ब्रिक्स, दक्षेस, जी-8 और जी-20 की विशेषताएं, कार्य, वैश्विक पटल पर इनके योगदान आदि के
बारे में बताइए?
आपने कुछ देशों के
औपचारिक-अनौपचारिक संगठनों और समूहों के नाम गिनाए हैं। ये समूह विभिन्न
उद्देश्यों को लेकर बने हैं। संक्षेप में इनका परिचय इस प्रकार हैः-
ब्रिक्स (BRICS). ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण
अफ्रीका के अंग्रेज़ी में नाम के प्रथमाक्षरों से इस समूह का यह नामकरण हुआ है। सन
2010 में दक्षिण अफ्रीका के इसमें शामिल होने से पहले इसका नाम "ब्रिक"।
रूस को छोडकर इस समूह के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगिक देश हैं जिनकी
अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। यह समूह बनाने के लिए शुरुआती चार ब्रिक देशों
ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन के
विदेश मंत्री सितंबर 2006 में न्यूयॉर्क शहर में मिले और
उच्च स्तरीय बैठकों की एक श्रृंखला की शुरुआत की। इसके बाद 16 मई 2008 एक बड़ा
सम्मेलन येकतेरिनबर्ग, रूस में आयोजित किया गया था। इसके
बाद 16 जून 2009 को ब्रिक समूह का पहला औपचारिक शिखर सम्मेलन, येकतेरिनबर्ग में ही हुआ। इसमें लुइज़ इनासियो लूला डा
सिल्वा (ब्राजील), दिमित्री मेदवेदेव(रूस), डॉ मनमोहन सिंह (भारत) और हू जिन्ताओ (चीन) शामिल हुए। यह
समूह आपसी सहयोग के अलावा वैश्विक अर्थ-व्यवस्था की दशा-दिशा पर विचार-विमर्श करता
है। ब्रिक्स का छठा शिखर सम्मेलन 15-16 जुलाई, 2014 को ब्राज़ील के फोर्टालेज़ा और ब्रासीलिया में आयोजित किया गया। इसका
मुख्य विषय था, ”समावेशी वृद्धि, सतत विकास।”
साउथ एशियन एसोसिएशन ऑफ रीजनल
को-ऑपरेशन–सार्क, जिसका हिन्दी में संक्षेप नाम दक्षेस है, दक्षिण एशिया के
आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है। इसकी स्थापना 8 दिसम्बर 1985 को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान ने मिलकर की थी। अप्रैल 2007 में संघ के 14
वें शिखर सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान इसका आठवाँ सदस्य देश बना।
जी-8. ग्रुप ऑफ 8 दुनिया की आठ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का मंच है। इसका न तो कोई
मुख्यालय है और न कोई औपचारिक संगठन। जी-8 बनाने के पीछे सोच यह था कि लंबे-चौड़े
तामझाम से बचकर इन देशों के शीर्ष नेता सीधे-सीधे अनौपचारिक तरीके एक दूसरे से बात
कर सकें। जी-8 का मेज़बान देश ही सम्मेलन की तैयारियाँ करता है और उसका ख़र्च
उठाता है। 1970 के दशक में तेल संकट और आर्थिक मंदी के माहौल के बीच महसूस किया
गया कि दुनिया के अहम देशों के नेताओं के लिए खुलकर बात करने का कोई मंच होना
चाहिए। इसी के बाद 1975 में फ्रांस में जी-6 की स्थापना हुई। इसके छह सदस्य थे–
फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और
अमेरिका. 1976 में कनाडा और 1998 में रूस भी इनके साथ जुड़ा और बन गया जी-8। हाल में यूक्रेन के संकट के बाद 24 मार्च को इस फोरम से जुड़े देशों ने रूस को
इससे बाहर करने का फैसला किया। इस प्रकार अब यह जी-7 है।
जी-20. 25 सितंबर 1999 को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में विश्व के सात प्रमुख
देशों के संगठन जी-7 ने एक नया संगठन बनाने की घोषणा की थी। उभरती आर्थिक ताक़तों
की बुरी वित्तीय स्थिति से बने चिंता के माहौल के बीच गठित इस संगठन का नाम दिया
गया-जी 20। उस वक्त यह विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय
बैंक के गवर्नरों के संगठन के रूप में सामने आया था, जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ
शामिल थे। इन देशों के अलावा इसके सम्मेलनों में दुनिया भर के तमाम संगठनों और
देशों को समय-समय पर निमंत्रित किया जाता है। वस्तुतः इस समय दुनिया की आर्थिक
परिघटनाओं, खासतौर से वैश्विक मंदी के मद्दे-नजर यह सबसे प्रभावशाली संगठन है। इस
संगठन का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है, पर अब प्रयास किया जा रहा है कि स्थायी
सचिवालय बने। इसकी अध्यक्षता हर साल बदलती है। इस समय ऑस्ट्रेलिया के पास है। इस
साल इसका शिखर सम्मेलन नवम्बर में ब्रिसबेन, ऑस्ट्रेलिया में हुआ और अगले साल शिखर
सम्मेलन तुर्की में होगा। अध्यक्षता भी तुर्की के पास होगी।
राजस्थान पत्रिका में प्राकशित 21 दिसम्बर 2014
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