भारत में हर दस
साल बाद जनगणना होती है. दुनिया में अपने किस्म की यह सबसे बड़ी प्रशासनिक गतिविधि
है. पिछली जनगणना सन 2011 में हुई थी और अगली जनगणना अब 2021 में होगी. जनगणना में
आबादी के साथ ही साक्षरता, शिक्षा, बोली-भाषा, लिंगानुपात, शहरी तथा ग्रामीण निवास
तथा अन्य जनसांख्यिकीय जानकारियाँ मिलती हैं. सन 2011 की जनगणना के अनुसार विश्व
की कुल आबादी की तुलना में 17.5 फीसदी लोग भारत में रहते हैं. उससे पिछली जनगणना यानी
2001 में यह आंकड़ा 16.8 प्रतिशत का था. 2001 से 2011 में भारत की जनसंख्या 17.6
प्रतिशत की दर से 18 करोड़ बढ़ी है. यह वृद्धि वर्ष 1991-2001 की वृद्धि दर 21.5 प्रतिशत, से करीब 4 प्रतिशत कम थी. 2011 की जनगणना से यह भी पता लगा
था कि भारत और चीन की आबादी का अंतर दस साल में घटकर 23 करोड़ 80 लाख से 13 करोड़
10 लाख रह गया. इसी तरह देश में साक्षरता की दर 10 प्रतिशत बढ़कर करीब 74 प्रतिशत
हो गई. जनगणना 2021 भारत की 16वीं और आजादी के बाद आज़ादी के बाद यह आठवीं
जनगणना होगी. पहली जनगणना सन 1872 में हुई थी.
क्या यह एनपीआर से
अलग है?
जनगणना बुनियादी
तौर पर सभी निवासियों की गिनती है. जबकि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर या एनपीआर में
व्यक्तियों के नाम और उनके जन्म, निवास तथा अन्य जानकारियों का विवरण दर्ज होगा.
यह काम जनगणना की तरह घर-घर जाकर होगा. यह भारतीयों के साथ भारत में रहने वाले
विदेशी नागरिकों के लिए भी अनिवार्य होगा. इसका उद्देश्य देश में रहने वाले लोगों
की पहचान से जुड़ा डेटाबेस तैयार करना है. पहला एनपीआर 2010 में तैयार किया गया था
और उसे 2015 में अपडेट किया गया था. इसे नागरिकता क़ानून 1955 और सिटीजनशिप
(रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटीजन्स एंड इश्यू ऑफ नेशनल आइडेंटिटी कार्ड्स) रूल्स, 2003 के प्रावधानों के तहत गाँव, पंचायत, ज़िला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर
पर किया जाएगा.
जातीय जनगणना क्या
है?
देश में जो जनगणना होती है, उसमें धर्म के साथ ही अनुसूचित जातियों और
जनजातियों का विवरण भी होता, पर सभी जातियों का विवरण नहीं होता. देश में केवल
1931 में जातीय जनगणना हुई थी. इस बात की माँग होती रही है कि जाति आधारित जनगणना
होनी चाहिए. इसकी जरूरत शैक्षिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को
आरक्षण देने के लिए भी हुई थी. मंडल आयोग ने 1931 की जनगणना को आधार बनाते हुए यह पाया था कि 52 प्रतिशत लोग
ओबीसी वर्ग में आते हैं. सन 2011 की जनगणना के साथ जातीय आधार पर जनगणना कराने की
बात भी हुई थी. इस सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारियाँ सन 2015 में जारी की गईं, पर इसे जाति
आधारित जनगणना नहीं कहा जा सकता. इसे लेकर कई प्रकार की पेचीदगियाँ बनी हुई हैं.
Amazing
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