राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 25 जनवरी 2025 को प्रकाशित
Tuesday, January 28, 2025
लड़ाकू विमानों की पीढ़ियाँ
जेट लड़ाकू विमानों की पाँचवीं या छठी पीढ़ियाँ विकास में प्रमुख प्रौद्योगिकी छलाँगों को व्यक्त करती हैं। लड़ाकू विमानों के लिए जेनरेशन या पीढ़ी शब्द पहली बार 1990 के दशक में इस्तेमाल में आया। पहला जेट लड़ाकू विमान, द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में विकसित हुआ था। इसकी मुख्य विशेषता जेट इंजन के रूप में थी। बाकी मामलों में वह प्रोपेपलर विमानों जैसा ही था। उसमें कोई एवियॉनिक्स-रेडार नहीं था। दूसरी पीढ़ी के विमानों में स्वैप्ट विंग्स, ट्रांससोनिक स्पीड, शुरूआती गन टार्गेटिंग सिस्टम, पहली हीटसीकिंग मिसाइलें थीं। तीसरी पीढ़ी में अधिक उन्नत रेडार प्रणालियाँ, इंफ्रारेड सर्च एंड ट्रैक, रेडार गाइडेड मिसाइलें, सीमित बियोंड विजुअल रेंज मिसाइलें इस्तेमाल में आने लगीं। मैक 2 गति के लिए आफ्टर बर्निंग इंजन का इस्तेमाल हुआ। चौथी पीढ़ी में बेहतर रेडार प्रणाली, लुक डाउन शूट डाउन और कंप्यूटर की सहायता से उड़ान, फ्लाई बाई वायर आदि। चौथी पीढ़ी के बाद 4.5 पीढ़ी के विमानों में एईएसए रेडार, नेटवर्किंग आदि शामिल हुए। पाँचवीं पीढ़ी में सबसे बड़ा तत्व स्टैल्थ यानी लोपन का जुड़ा। विमानों के बीच नेटवर्किंग शुरू हुई। अब छठी पीढ़ी की बातें हैं, पर उसकी विभाजक रेखा अभी स्पष्ट नहीं है।
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