Thursday, August 23, 2018

राज्य-विहीन लोग कौन हैं?

अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार राज्यविहीन व्यक्ति वह होता है, जिसे कोई भी देश अपना नागरिक नहीं मानता. ऐसे कुछ व्यक्तियों को शरणार्थी कह सकते हैं, पर सभी शरणार्थी राज्यविहीन नहीं होते. किसी देश का नागरिक बनने की कुछ बुनियादी शर्तें हैं. एक, भूमि-पुत्र होना. यानी जिस जमीन पर व्यक्ति का जन्म हो, वह उस देश का नागरिक हो. ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका इस सिद्धांत को मानते हैं. दूसरे वंशज होना. माता-पिता की नागरिकता को ग्रहण करना. दुनिया के ज्यादातर देश इस सिद्धांत को मानते हैं. व्यक्ति के पास इस दोनों के प्रमाण नहीं होते, तो वह राज्य विहीन हो जाता है. दुनिया के देशों में नागरिकता नियम अलग-अलग हैं. जन्म के पंजीकरण की व्यवस्थाएं नहीं हैं, इस कारण जटिलताएं हैं. संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में इस समस्या के निराकरण पर विचार हो रहा है. दुनिया में एक करोड़ से ज्यादा राज्यविहीन लोग हैं.

एनआरसी क्या है?
सिद्धांततः नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) भारतीय नागरिकों की सूची है. भारत में असम अकेला राज्य है, जहाँ सन 1951 में इसे जनगणना के बाद तैयार किया गया था. भारत में नागरिकता संघ सरकार की सूची में है, इसलिए एनआरसी से जुड़े सारे कार्य केंद्र सरकार के अधीन होते हैं. यह कार्य देश के रजिस्ट्रार जनरल के अधीन है. सन 1951 में देश के गृह मंत्रालय के निर्देश पर असम के सभी गाँवों, शहरों के निवासियों के नाम और अन्य विवरण इसमें दर्ज किए गए थे. इस एनआरसी का अब संवर्धन किया जा रहा है, जिसका दूसरा ड्राफ्ट हाल में जारी किया गया है. एनआरसी को अपडेट करने की जरूरत सन 1985 में हुए असम समझौते को लागू करने की प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे लागू करने के लिए सन 2005 में एक और समझौता हुआ था. सन 2009 में एक एनजीओ असम पब्लिक वर्क्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली कि अवैध नागरिकों के नाम वोटर सूची से हटाए जाएं. यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में चल रही है. एनआरसी संशोधन का पहला ड्राफ्ट 31 दिसम्बर 2017 को जारी हुआ था और दूसरा ड्राफ्ट अब जारी हुआ है. इसमें उन व्यक्तियों के नाम हैं जो या तो 1951 की सूची में थे, या 24 मार्च 1971 की मध्य रात्रि के पहले असम के निवासी रहे हों.

क्या यह अंतिम सूची है?

नहीं यह दूसरी ड्राफ्ट सूची है. यानी कि अब तक जो नाम इसमें शामिल किए जा चुके हैं उनकी सूची. इसके पहले 30 दिसम्बर 2017 को पहली ड्राफ्ट सूची जारी की गई थी. उसमें 1.9 करोड़ नाम शामिल थे. दूसरी सूची में 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं. कुल 3.29 लाख लोगों ने इसमें नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन किया है. अब तमाम शिकायतों को सुनने के बाद जो सूची जारी की जाएगी, वह अंतिम सूची होगी.उस सूची में भी नाम नहीं होने से कोई व्यक्ति विदेशी साबित नहीं हो जाएगा. विदेशी न्यायाधिकरण इसका फैसला करेगा. उसके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.



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