Friday, November 4, 2016

डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी क्या होती है?

डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी एक प्रकार का कानूनी संरक्षण है, जो राजनयिकों को दूसरे देश में काम करते वक्त मिलता है. जब उनपर कोई आपराधिक आरोप लगता है तो उनपर स्थानीय अदालतों में कार्रवाई से छूट मिलती है. अलबत्ता उन्हें देश से बाहर किया जा सकता है. इसका आशय है उन्हें देश से सुरक्षित वापस अपने देश में भेजा जा सकता है. यह संरक्षण राजनयिक रिश्तों को लेकर सन 1961 में हुई वियना संधि में कोडीफाई किया गया. ऐसा इसलिए ताकि जिन देशों की आपसी शत्रुता है उनके राजनयिक गलत आरोपों में फँसाए न जा सकें और भयमुक्त होकर काम कर सकें.
बिम्स्टेक क्या है?
बिम्स्टेक (BIMSTEC)  दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी देशों का सहयोग संगठन है. इसमें बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल शामिल हैं। इसका का पूरा नाम है,द बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्नीकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन.इसी से इसका संक्षिप्त नाम बना BIMSTEC. एक तरीके से यह दक्षिण एशिया देशों में पाकिस्तान के साथ भारतीय सहयोग न हो पाने के विकल्प के रूप में उभरा संगठन है. इस समूह में दो देश दक्षिण पूर्वी एशिया के हैं, म्यांमार और थाईलैंड. इसका गठन जून, 1997 में बैंकॉक में किया गया था. तब इसके सदस्य चार देश थे. दिसंबर, 1997 में म्यांमार भी इस समूह से जुड़ गया. फरवरी, 2004 में भूटान और नेपाल भी इसमें शामिल हो गए. 31 जुलाई, 2004 को बैंकॉक में आयोजित इसके पहले सम्‍मेलन में इसका नाम बिम्स्टेक रखने का निर्णय किया गया.
ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्राध्यक्ष कौन है?
ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रपति का पद नहीं है. वहाँ ब्रिटेन की महारानी राष्ट्राध्यक्ष हैं.  उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए वहां गवर्नर जनरल की नियुक्ति होती है. यहां आम चुनाव के जरिए संसद चुनी जाती है और प्रधानमंत्री सरकार के मुखिया होते हैं. सन1999 में देश में इस बात को लेकर जनमत संग्रह हुआ था कि क्या ब्रिटिश महारानी के स्थान पर राष्ट्रपति का चुनाव किया जाए. यह जनमत संग्रह सफल नहीं हुआ.
पृथ्वी गोल क्यों है?
इसकी वजह गुरुत्व शक्ति है. धरती की संहिता इतनी ज्यादा है कि वह अपने आसपास की सारी चीजों को अपने केन्द्र की ओर खींचती है. यह केन्द्र चौकोर नहीं गोलाकार ही हो सकता है. इसलिए उसकी बाहरी सतह से जुड़ी चीजें गोलाकार हैं. इतना होने के बावजूद पृथ्वी पूरी तरह गोलाकार नहीं है. उसमें पहाड़ ऊँचे हैं और सागर गहरे. दोनों ध्रुवों पर पृथ्वी कुछ दबी हुई और भूमध्य रेखा के आसपास कुछ उभरी हुई है.
बीज क्यों अंकुरित होता है?
अंकुरण वह प्रक्रिया है जिसमें कोई पौधा अपने बीज या बीजाणु से विकसित होता है. इसके बाद वह आगे बढ़ता है. वस्तुतः जिस तरह अन्य जीव भ्रूण से अपने पूर्ण रूप में विकसित होते हैं उसी तरह वनस्पतियों का विकास भी होता है. सभी बीजों में एक कवर के भीतर भ्रूण और कुछ भोजन सामग्री होती है. कुछ वनस्पतियाँ ऐसे बीज भी तैयार करतीं हैं, जिनमें भ्रूण नहीं होते. उनमें अंकुरण भी नहीं होता. बीजों का अंकुरण कई बार आंतरिक और बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर करता है. बाहरी कारणों में तापमान, नमी, ऑक्सीजन और अंधेरा भी हो सकता है. इससे इनकी कोशिकीय रचना चलने लगती है।
नोबेल पुरस्कार कितनी कैटेगरी में दिए जाते हैं?
नोबेल पुरस्कार की स्थापना स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की याद में 1901 में की गई थी. उनका जन्म 1833 ई. में स्वीडन के शहर स्टॉकहोम में हुआ था. उन्होंने 1866 में डाइनामाइट की खोज की. स्वीडिश लोगों को 1896 में उनकी मृत्यु के बाद ही पुरस्कारों के बारे में पता चला, जब उन्होंने उनकी वसीयत पढ़ी, जिसमें उन्होंने अपने धन से मिलने वाली सारी वार्षिक आय पुरस्कारों की मदद करने में दान कर दी थी. शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वालों को हर साल यह पुरस्कार दिया जाता है. पहले नोबेल पुरस्कार पाँच विषयों में कार्य करने के लिए दिए जाते थे. अर्थशास्त्र के लिए पुरस्कार स्वेरिजेश रिक्स बैंक, स्वीडिश बैंक द्वारा अपनी 300वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में 1967 में आरम्भ किया गया और इसे 1969 में पहली बार प्रदान किया गया. इसे अर्थशास्त्र में नोबेल स्मृति पुरस्कार भी कहा जाता है.
दुनिया में सबसे ज्यादा आकाशीय बिजली कहां गिरती है?
अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था नासा के अनुसार मध्य अफ्रीका के कांगो गणराज्य में सबसे ज्यादा बिजली गिरती है. इस इलाके में लगभग पूरे साल मेघ छाए रहते हैं. अटलांटिक महासागर से लगातार आर्द्र हवाएं आती रहतीं हैं, जो पहाड़ों से टकराती हैं, जिसके कारण आकाशीय बिजली गिरती है. इसके विपरीत उत्तरी ध्रुव के आर्कटिक और दक्षिणी ध्रुव के अंटार्कटिक सागर क्षेत्र से जुड़े क्षेत्रों में बिजली नहीं गिरती. ये इलाके बेहद ठंडे हैं, जिनमें बिजली कड़काने वाले तूफान तैयार होते ही नहीं. 
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित

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