Sunday, September 29, 2019

चंद्रयान-2 के बाद क्या?


हालांकि चंद्रयान-2 का लैंडर ठीक तरीके से उतर नहीं पाया, पर इसका मतलब यह नहीं है कि यह अभियान विफल हो गया है. उसका ऑर्बिटर चंद्रमा की परिक्रमा लगा रहा है और यह लंबे समय तक काम करते रहेगा. वैज्ञानिक ऑर्बिटर से प्राप्त सूचनाओं का अध्ययन करेंगे और साथ ही लैंडर विक्रम में चंद्रमा पर उतरते समय आई गड़बड़ियों को समझने का प्रयास भी करेंगे. इस दौरान चंद्रयान-3 की योजना भी बनाई जाएगी. चूंकि अभी इस मिशन को स्वीकृति नहीं मिली है और इसकी अवधारणा भी पूरी तरह तैयार नहीं है, इसलिए इस विषय पर ज्यादा रोशनी नहीं डाली जा सकती है. अलबत्ता एक जानकारी यह सामने आई है कि इस अभियान में अब इसरो के साथ जापान की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी जाशा भी जुड़ेगी. संभव है कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण जापानी रॉकेट एच-3 से हो, जिसका विकास अभी चल ही रहा है. यह अभियान भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर होगा और संभवतः इसका प्रक्षेपण 2024 में किया जाएगा. इस अभियान में चंद्रमा की सतह से कुछ सैंपल लेकर वापस धरती पर आने का विचार भी है. इसका वजन भी चंद्रयान-2 से काफी ज्यादा होगा.
गगनयान क्या है?
गगनयान भारत के पहले समानव अंतरिक्ष वाहन का नाम है. इसे इसरो और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड मिलकर बना रहे हैं. इसमें तीन यात्रियों को ले जाने की व्यवस्था होगी और इसके सुधरे हुए संस्करण में दूसरे यानों, उपग्रहों या स्पेस स्टेशनों के साथ जुड़ने (डॉकिंग) की व्यवस्था भी की जाएगी. पहले इसमें दो यात्रियों को ले जाने का कार्यक्रम था. एचएएल इसके क्रू मॉड्यूल (अंतरिक्ष यात्री के बैठने का वाहन) को बना रहा है. इस मॉड्यूल का बगैर यात्री के एक परीक्षण 18 दिसंबर 2014 को हो चुका है. इस समानव उड़ान का प्रक्षेपण इसरो के जीएसएलवी मार्क-3 से दिसंबर 2021 में किया जाएगा. इसके पहले इस वाहन के मानव रहित उड़ान परीक्षण दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 में भी होंगे. दिसंबर 2021 में तीन यात्री इस वाहन में बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे और वे सात दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे.
अन्य कार्यक्रम
इसरो का अब एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आदित्य-1 है, जो सूर्य का अध्ययन करने के लिए भेजा जाएगा. इसे सन 2020 के मध्य में भेजने की योजना है. 400 किलोग्राम के इस अंतरिक्ष यान की योजना सन 2008 में बनाई गई थी. तब विचार था कि इसे पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करके इससे सूर्य के किरीट या कॉरोना का अध्ययन किया जाए. बाद में इस कार्यक्रम का विस्तार करके इसे स्पेस ऑब्जर्वेटरी का रूप दे दिया गया है, जिसे लाग्रांज पॉइंट-1, जिसके कारण अब इसका नाम आदित्य-एल1 है. अब इसका वजन 1500 किलोग्राम होगा. भारत के भावी प्रस्तावित अंतरिक्ष मिशनों में एक मंगलयान-2 है, जिसे 2024 में प्रक्षेपित किया जाना है और उसके बाद शुक्रयान-1 है.


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