एशिया में
पूरी तरह स्वतंत्र और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की संख्या 49 है। इनके अलावा
6 ऐसे देश हैं, जो आंशिक
रूप से मान्यता प्राप्त हैं जैसे अबखाजिया, नागोर्नो कारबाख,
उत्तरी सायप्रस, फलस्तीन, दक्षिण ओसेतिया और ताइवान। इनमें से दो देश ऐसे हैं, जो जिन्हें
अंतरमहाद्वीपीय कहा जा सकता है। तुर्की का एक हिस्सा यूरोप में है और उसी प्रकार
मिस्र का एक हिस्सा अफ्रीका में पड़ता है। रूस का ज्यादातर क्षेत्र हालांकि एशिया
महाद्वीप में है, पर उसे यूरोपीय देश माना जाता है। सायप्रस ऐसा अकेला देश है, जो
एशिया में है, पर जो यूरोपियन यूनियन का सदस्य है। छह देश या इलाके ऐसे हैं जो
किसी देश के अधीन हैं। ये हैं अक्रोती, ब्रिटिश इंडियन ओसन टेरिटरीज़,
क्रिसमस द्वीप, कोको द्वीप, हांगकांग और मकाऊ। एशिया के पाँच सबसे छोटे देश हैं फलस्तीन, ब्रूनेई, बहरीन,
सिंगापुर और मालदीव। मालदीव इनमें सबसे छोटा है।
ओलिंपिक में क्रिकेट शामिल
होगा?
इन दिनों खबरें हैं कि लॉस
एंजेलस में सन 2028 में होने वाले ओलिंपिक खेलों में क्रिकेट को भी शामिल करने के
प्रयास किए जा रहे हैं। संभावना है कि क्रिकेट की टी-20 शैली को इन खेलों में
शामिल कर लिया जाए। ओलिंपिक के इतिहास में केवल एक बार क्रिकेट को शामिल किया गया
है। 1896 में एथेंस में हुए पहले ओलिम्पिक खेलों में क्रिकेट को शामिल किया गया था, पर पर्याप्त संख्या में टीमें
न आ पाने के कारण, क्रिकेट
प्रतियोगिता रद्द हो गई। सन 1900 में पेरिस में हुए दूसरे ओलिम्पिक में चार टीमें
उतरीं, पर बेल्जियम और नीदरलैंड्स ने
अपना नाम वापस ले लिया, जिसके
बाद सिर्फ फ्रांस और इंग्लैंड की टीमें बचीं। उनके बीच मुकाबला हुआ, जिसमें इंग्लैंड की टीम
चैम्पियन हुई। क्रिकेट के पाँच दिनी टेस्ट मैच स्वरूप के कारण इसका आयोजन काफी
मुश्किल समझा जाता था। साथ ही इसे खेलने वाले देशों की संख्या एक समय तक ज्यादा
नहीं थी। पहले एक दिनी और फिर टी-20 क्रिकेट के आगमन के बाद इसे खेलने वाले देशों
की संख्या बढ़ी है और इसमें लगने वाला समय भी कम हुआ है।
हम मोटे क्यों होते हैं?
एक वैज्ञानिक अध्ययन से पता
लगा है कि चूहों के शरीर में पैनेक्सिन 1 नाम का एक प्रोटीन होता है, जो उनके शरीर
में वसा या फैट का नियमन करता है। शारीरिक विकास के शुरुआती समय में पैंक्स 1 जीन
के कमजोर हो जाने से फैट बढ़ने लगता है। इसके पहले ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने ‘एफटीओ’
नामक विशेष कोशिका खोज निकाली थी, जिसकी वजह से मोटापा, हृदयघात
और मधुमेह जैसी बीमारियां देखने को मिलती हैं। जिनके शरीर में यह खास किस्म का जीन
पाया जाता है, उन्हें अगर एक प्रकार का आहार दिया
जाए, तो वह उन लोगों के मुकाबले अपना वजन बढ़ा हुआ महसूस करते है, जिनके
शरीर में यह जीन नहीं होता है। वैज्ञानिकों का यह भी दावा है
कि इस जीन को खोज लिया गया है, जो कोशिकाओं में चर्बी जमा होने के लिए
जिम्मेदार हैं।
इन्हें
फिट-1 व फिट-2 (फैट इंड्यूसिंग ट्रांसक्रिप्ट 1-2) जीन कहा जाता है।
पोलर लाइट्स क्या हैं?
ध्रुवीय ज्योति या मेरुज्योति, वह चमक
है जो ध्रुव क्षेत्रों के वायुमंडल के ऊपरी भाग में दिखाई पड़ती है। उत्तरी
अक्षांशों की ध्रुवीय ज्योति को सुमेरु ज्योति और दक्षिणी अक्षांशों की ध्रुवीय
ज्योति को कुमेरु ज्योति कहते हैं। यह रोशनी वायुमंडल के ऊपरी हिस्से थर्मोस्फीयर
ऊर्जा से चार्ज कणों के टकराव के कारण पैदा होती है। धरती का चुम्बकीय घेरा इन्हें
वायुमंडल में भेजता है।
पृथ्वी गोलाकार क्यों है?
इसकी वजह गुरुत्व शक्ति है।
धरती की संहिता इतनी ज्यादा है कि वह अपने आसपास की सारी चीजों को अपने केन्द्र की
ओर खींचती है। यह केन्द्र चौकोर नहीं गोलाकार ही हो सकता है। इसलिए उसकी बाहरी सतह
से जुड़ी चीजें गोलाकार हैं। इतना होने के बावजूद पृथ्वी पूरी तरह गोलाकार नहीं
है। उसमें पहाड़ ऊँचे हैं और सागर गहरे। दोनों ध्रुवों पर पृथ्वी कुछ दबी हुई और
भूमध्य रेखा के आसपास कुछ उभरी हुई है।
बवंडर या
टॉर्नेडो क्या होते हैं?
टॉर्नेडो मूलतः
वात्याचक्र हैं। यानी घूमती हवा। यह हवा न सिर्फ तेजी से घूमती है बल्कि ऊपर उठती
जाती है। इसकी चपेट में जो भी चीजें आती हैं वे भी हवा में ऊपर उठ जाती हैं। इस
प्रकार धूल और हवा से बनी काफी ऊँची दीवार या मीनार चलती जाती है और रास्ते में जो
चीज़ भी मिलती है उसे तबाह कर देती है। इनके कई रूप हैं। इनके साथ गड़गड़ाहट, आँधी, तूफान और बिजली
भी कड़कती है। जब से समुद्र में आते हैं तो पानी की मीनार जैसी बन जाती है। हमारे
देश में तो अक्सर आते हैं।
बारह राशियां क्या होती हैं?
यह एक काल्पनिक व्यवस्था है और इसका सम्बन्ध
फलित ज्योतिष से है, खगोल विज्ञान से नहीं। अलबत्ता अंतरिक्ष का नक्शा बनाने में इससे
आसानी होती है। अंतरिक्ष का अध्ययन करने के लिए प्रायः हम एक काल्पनिक गोला मानकर
चलते हैं, जो पृथ्वी केंद्रित है। इसे खगोल कहते हैं। पृथ्वी की भूमध्य रेखा और
दोनों ध्रुवों के समांतर इस खगोल की भी मध्य रेखा और ध्रुव मान लेते हैं। इस खगोल
में सूर्य का एक विचरण पथ है, जिसे सूरज का क्रांतिवृत्त या एक्लिप्टिक कहते
हैं। पूरे साल में सूर्य इससे होकर गुजरता है। अंतरिक्ष में हर वस्तु गतिमान है, पर
यह गति इस प्रकार है कि हमें तमाम नक्षत्र स्थिर लगते हैं। इन्हें अलग-अलग
तारा-मंडलों के नाम दिए गए हैं।
सूर्य के यात्रा-पथ को एक काल्पनिक लकीर बनाकर
देखें तो पृथ्वी और सभी ग्रहों के चारों ओर नक्षत्रों की एक बेल्ट जैसी बन जाती है।
इस बेल्ट को बारह बराबर भागों में बाँटने पर बारह राशियाँ बनतीं हैं, जो
बारह तारा समूहों को भी व्यक्त करतीं हैं। इनके नाम हैं मेष, बृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ
और मीन। सूर्य की परिक्रमा करते हुए धरती और सारे ग्रह इन तारा समूहों से गुजरते
हैं। साल भर में सूर्य इन बारह राशियों का दौरा करके फिर अपनी यात्रा शुरू करता है।
अंतरिक्ष विज्ञानी इसके आधार पर निष्कर्ष नहीं निकालते। फलित ज्योतिषी निकालते हैं।
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