Wednesday, September 11, 2013

मोबाइल सिम कार्ड आगे से क्रॉसकट क्यों होता है?


मोबाइल सिम कार्ड आगे से क्रॉसकट क्यों होता है?
यह सिर्फ एलाइनमेंट को ठीक रखने के लिए है। बाएं और दाएं कट के अलावा एक कट कर्णवत या डायगोनल होने से सिम और मोबाइल फोन की पिनें एक दूसरे से ठीक तरह से मिल जाती हैं। फोन के सॉकेट में भी वैसा ही कट होता है।

लोकतंत्र व गणतंत्र में क्या अंतर है ?
रोहित शर्मा, जयपुर
लोकतंत्र एक व्यवस्था का नाम है, जिसकी एक संवैधानिक व्यवस्था भी हो। जब शासन पद्धति पर यह लागू हो तो शासन व्यवस्था लोकतांत्रिक होती है। इसमें हिस्सा लेने वाले या तो आमराय से फैसले करते हैं और यदि ऐसा न हो तो मत-विभाजन से करते हैं। ये निर्णय सामान्य बहुमत से और कई बार ज़रूरी होने पर विशेष बहुमत से भी होते हैं। मसलन कुछ परिस्थितियों में दो तिहाई मत से भी निर्णय किए जाते हैं। गणतंत्र का अर्थ वह शासन पद्धति जहाँ राज्यप्रमुख का निर्वाचन सीधे जनता करे या जनता के प्रतिनिधि करें। यानी राष्ट्रप्रमुख वंशानुगत या तानाशाही तरीके से सत्ता पर कब्जा करके न आया हो। कुछ ऐसे देश भी हैं, जहाँ शासन पद्धति लोकतांत्रिक होती है, पर राष्ट्राध्यक्ष लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चुना जाता। जैसे युनाइटेड किंगडम, जहाँ राष्ट्राध्यक्ष सम्राट होता है, जिसके परिवार के सदस्य ही राष्ट्राध्यक्ष बनते हैं। भारत में लोकतांत्रिक सरकार है और राष्ट्रपति का चुनाव होता है इसलिए यह गणतंत्रात्मक व्यवस्था है।

नक्सलवाद व आतंकवाद में क्या अंतर है ?
रोहित शर्मा, जयपुर 
rohit_dude58@yahoo.com
नक्सलवाद मोटे तौर पर भारत की मार्क्सवादी-लेनिनवादी पार्टी की विचारधारा के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द है। यह पार्टी नब्बे के दशक में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से टूटकर बनी थी। नक्सल शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव नक्सलबाड़ी से हुई है जहाँ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 मे सत्ता के खिलाफ़ एक सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत की। मजूमदार चीन के कम्युनिस्ट नेता माओ जे दुंग के समर्थक थे। इन्हें "नक्सलवादी" कहा गया। यह आंदोलन बाद में कई छोटे-छोटे संगठनों में बँट गया।

आज कई नक्सली संगठन वैधानिक रूप से स्वीकृत राजनीतिक पार्टी बन गए हैं और संसदीय चुनावों में भाग भी लेते है। लेकिन बहुत से संगठन अब भी सशस्त्र आंदोलन चला रहे हैं। इनमें माओवादी संगठन हैं जिनका पुराने नक्सलवाद से सीधा सम्बन्ध नहीं है, पर अपनी हिंसक गतिविधियों के कारण वे नक्सलवादी माने जाते हैं। आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ, उड़ीसा, झारखंड, और बिहार इनके प्रभाव में हैं। आतंकवाद भी एक राजनीतिक विचारधारा है, जिसमें हिंसा और भय का सहारा लेकर व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं। आतंकवाद के अनेक रूप हैं और दुनिया भर में कई तरह के संगठनों की रणनीति आतंक फैलाने की है। नक्सलवादी आंदोलन में हिंसा और भय का तत्व भी उसे आतंकवाद की ओर ले जाता है। पर कुछ पुराने नक्लवादी संगठन हिंसा की रणनीति त्याग कर संसदीय लोकतंत्र में शामिल हो गए हैं।

TRP क्या है और किस प्रकार काम करती है?
आशुतोष सोनी,ग्राम- कनवास, जिला- कोटा (राजस्थान)
ashutoshsoni7@gmail.com
टारगेट रेटिंग पॉइंट(टीआरपी) का उद्देश्य टेलीविज़न के दर्शकों की संख्या का अनुमान लगाना है। इसका सबसे प्रचलित तरीका है फ्रीक्वेंसी मॉनीटरिंग। कुछ सैम्पल घरों में पीपुल मीटर लगाए जाते हैं, जो टीवी पर देखे जा रहे कार्यक्रमों की फ्रीक्वेंसी दर्ज करते हैं। इसे डिकोड करके पता लगाया जाता है कि किस चैनल को कितना देखा गया। अब फ्रीक्वेंसी की जगह तस्वीर को रिकॉर्ड करने की तकनीक भी स्तेमाल में लाई जा रही है। भारत में इंडिया टेलीविज़न ऑडियंस मैज़रमेंट या इनटैम इस काम को करने वाली एजेंसी है। इसका उद्देश्य विज्ञापनदाताओं को यह बताना है कि किस चैनल की और किस कार्यक्रम की ज्यादा लोकप्रियता है।

मध्यमान सागर स्तर (मीन सी लेवल) क्या है?
त्रिलोक नायक, triloknayak07@gmail.com

आप जानते ही हैं कि सागर का स्तर समान नहीं रहता। ज्वार-भाटा के साथ बढ़ता या घटता है। मध्यमान सागर स्तर का मतलब है सागर की सतह का औसत स्तर। यानी ज्वार के उच्चतम स्तर और भाटा के निम्नतम स्तर के बीच की स्थिति।

एक क्यूसेक में कितने लीटर होते हैं?
हरीश, सीकर

क्यूसेक बहते पानी या तरल का पैमाना है और लिटर स्थिर तरल का। क्यूसेक माने होता है क्यूबिक फीट पर सेकंड। यानी एक फुट चौड़े, एक फुट लम्बे और एक फुट गहरे स्थान से क सेकंड में जितना पानी निकल सके। सामान्यतः एक क्यूसेक में 28.317 लिटर पानी होता है।

भारत में मेट्रो का इतिहास क्या है? इसके बारे में जानकारी दें।sukhram5694@gmail.com
भारत में सबसे पहले मेट्रो गाड़ी कोलकाता में शुरू हुई। कोलकाता मेट्रो भूमिगत रेल प्रणाली है, जिसे सोवियत संघ की मदद से शुरू किया गया था। यह भारतीय रेलवे के अंतर्गत आती है और इसे मंडलीय रेलवे का स्तर प्रदान किया गया है। 1984 में शुरू हुई यह भारत की प्रथम भूमिगत एवं मेट्रो प्रणाली थी। इसके बाद दिल्ली मेट्रो 2002 में आरंभ हुई थी। दिल्ली मेट्रो रेल दिल्ली मेट्रो रेल निगम कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) द्वारा संचालित है। 24 दिसंबर 2002 को शाहदरा- तीस हजारी लाइन से इसकी शुरूआत हुई। प्रारंभिक योजना यह छह मार्गों पर चलाई गई, जो दिल्ली के ज्यादातर हिस्से को जोड़ते थे। इस प्रारंभिक चरण को 2006 में पूरा किय़ा गया। बाद में इसका विस्तार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सटे शहरों गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गाँव और नोएडा तक किया गया। इस परिवहन व्यवस्था की सफलता से प्रभावित होकर भारत के दूसरे राज्यों में भी इस पर काम चल रहा है जैसे जयपुर, मुम्बई, बेंगलुरू, हैदराबाद, चेन्नई, कोच्चि वगैरह। बेंगलुरू मेट्रो शुरू भी हो गई है।

क्रिकेट खिलाड़ियों की ड्रेस पर शर्ट पीछे लिखे नम्बर का क्या मतलब है?
अंकित मौर्य, ललित बडेरा ru9lalit@gmail.com
फुटबॉल और हॉकी जैसे खेलों में परम्परा से खिलाड़ियों की जर्सी पर लिखे नम्बरों से उनकी पोज़ीशन का पता लगता था। जैसे कि गोली का नम्बर 1 होता था, फुलबैक का 2 और हाफ बैक का 3 वगैरह। पर धीरे-धीरे मैच के दौरान इतने बदलाव होने लगे और खिलाड़ियों की पोज़ीशन तेजी से बदलने लगीं कि वह व्यवस्था चल नहीं पाई। अलबत्ता नम्बर होने से खिलाड़ी को पहचानना आसान होता है, इसलिए प्रतियोगिताओं में जर्सी नम्बर दिए जाते हैं। क्रिकेट में जर्सी नम्बर नहीं होते थे। हाँ क्रिकेट में टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों को नम्बर देने की परम्परा है। जैसे कि 15 मार्च 1887 को इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए पहले टेस्ट मैच के खिलाड़ी टॉमस आर्मिटेज इंग्लैंड के नम्बर एक टेस्ट खिलाड़ी हैं। यह नम्बर उन्हें अकारादिक्रम में ए से नाम होने के कारण मिला। इसी तरह 20 अगस्त 2009 को इंग्लैंड की टीम में शामिल हुए जोनाथन ट्रॉट इंग्लैंड के 645 नम्बर के टेस्ट खिलाड़ी थे। प्रायः यह संख्या टेस्ट खिलाड़ी की टोपी या कमीज पर बने टीम के चिह्न के नीचे लिखी जाती थी। यह बहुत छोटे अक्षरों में होती थी और दूर से पढ़ी भी नहीं जाती थी। पीठ के पीछे लिखी संख्याएं 1995-96 में ऑस्ट्रेलिया में पहली बार शुरू हुई वर्ल्ड सीरीज़ एकदिनी क्रिकेट के दौरान इस्तेमाल में लाईं गईं। खेल को रोचक बनाने का क तरीका यह भी था। इसमें खिलाड़ियों को नम्बर दिए जाते थे और कई बार खिलाड़ी अपनी पसन्द का नम्बर खुद चुनते। खिलाड़ियों के नाम भी पीठ पर लिखे जाने लगे। विश्व कप क्रिकेट में खिलाड़ियों के नम्बरों का पहला इस्तेमाल 1999 के विश्व कप से शुरू हुआ। इसमें कप्तान 1 नम्बर की जर्सी पहनते और शेष खिलाड़ियों को 2 से 15 तक के नम्बर मिलते। पर इसमें भी कोई नियमितता नहीं थी। मसलन दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोन्ये 5 नम्बर की जर्सी पहनते और ओपनर गैरी कर्स्टन 1 नम्बर की। अब यह फैशन में भी है। कुछ जर्सी नम्बर मशहूर हैं जैसे सचिन तेन्दुलकर का 10, महेन्द्र सिंह धोनी का 7 या क्रिस गेल का 333।




































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