हम जानते हैं कि धरती अपनी धुरी पर 24 घंटे में पूरी तरह घूमती है। इस 24 घंटे को हम एक दिन कहते हैं। दिन को हमने 24 घंटों में बाँटा। इन 24 में से आधे में दिन और आधे में रात होती है। इसलिए 12 घंटे की घड़ी होती है। दिन और रात को अंग्रेजी में एएम और पीएम लिखकर हम पहचानते हैं। यों 24 घंटे वाली घड़ियां भी होती हैं। रेलवे की घड़ी में तो 23 और 24 भी बजते हैं।
प्रतिदिन कितने सोडियम की मात्रा खाने में शामिल करनी चाहिए?
सामान्य नमक का रासायनिक नाम सोडियम क्लोराइड होता है. ढाई ग्राम नमक में तकरीबन एक ग्राम सोडियम होता है. नमक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी भी है, पर उसकी अधिकता नुकसानदेह होती है. सोडियम शरीर में विभिन्न तरल पदार्थों के स्तर को नियंत्रित करता है जो हमारे शरीर में रक्त का निर्माण करते हैं, लेकिन हमारे भोजन में प्राकृतिक रूप से भी नमक काफी पाया जाता है. खाद्य पदार्थ बनाने वाली कम्पनियां आजकल 75 प्रतिशत नमक युक्त खाद्य पदार्थ बनाती हैं. फूड को जितना प्रोसेस्ड किया जाता है, उसमें उतनी ही नमक की मात्रा बढ़ती जाती है. भले ही प्रोसेस्ड फूड खाने में नमकीन न लगें, लेकिन उनमें सोडियम काफी मात्रा में होता है. नमक शरीर के नर्वस सिस्टम और मांसपेशियों में विद्युतीय आवेगों पर नियंत्रण रखता है व शरीर को छोटी आंत से जो पोषक तत्व मिलते हैं, उन्हें सोखने में मदद करता है. कोशिकाओं के बाहर जो द्रव होता है, उसकी मात्रा को बनाए रखता है. इस वजह से ब्लड प्रेशर ठीक रहता है. अत्यधिक नमक के सेवन से ऑस्टियोपोरिसस हो सकता है. हाई ब्लड प्रेशर भी हो सकता है. हमें दिनभर में केवल लगभग 5या 6 ग्राम नमक की जरूरत होती है, यानी तकरीबन दो ग्राम सोडियम की. लेकिन हम इससे कहीं ज्यादा नमक खाते हैं. गरमियों और बरसात के उमस भरे मौसम में पसीना बहुत आता है, इसलिए इसकी मात्रा बढ़ा कर 5-8 ग्राम कर देनी चाहिए.
दुनिया में ऐसे कितने देश हैं जहां डेमोक्रेसी नहीं है ?
घना, म्यांमार और वैटिकन सिटी किसी न किसी रूप में लोकतंत्र की परिधि से बाहर के देश हैं। इसके अलावा सउदी अरब, जॉर्डन मोरक्को, भूटान, ब्रूनेई, कुवैत, यूएई, मोरक्को, बहरीन, ओमान, कतर,स्वाज़ीलैंड में राजतंत्र है। इन देशों में लोकतांत्रिक संस्थाएं भी काम करती हैं। नेपाल में कुछ साल पहले तक राजतंत्र था, पर अब वहाँ लोकतंत्र है। दुनिया के 200 के आसपास देश हैं, जिनमें से तीस से चालीस के बीच ऐसे देश हैं, जो लोकतंत्र के दायरे से बाहर हैं या उनमें आंशिक लोकतंत्र है। जिन देशों में लोकतंत्र है भी उनमें भी पूरी तरह लोकतंत्र है या नहीं यह बहस का विषय है।
हिम मानव किसे कहते हैं, क्या ये वाकई में होते हैं?
भारत, नेपाल और तिब्बत के दुर्गम तथा निर्जन हिमालयी क्षेत्रों में सैकड़ों वर्षों से रहस्यमय हिम मानव के अस्तित्व को लेकर अनेक किस्से-कहानियां प्रचलित हैं। ‘यति’ नाम से प्रसिद्ध इस कथित हिम मानव को अब तक सैकड़ों लोगों द्वारा देखने का दावा किया जाता रहा है। यति को देखने का दावा करने वालों का कहना है कि शरीर पर काले भूरे घने बालों वाला ये रहस्यमय प्राणी सात से नौ फुट लंबा होता है जो किसी दानव की तरह दिखता है। इसका वजन तक़रीबन दो सौ किलो हो सकता है। इसकी ख़ासियत है कि यह इंसान की तरह दो पैरों पर चलता है। हिम मानव होते हैं या नहीं, हम नहीं कह सकते। ऐसा प्राणी कभी मिला नहीं।
फरवरी में ही सबसे कम दिन क्यों होते हैं? लीप वर्ष न हो तो क्या होगा?
लीप वर्ष का अतिरिक्त दिन 29 फ़रवरी महत्त्वपूर्ण है। इस महीने के लिए ऐसी व्यवस्था करने के पीछे का कारण धरती के सूर्य की परिक्रमा करने से जुड़ा हुआ है। पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365.242 दिन लगते हैं अर्थात एक कैलेंडर वर्ष से चौथाई दिन अधिक। अतः प्रत्येक चौथे वर्ष कैलेंडर में एक दिन अतिरिक्त जोड़ना पड़ता है। इस बढ़े दिन वाले साल को लीप वर्ष या अधिवर्ष कहते हैं। यह अतिरिक्त दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर में लीप वर्ष का 60वाँ दिन बनता है अर्थात 29 फ़रवरी।
यदि 29 फ़रवरी की व्यवस्था न हो तो हम प्रत्येक वर्ष प्रकृति के कैलेंडर से लगभग छह घंटे आगे निकल जाएँगे, यानी एक सदी में 24 दिन आगे। यदि ऐसा हुआ तो मौसम को महीने से जोड़ कर रखना मुश्किल हो जाएगा। यदि लीप वर्ष की व्यवस्था ख़त्म कर दें तो आजकल जिसे मई-जून की सड़ी हुई गर्मी कहते हैं वैसी स्थिति 500 साल बाद दिसंबर में आ जाएगी।
प्रतिदिन कितने सोडियम की मात्रा खाने में शामिल करनी चाहिए?
सामान्य नमक का रासायनिक नाम सोडियम क्लोराइड होता है. ढाई ग्राम नमक में तकरीबन एक ग्राम सोडियम होता है. नमक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी भी है, पर उसकी अधिकता नुकसानदेह होती है. सोडियम शरीर में विभिन्न तरल पदार्थों के स्तर को नियंत्रित करता है जो हमारे शरीर में रक्त का निर्माण करते हैं, लेकिन हमारे भोजन में प्राकृतिक रूप से भी नमक काफी पाया जाता है. खाद्य पदार्थ बनाने वाली कम्पनियां आजकल 75 प्रतिशत नमक युक्त खाद्य पदार्थ बनाती हैं. फूड को जितना प्रोसेस्ड किया जाता है, उसमें उतनी ही नमक की मात्रा बढ़ती जाती है. भले ही प्रोसेस्ड फूड खाने में नमकीन न लगें, लेकिन उनमें सोडियम काफी मात्रा में होता है. नमक शरीर के नर्वस सिस्टम और मांसपेशियों में विद्युतीय आवेगों पर नियंत्रण रखता है व शरीर को छोटी आंत से जो पोषक तत्व मिलते हैं, उन्हें सोखने में मदद करता है. कोशिकाओं के बाहर जो द्रव होता है, उसकी मात्रा को बनाए रखता है. इस वजह से ब्लड प्रेशर ठीक रहता है. अत्यधिक नमक के सेवन से ऑस्टियोपोरिसस हो सकता है. हाई ब्लड प्रेशर भी हो सकता है. हमें दिनभर में केवल लगभग 5या 6 ग्राम नमक की जरूरत होती है, यानी तकरीबन दो ग्राम सोडियम की. लेकिन हम इससे कहीं ज्यादा नमक खाते हैं. गरमियों और बरसात के उमस भरे मौसम में पसीना बहुत आता है, इसलिए इसकी मात्रा बढ़ा कर 5-8 ग्राम कर देनी चाहिए.
दुनिया में ऐसे कितने देश हैं जहां डेमोक्रेसी नहीं है ?
घना, म्यांमार और वैटिकन सिटी किसी न किसी रूप में लोकतंत्र की परिधि से बाहर के देश हैं। इसके अलावा सउदी अरब, जॉर्डन मोरक्को, भूटान, ब्रूनेई, कुवैत, यूएई, मोरक्को, बहरीन, ओमान, कतर,स्वाज़ीलैंड में राजतंत्र है। इन देशों में लोकतांत्रिक संस्थाएं भी काम करती हैं। नेपाल में कुछ साल पहले तक राजतंत्र था, पर अब वहाँ लोकतंत्र है। दुनिया के 200 के आसपास देश हैं, जिनमें से तीस से चालीस के बीच ऐसे देश हैं, जो लोकतंत्र के दायरे से बाहर हैं या उनमें आंशिक लोकतंत्र है। जिन देशों में लोकतंत्र है भी उनमें भी पूरी तरह लोकतंत्र है या नहीं यह बहस का विषय है।
हिम मानव किसे कहते हैं, क्या ये वाकई में होते हैं?
भारत, नेपाल और तिब्बत के दुर्गम तथा निर्जन हिमालयी क्षेत्रों में सैकड़ों वर्षों से रहस्यमय हिम मानव के अस्तित्व को लेकर अनेक किस्से-कहानियां प्रचलित हैं। ‘यति’ नाम से प्रसिद्ध इस कथित हिम मानव को अब तक सैकड़ों लोगों द्वारा देखने का दावा किया जाता रहा है। यति को देखने का दावा करने वालों का कहना है कि शरीर पर काले भूरे घने बालों वाला ये रहस्यमय प्राणी सात से नौ फुट लंबा होता है जो किसी दानव की तरह दिखता है। इसका वजन तक़रीबन दो सौ किलो हो सकता है। इसकी ख़ासियत है कि यह इंसान की तरह दो पैरों पर चलता है। हिम मानव होते हैं या नहीं, हम नहीं कह सकते। ऐसा प्राणी कभी मिला नहीं।
फरवरी में ही सबसे कम दिन क्यों होते हैं? लीप वर्ष न हो तो क्या होगा?
लीप वर्ष का अतिरिक्त दिन 29 फ़रवरी महत्त्वपूर्ण है। इस महीने के लिए ऐसी व्यवस्था करने के पीछे का कारण धरती के सूर्य की परिक्रमा करने से जुड़ा हुआ है। पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365.242 दिन लगते हैं अर्थात एक कैलेंडर वर्ष से चौथाई दिन अधिक। अतः प्रत्येक चौथे वर्ष कैलेंडर में एक दिन अतिरिक्त जोड़ना पड़ता है। इस बढ़े दिन वाले साल को लीप वर्ष या अधिवर्ष कहते हैं। यह अतिरिक्त दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर में लीप वर्ष का 60वाँ दिन बनता है अर्थात 29 फ़रवरी।
यदि 29 फ़रवरी की व्यवस्था न हो तो हम प्रत्येक वर्ष प्रकृति के कैलेंडर से लगभग छह घंटे आगे निकल जाएँगे, यानी एक सदी में 24 दिन आगे। यदि ऐसा हुआ तो मौसम को महीने से जोड़ कर रखना मुश्किल हो जाएगा। यदि लीप वर्ष की व्यवस्था ख़त्म कर दें तो आजकल जिसे मई-जून की सड़ी हुई गर्मी कहते हैं वैसी स्थिति 500 साल बाद दिसंबर में आ जाएगी।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले के 70 वर्ष में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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