अमेरिकी संविधान के अनुसार चुने हुए राष्ट्रपति
के विरुद्ध शिकायतें हैं, तो वहाँ की संसद के दोनों सदन मिलकर एक प्रक्रिया पूरी
करने के बाद राष्ट्रपति को हटा सकते हैं. यह प्रक्रिया
संसद के दोनों सदनों में एक के बाद एक करके पूरी करनी होती है. इन दिनों वहाँ के
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विरुद्ध संसद में महाभियोग की प्रक्रिया चल रही है,
जिसका पहला चरण प्रतिनिधि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में पूरा हो चुका है, जहाँ यह
प्रस्ताव 193 के मुकाबले 228 वोटों से पास हो गया है. अब वहाँ की सीनेट को इस विषय
पर विचार करना है. सीनेट से यह प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पास होना जरूरी है,
अन्यथा इसे रद्द माना जाएगा. अमेरिका के 230 साल के इतिहास में ट्रंप तीसरे
राष्ट्रपति हैं, जिनके विरुद्ध महाभियोग लाया गया है. उनके पहले केवल दो राष्ट्रपतियों, 1886 में एंड्रयू जॉनसन और 1998 में बिल
क्लिंटन के ख़िलाफ़ महाभियोग लाया गया था, लेकिन दोनों राष्ट्रपतियों को पद से हटाया नहीं जा सका. सन 1974
में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन पर अपने एक विरोधी की जासूसी करने का आरोप लगा था.
इसे वॉटरगेट स्कैंडल का नाम दिया गया था. उस मामले में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू
होने के पहले उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था.
महाभियोग क्यों?
हाउस ऑफ
रिप्रेजेंटेटिव्स में महाभियोग की यह प्रक्रिया 24 सितंबर, 2019 को शुरू हुई थी और
अब अंतिम पड़ाव यानी सीनेट तक आ पहुँची है. ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रपति
पद का आगामी चुनाव जीतने के लिए अपने एक प्रतिद्वंदी के ख़िलाफ़ साजिश की है.
उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की के साथ फ़ोन पर हुई बातचीत
में ज़ेलेंस्की पर दबाव डाला कि वे जो बायडन और उनके बेटे के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार
के दावों की जाँच करवाएं. जो बायडन डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार हैं.
आरोप है कि ट्रंप ने ज़ेलेंस्की से कहा था कि हम आपके देश को रोकी गई सैनिक सहायता
शुरू कर सकते हैं, बशर्ते आप जो बायडन, उनके बेटे हंटर और यूक्रेन की एक नेचुरल
गैस कंपनी बुरिस्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच बैठा दें. बुरिस्मा के
बोर्ड में हंटर सदस्य रह चुके हैं.
अब क्या होगा?
अब सीनेट में
ट्रंप के विरुद्ध आरोपों को रखा गया है. प्रतिनिधि सदन ने इस काम के लिए सात
महाभियोग प्रबंधकों को चुना है. वे सीनेट में जाकर आरोप पढ़ेंगे. गत 15 जनवरी को
ये प्रबंधक एक जुलूस के रूप में सीनेट गए थे और गुरुवार 16 जनवरी को उन्होंने सदन
में इन आरोपों को जोरदार आवाज में पढ़ा. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन
रॉबर्ट्स ने इसके साथ ही सीनेट के सभी 100 सदस्यों को ‘न्याय करने’ की शपथ दिलाई. वे इस सुनवाई की अध्यक्षता करेंगे. अगले सप्ताह सुनवाई की
प्रक्रियाएं तय होंगी, जिनके पूरा होने के बाद इस प्रस्ताव पर मतदान होगा. अनुमान
है कि यह प्रस्ताव पास नहीं हो पाएगा. देखना होगा कि इसका प्रभाव राष्ट्रपति पद के
चुनाव पर पड़ेगा या नहीं.
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