भारत में घुटने टेकने का मतलब झुक जाना माना जाता है, पर अमेरिका में इसे विरोध प्रदर्शन का एक माध्यम बनाया गया है. वहाँ जातीय या नस्ली अन्याय के खिलाफ संघर्ष इन दिनों ‘टेक द नी’ या घुटने टेको आंदोलन की शक्ल में सामने आ रहा है. बराक
ओबामा जब अमेरिका के राष्ट्रपति बने तब कहा जा रहा था कि अमेरिका में नए युग की
शुरुआत हो गई है. ओबामा के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौर में अश्वेतों की
शिकायतें बढ़ी हैं. उनके चुनाव में अश्वेतों ने उनके खिलाफ वोट दिया था. धीरे-धीरे
यह चर्चा ठंडे बस्ते में दब भी गई थी लेकिन हाल में अमेरिकी फुटबॉलर कॉलिन कैपरनिक
को प्रतीक बनाकर यह चर्चा फिर से शुरू हुई है. सोशल मीडिया के कारण यह आंदोलन बड़ी
तेजी से फैल रहा है. अभी तक हाथ में मोमबत्तियाँ लेकर विरोध विरोध जताया जाता था.
अब राष्ट्रीय गीत के दौरान एक घुटना जमीन पर टिकाकर विरोध जताने का नया तरीका
सामने आया है. माना जाता है कि देश से बढ़कर कुछ नहीं, पर राष्ट्रगीत के दौरान ऐसा
करने का मतलब है व्यक्ति हर उस चीज का विरोध कर रहा है जिसके कारण उसे अपने ही देश
से नाराजगी है.
खेल-मैदान में विरोध
सन 2016 में एक मैच के
दौरान जब अमेरिका का राष्ट्रगीत चल रहा था तो कॉलिन कैपरनिक ने एक घुटना जमीन पर
टिका दिया. विरोध के इस तरीके पर सारी दुनिया ने गौर किया. मैच के बाद कॉलिन ने
स्पष्ट किया कि यह अपने देश का विरोध नहीं है, बल्कि जातीय अन्याय का विरोध है.
उन्होंने कहा, विरोध के थोड़े समय बाद ही कॉलिन को टीम से बाहर कर दिया गया था. नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) के मैचों में इस
प्रकार के विरोध प्रदर्शन शुरू ही हुए थे कि राष्ट्रपति ट्रंप ने टीमों के मालिकों
का आह्वान किया कि वे ऐसे खिलाड़ियों को बाहर कर दें. इस बयान ने आग में घी का काम
किया. 24 सितम्बर 2007 को 200 खिलाड़ियों ने एक घुटना जमीन पर टिकाकर प्रदर्शन
किया. घुटने टेकने की परम्परा कुछ पुरानी है. सन 1960 में साउथ कैरलीना
में एक मैच के पहले हॉफ के दौरान अलबर्ट किंग डिक्सन जूनियर नामक खिलाड़ी घुटने
टेके थे. तब उन्होंने इसे अपने दिवंगत कोच को श्रद्धांजलि कहा था. अलबत्ता 1965
में मार्टिन लूथर किंग ने जेल जाने से पहले विरोध का यह तरीका अपनाया था.
नाइके की पहल
हाल में खेल से जुड़ी चीजें, खासतौर से
स्पोर्ट्स शूज़ बनाने वाली अमेरिकी कम्पनी नाइके ने कॉलिन कैपरनिक को एक लम्बे
विज्ञापन अभियान के लिए अनुबंधित किया है. कॉलिन 2011 से इस कम्पनी के साथ जुड़े
हैं, पर इस नए अनुबंध के राजनीतिक निहितार्थ हैं. कम्पनी के इस अभियान को समर्थन
मिला है, इसे देश-विरोधी गतिविधि माना जा रहा है. नाइके के उत्पादों को जलाया जा
रहा है. कॉलिन ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ (बीएलएम) नामक अंतरराष्ट्रीय
आंदोलन के समर्थक भी हैं, जो अमेरिकी-अफ्रीकी समुदाय के सवालों को उठाता है. सन
2013 से सोशल मीडिया पर ‘हैशटैग ब्लैक लाइव्स मैटर’ नाम से अभियान भी चल रहा
है.
अच्छी जानकारी
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