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क्या तीनों सेक्टर समान हैं?
नहीं, विनिर्माण को सबसे ज्यादा 77.6 प्रतिशत स्थान (वेटेज)
दिया जाता है, उसके बाद खनन को 14.4 और ऊर्जा को 8 प्रतिशत. इनमें भी आठ कोर
उद्योगों को 40.27 प्रतिशत वेटेज दिया गया है. ये कोर उद्योग हैं बिजली, इस्पात,
रिफाइनरी, खनिज तेल, कोयला, सीमेंट, प्राकृतिक गैस और उर्वरक. एक
बास्केट के औद्योगिक उत्पादन की तुलना उसके पहले की उसी अवधि के उत्पादन से की
जाती है. औद्योगिक प्रगति को अलग-अलग सेक्टरों के साथ-साथ सकल औद्योगिक उत्पादन के
रूप में भी देखा जा सकता है. एक वर्गीकरण उपयोग आधारित (यूज़ बेस्ड) भी
है, जिसमें छह वर्ग होते हैं. ये हैं प्राथमिक सामग्री (खनन, विद्युत, ईंधन और
उर्वरक), पूँजीगत सामग्री (मशीनरी), माध्यमिक सामग्री (धागा, रसायन, अर्ध निर्मित
इस्पात की वस्तुएं वगैरह), इंफ्रास्ट्रक्चर सामग्री (पेंट, सीमेंट, केबल, ईंटें,
टाइल्स, रेल सामग्री वगैरह), उपभोक्ता सामग्री (परिधान,
टेलीफोन, यात्री वाहन इत्यादि), उपभोक्ता अल्पजीवी वस्तुएं (खाद्य सामग्री, दवाएं,
टॉयलेटरी).
सूचकांक
क्या बता रहा है?
नवीनतम
आँकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में नरमी रहने के कारण दिसंबर 2019 दौरान देश के औद्योगिक उत्पादन 0.3 फीसदी की गिरावट आई. एक साल
पहले इसी महीने में देश के औद्योगिक उत्पादन में 2.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी.
विनिर्माण क्षेत्र में बीते दिसंबर में 1.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले इसी महीने में
2.9
फीसदी की
वृद्धि दर्ज की गई थी. बिजली क्षेत्र का
उत्पादन दिसंबर में 0.1 फीसदी घटा. केवल खनन क्षेत्र में ही सुधार देखा गया, जिसकी वृद्धि दर 5.4 फीसदी रही जबकि नवंबर में इसमें
1.7 फीसदी का इजाफा हुआ था.
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