस्क महिलाएं कम से कम सेकंडरी स्तर की शिक्षा प्राप्त कर चुकी हैं. 63.5 प्रतिशत पुरुष इस स्तर तक शिक्षा प्राप्त हैं. भारत में प्रति 1,00,000 स्त्रियों में से 174 की प्रसव-जनित कारणों से मृत्यु हो जाती है.
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