अदालत ने जिन ग्रीन और सेफ पटाखों की बात कही है उसका मतलब है कि उन्हें बनाने में ऐसी सामग्री का इस्तेमाल किया जाएगा, जो कम खतरनाक होती है. ऐसे पटाखों की घोषणा इस साल जनवरी में विज्ञान और तकनीकी मंत्री हर्ष वर्धन ने की थी. ग्रीन पटाखों की इस अवधारणा को देश की वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं ने आगे बढ़ाया. इनमें कौंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर), सेंट्रल इलेक्ट्रो केमिकल इंस्टीट्यूट, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल केमिकल लैबोरेटरी शामिल हैं. सीएसआईआर के नेशनल एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ राकेश कुमार इस परियोजना के कोऑर्डिनेटर हैं. उन्होंने बताया कि हमने तीन-चार रासायनिक सूत्र तैयार किए हैं, जिनमें 30 से 40 फीसदी ऐसी नुकसानदेह सामग्री कम की जा सकती है. इनसे पर्यावरण-मित्र अनार और बिजली क्रैकर बनाए जा सकते हैं.
ई-पटाखे कैसे काम करते हैं?
वैज्ञानिकों ने ऐसे बम बनाए हैं, जो आवाज करते हैं, पर माहौल में सल्फर डाईऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करते. ये धुएं की जगह भाप या हवा छोड़ते हैं. पेट्रोलियम और विस्फोटकों की सुरक्षा से जुड़ा संगठन इनपर परीक्षण कर रहा है. एक अवधारणा ई-क्रैकर या इलेक्ट्रॉनिक पटाखों की भी है. इनमें हाई वोल्टेज माइक्रो जेनरेटर काम करते हैं, जो रह-रहकर तेज आवाज करते हैं. इनमें तार से जुड़े पटाखों की लड़ी होती है, जिसके साथ एलईडी लाइट भी होती है. धमाके के साथ चमक भी होती है. यह तकनीक महंगी है. भारतीय बाजारों में विदेशी ई-क्रैकर उपलब्ध हैं, पर उनकी कीमत काफी ज्यादा है. चीनी ई-पटाखे भी तीन हजार रुपये या उससे भी ज्यादा दाम के हैं. भारतीय प्रयोगशालाओं ने भी तकनीक विकसित की है, जिनका सीएसआईआर की पिलानी प्रयोगशाला में परीक्षण चल रहा है. वैज्ञानिकों को लगता है कि इन्हें लोग पसंद नहीं करेंगे, क्योंकि ये धमाकों की रिकॉर्डिंग जैसे लगेंगे.
क्या देश में पटाखों पर पूरी रोक है?
व्यावहारिक रूप से पूरी रोक है. पिछली 23 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री और पटाखे चलाने से सम्बद्ध कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं. अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को जो निर्देश दिए हैं उनके अनुसार कम उत्सर्जन वाले पटाखों को दागा जा सकेगा. केवल ग्रीन और सेफ पटाखे ही बेचे जाएंगे. इसके साथ ही ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है. पटाखों की बिक्री से जुड़े ये निर्देश सभी त्योहारों तथा शादियों पर भी लागू होंगे. दीवाली के अवसर पर पटाखे रात को 8 बजे से 10 बजे के बीच ही चलाए जा सकेंगे. नए साल पर रात में 11.55 से 12.30 तक ही पटाखे जलाए जा सकेंगे। यह समय सीमा पूरे देश पर लागू होगी. जिस याचिका पर अदालत ने यह फैसला सुनाया है, उसपर 28 अगस्त को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने दलील पूरी होने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.
ई-पटाखे कैसे काम करते हैं?
वैज्ञानिकों ने ऐसे बम बनाए हैं, जो आवाज करते हैं, पर माहौल में सल्फर डाईऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करते. ये धुएं की जगह भाप या हवा छोड़ते हैं. पेट्रोलियम और विस्फोटकों की सुरक्षा से जुड़ा संगठन इनपर परीक्षण कर रहा है. एक अवधारणा ई-क्रैकर या इलेक्ट्रॉनिक पटाखों की भी है. इनमें हाई वोल्टेज माइक्रो जेनरेटर काम करते हैं, जो रह-रहकर तेज आवाज करते हैं. इनमें तार से जुड़े पटाखों की लड़ी होती है, जिसके साथ एलईडी लाइट भी होती है. धमाके के साथ चमक भी होती है. यह तकनीक महंगी है. भारतीय बाजारों में विदेशी ई-क्रैकर उपलब्ध हैं, पर उनकी कीमत काफी ज्यादा है. चीनी ई-पटाखे भी तीन हजार रुपये या उससे भी ज्यादा दाम के हैं. भारतीय प्रयोगशालाओं ने भी तकनीक विकसित की है, जिनका सीएसआईआर की पिलानी प्रयोगशाला में परीक्षण चल रहा है. वैज्ञानिकों को लगता है कि इन्हें लोग पसंद नहीं करेंगे, क्योंकि ये धमाकों की रिकॉर्डिंग जैसे लगेंगे.
क्या देश में पटाखों पर पूरी रोक है?
व्यावहारिक रूप से पूरी रोक है. पिछली 23 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री और पटाखे चलाने से सम्बद्ध कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं. अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को जो निर्देश दिए हैं उनके अनुसार कम उत्सर्जन वाले पटाखों को दागा जा सकेगा. केवल ग्रीन और सेफ पटाखे ही बेचे जाएंगे. इसके साथ ही ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है. पटाखों की बिक्री से जुड़े ये निर्देश सभी त्योहारों तथा शादियों पर भी लागू होंगे. दीवाली के अवसर पर पटाखे रात को 8 बजे से 10 बजे के बीच ही चलाए जा सकेंगे. नए साल पर रात में 11.55 से 12.30 तक ही पटाखे जलाए जा सकेंगे। यह समय सीमा पूरे देश पर लागू होगी. जिस याचिका पर अदालत ने यह फैसला सुनाया है, उसपर 28 अगस्त को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने दलील पूरी होने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.
ज्ञानवर्धक लेख।
ReplyDeleteबढ़िया लेख
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