Saturday, June 14, 2025

‘डीप स्टेट’ किसे कहते हैं?

 डीप स्टेट शब्द उस समूह या नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जो किसी सरकार के भीतर या बाहर से, बिना सार्वजनिक जवाबदेही के, सरकार से ज्यादा ताकतवर नज़र आने लगता है। इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले 1990 के दशक में तुर्की में हुआ। यह शब्द तुर्की भाषा के डेरिन डेवलेटसे ही लिया गया, जिसका अर्थ है गैर-निर्वाचित तत्व जो अनधिकृत रूप से लोकतांत्रिक सरकार पर हावी होते हैं। तुर्की में इसका तात्पर्य फौजी, खुफिया एजेंसियों और नौकरशाही से था, जो पर्दे के पीछे से सरकार को नियंत्रित करते थे। इक्कीसवीं सदी में अमेरिका में भी इसका इस्तेमाल हुआ। डॉनल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में एफबीआई और सीआईए के खुफिया नेटवर्क के लिए इसका इस्तेमाल हुआ। आजकल पाकिस्तान में सेना को डीप स्टेट माना जाता है। इसमें नौकरशाह, खुफिया एजेंसियाँ, फौजी अधिकारी, जज, राजनेता, कॉरपोरेट अधिकारी यहाँ तक कि अपराधी माफिया तक शामिल हो सकते हैं। यानी ऐसे लोग जो अन्य कारणों से महत्वपूर्ण होते हैं, पर औपचारिक रूप से जनता द्वारा चुने नहीं जाते। यह दिखाई पड़ने वाली ताकत नहीं होती, फिर भी कुछ लोग इसे वास्तविक और संगठित मानते हैं, जबकि कुछ इसे अतिशयोक्तिपूर्ण या काल्पनिक विचार मानते हैं।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 14 जून, 2025 को प्रकाशित

Saturday, June 7, 2025

ISBN कोड क्या होता है?

 

इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर (आईएसबीएन) किसी किताब की विशिष्ट पहचान है। आमतौर पर यह किताब के पिछले कवर पर, कॉपीराइट पेज पर, या बारकोड के साथ छपा होता है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किताबों की बिक्री और पुस्तकालयों में ट्रैकिंग आसान हो जाती है। यह नंबर हरेक पुस्तक के अलग-अलग संस्करणों और परिवर्धित संस्करणों के लिए अलग होता है। इससे किताबों की वैश्विक-पहचान सुनिश्चित होती है। पुस्तक के पुनर्मुद्रण में नंबर वही रहता है। 1 जनवरी 2007 के पहले यह नंबर दस अंकों का होता था। उसके बाद से यह 13 अंकों का हो गया है। इसकी शुरुआत 1966 में 9 अंकों से हुई थी। इसका मानक इंटरनेशनल स्टैंडर्डाइजेशन ऑर्गनाइजेशन (आईएसओ) ने 1970 में तैयार किया था। इसमें प्रकाशक कोड, शीर्षक कोड, देश/भाषा कोड और अंत में चेक डिजिट होती है। कोई भी पुस्तक बगैर आईएसबीएन नंबर के भी प्रकाशित की जा सकती है। लेखक चाहे तो इसे प्रकाशन के बाद भी हासिल किया जा सकता है। पुस्तकों के अलावा पत्रिकाओं के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड सीरियल नंबर (आईएसएसएन) भी होता है। संगीत रचना के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड म्यूजिक नंबर (आईएसएमएन) होता है। इसकी एक अंतरराष्ट्रीय आईएसबीएन एजेंसी भी है, जो ब्रिटेन में स्थित है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 7 जून, 2025 को प्रकाशित

 

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