यानी ए के बाद बी फिर सी और फिर डी क्यों नहीं?
की-बोर्ड में अक्षरों को बेतरतीब लगाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि वर्णमाला के सारे अक्षरों का समान इस्तेमाल नहीं होता। चूंकि टाइप करने के लिए दोनों हाथों की उंगलियों का इस्तेमाल होता है, इसलिए ऐसी कोशिश की जाती है कि उंगलियों को कम मेहनत करनी पड़े। अंग्रेजी में सबसे ज्यादा क्वर्टी (QWERTY) की-बोर्ड चलता है। यह क्वर्टी की-बोर्ड में अंकों की पंक्ति के नीचे बनी अक्षरों की पहली पंक्ति के पहली छह की हैं। इस की-बोर्ड को सबसे पहले 1874 में अमेरिकी सम्पादक क्रिस्टोफर शोल्स ने पेटेंट कराया जो टाइपराइटर के विकास के काम से भी जुड़े थे। टाइपराइटर कम्पनी रेमिंग्टन ने इस पेटेंट को उसी साल खरीद लिया। तब से अब तक इसमें एकाध बदलाव हुए हैं। यह की-बोर्ड अब दुनिया भर का मानक बन गया है। इसके अलावा भी की-बोर्ड हैं, पर वे विशेष काम के लिए ही इस्तेमाल में आते हैं। कम्प्यूटर के 101/102 की वाले बोर्ड को सन 1982 में मार्क टिडेंस ने तैयार किया। इसमें भी बदलाव हो रहे हैं क्योंकि कम्प्यूटर का इस्तेमाल बदलता जा रहा है। हिन्दी में रेमिंग्टन, फोनेटिक, लिंग्विस्ट, लाइनोटाइप, देवनागरी, इनस्क्रिप्ट नाम से कई की-बोर्ड प्रचलित हैं। इनमें किसी एक के मानक न होने से हिन्दी टाइप करने वालों के सामने दिक्कतें आती हैं।
की-बोर्ड में अक्षरों को बेतरतीब लगाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि वर्णमाला के सारे अक्षरों का समान इस्तेमाल नहीं होता। चूंकि टाइप करने के लिए दोनों हाथों की उंगलियों का इस्तेमाल होता है, इसलिए ऐसी कोशिश की जाती है कि उंगलियों को कम मेहनत करनी पड़े। अंग्रेजी में सबसे ज्यादा क्वर्टी (QWERTY) की-बोर्ड चलता है। यह क्वर्टी की-बोर्ड में अंकों की पंक्ति के नीचे बनी अक्षरों की पहली पंक्ति के पहली छह की हैं। इस की-बोर्ड को सबसे पहले 1874 में अमेरिकी सम्पादक क्रिस्टोफर शोल्स ने पेटेंट कराया जो टाइपराइटर के विकास के काम से भी जुड़े थे। टाइपराइटर कम्पनी रेमिंग्टन ने इस पेटेंट को उसी साल खरीद लिया। तब से अब तक इसमें एकाध बदलाव हुए हैं। यह की-बोर्ड अब दुनिया भर का मानक बन गया है। इसके अलावा भी की-बोर्ड हैं, पर वे विशेष काम के लिए ही इस्तेमाल में आते हैं। कम्प्यूटर के 101/102 की वाले बोर्ड को सन 1982 में मार्क टिडेंस ने तैयार किया। इसमें भी बदलाव हो रहे हैं क्योंकि कम्प्यूटर का इस्तेमाल बदलता जा रहा है। हिन्दी में रेमिंग्टन, फोनेटिक, लिंग्विस्ट, लाइनोटाइप, देवनागरी, इनस्क्रिप्ट नाम से कई की-बोर्ड प्रचलित हैं। इनमें किसी एक के मानक न होने से हिन्दी टाइप करने वालों के सामने दिक्कतें आती हैं।
जेट लैग एक मनो-शारीरिक दशा है, जो शरीर के सर्केडियन रिद्म में बदलाव आने के कारण पैदा होती है। इसे सर्केडियन रिद्म स्लीप डिसॉर्डर भी कहते हैं। इसका कारण लम्बी दूरी की हवाई यात्रा खासतौर से पूर्व से पश्चिम या पश्चिम से पूर्व एक टाइम ज़ोन से दूसरे टाइम ज़ोन की यात्रा होती है। अक्सर शुरुआत में नाइट शिफ्ट पर काम करने आए लोगों के साथ भी ऐसा होता है। आपका सामान्य जीवन एक खास समय के साथ जुड़ा होता है। जब उसमें मूलभूत बदलाव होता है तो शरीर कुछ समय के लिए सामंजस्य नहीं बैठा पाता। अक्सर दो-एक दिन में स्थिति सामान्य हो जाती है। इसमें सिर दर्द, चक्कर आना, उनींदा रहना, थकान जैसी स्थितियाँ पैदा हो जाती है।
आँसू गैस क्या है?
टियर गैस या आँसू गैस ऐसे रसायनों से बनती है जो आँखों की कॉर्नियल नर्व को उत्तेजित करते हैं जिससे आँखों में तेजी से पानी बहने लगे। इन तत्वों को ओसी, सीएस, सीआर, और सीएन यानी फिनेसाइल क्लोराइट कहते हैं। यह आँखों की म्यूकस मैम्ब्रेन को उत्तेजित करने के अलावा, नाक, मुँह और फेफड़ों पर भी असर करती है। इसका उद्देश्य होता है थोड़ी देर के लिए व्यक्ति को परेशान कर देना। आप जानते ही हैं कि इसका इस्तेमाल दंगे-फसाद को नियंत्रण में लाने के लिए होता है। ये तत्व हमारी आंखों, नाक, मुँह और फेफड़ों की झिल्लियों को उत्तेजित करती हैं जिसकी वजह से आंसू निकलने लगते हैं और हम छींकने और खांसने पर मजबूर कर देते हैं।
दुनिया का सबसे छोटा हवाई अड्डा कहाँ है?
कैरीबियन सागर के द्वीप सबा का हवाई अड्डा दुनिया का सबसे छोटा हवाई अड्डा माना जाता है। इसका रनवे 400 मीटर लम्बा है। इस हवाई अड्डे पर जेट विमान नहीं उतरते क्योंकि उनके लिए कुछ लम्बा रनवे चाहिए।
भारत की जनसंख्या क्या है?
इस समय हमारी जनसंख्या एक अरब 25 करोड़ से ऊपर है। सन 2011 की जनगणना में हमारी जनसंख्या 1,21,01,93,422 थी।
जंगल, पहाड़ और समंदर की अहमियत तो समझ में आती है। क्या रेगिस्तानों की भी कोई उपयोगिता है?
रेगिस्तान धरती के ऐसे इलाके हैं, जहाँ नमी नहीं होती, जिसके कारण वनस्पति विकसित नहीं हो पाती। चूंकि नमी कम होती है, इस कारण वहाँ पानी बरसता भी है तो फौरन भाप बनकर उड़ जाता है, इसलिए ज़मीन के नीचे भी पानी नहीं होता। रेगिस्तान ठंडे भी हो सकते हैं और गरम भी। लद्दाख और तिब्बत में ठंडे रेगिस्तान भी हैं। इनका महत्व जलवायु का संतुलन बनाए रखने में है। हमारे देश में उत्तर भारत में होने वाली बारिश के पीछे रेगिस्तानी इलाकों से उठने वाली गर्म हवाएं हैं, जिनकी जगह लेने के लिए पानी से भरी हवाएं दक्षिण पूर्व से आती हैं।
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
computer kee bord kai bare mai achchi jankari hai dhanyabad
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