भारतीय रिजर्व बैंक
अधिनियम, 1934 के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार, दस हजार रुपये से अधिक मूल्यवर्ग के बैंकनोट नहीं हो सकते हैं. सिक्काकरण (कॉइनेज)
अधिनियम, 2011 के अनुसार, 1000 रुपये तक के
मूल्यवर्ग के सिक्के जारी किए जा सकते हैं.
"मैं अदा करने का
वचन देता हूँ" इस बात का अर्थ क्या है?
भारतीय रिजर्व बैंक
अधिनियम,1934 की धारा 26 के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक
बैंकनोट का मूल्य अदा करने के लिए जिम्मेदार है. रिज़र्व बैंक द्वारा, मांग पर यह अदायगी बैंक नोट जारीकर्ता होने के नाते है. भारतीय रिज़र्व बैंक
पर बैंकनोट के मूल्य की अदायगी का यह दायित्व किसी संविदा के कारण नहीं सांविधिक
प्रावधानों के कारण है.
बैंकनोट पर मुद्रित वचन
खण्ड "मैं धारक को "क" रुपये अदा करने का वचन देता हूँ" एक
वचन है जिसका अर्थ है कि वह बैंकनोट उस निर्दिष्ट राशि के लिए विधि मान्य मुद्रा
है. भारतीय रिज़र्व बैंक का दायित्व है कि वह उस बैंकनोट के विनिमय में उसके मूल्य
के बराबर राशि के निम्न मूल्यवर्ग के बैंकनोट अथवा भारतीय सिक्काकरण अधिनियम, 2011 के अंतर्गत विधि मान्य अन्य सिक्के दें.
एक रुपया क्या रिजर्व
बैंक की जिम्मेदारी नहीं है?
इंडियन कॉइनेज एक्ट 2011 के अनुसार देश की मुद्रा का वितरण रिज़र्व बैंक करता है. पर इन नियमों के तहत
एक रुपए के नोट या सिक्के ज़ारी करने का दायित्व भारत सरकार का है. रिज़र्व बैंक
के पास 5,10,20,50,100,500 और 1000 रुपए के नोट ज़ारी करने
का अधिकार है. भारत सरकार के पास किसी भी मूल्य का सिक्का ज़ारी करने का अधिकार है.
रुपया अपने आप में सम-मूल्य ‘सम्पदा’ है या सम्पूर्ण मुद्रा है, जो हमारी करेंसी की मूल इकाई भी है. इसके तहत एक रुपए का नोट भी मुद्रा या
कॉइन है. उसपर सिक्के की प्रतिकृति होती है. दूसरी ओर रिज़र्व बैंक कागजी मुद्रा
का सम-मूल्य देने का वचन देता है. वे वचन-पत्र (प्रॉमिज़री नोट) हैं, जबकि सिक्का मुद्रा है.
हाल में इंडियन कॉइनेज
अधिनियम 2011 के पास होने के बाद एक भ्रम पैदा हुआ कि सरकार
एक रुपए का करेंसी नोट नहीं निकाल सकती. सन 1994 के बाद से सरकार ने एक
रुपए का नोट छापना बंद कर दिया था. पर हाल में फिर से नए नोट जारी किए गए हैं. नोटों
को छापने की अलग व्यवस्था नहीं है. भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण
निगम लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) बैंक नोट, सिक्कों, कोर्ट फीस स्टाम्प, सिक्योरिटी पेपर, डाक के लिफाफों वगैरह की
छपाई करता है. इसके अधीन सिक्के ढालने वाली टकसालें भी हैं.
करेंसी पेपर किससे बनता
है?
करेंसी पेपर कॉटन(Cotton) और कॉटन रैग(Cotton
Rag) को मिलाकर बनता है.
बैंक नोटों की मात्रा और
मूल्य कौन तय करता है?
रिज़र्व बैंक मांग
आवश्यकता के आधार पर, हर साल छपने वाले बैंकनोटों की मात्रा और मूल्य
भारत सरकार को बताता है जिसे आपसी परामर्श के बाद अंतिम रुप दिया जाता है. छपने
वाले बैंकनोटों की संख्या मोटे तौर पर बैंकनोटों की मांग को पूरा करने की आवश्यकता, सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर,
संचलन से गंदे बैंकनोटों
को निकाल कर उनकी जगह नए नोट की आवश्यकता और आरक्षित स्टॉक संबंधी अपेक्षाओं आदि
पर निर्भर होते हैं.
ढलने वाले सिक्कों की संख्या
कौन तय करता है?
रिज़र्व बैंक से प्राप्त
मांग पत्रों के आधार पर ढलने वाले सिक्कों की मात्रा भारत सरकार तय करती है.
नोटों और सिक्कों का
उत्पादन कहां होता है?
नोटों की छपाई नासिक, देवास, मैसूर और सालबोनी में स्थित चार मुद्रण प्रेसों
में होती है. सिक्कों की ढलाई मुंबई, नोएडा, कोलकाता और हैदराबाद में स्थित चार टकसालों में की जाती है.
रिज़र्व बैंक जनता तक
करेंसी को कैसे पहुँचाती है?
रिज़र्व बैंक अहमदाबाद, बेंगलुरु, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर,नई दिल्ली, पटना और तिरुवनंतपुर में स्थित अपने 19 निर्गम
कार्यालयों और कोच्चि कार्यालय की एक मुद्रा तिजोरी के साथ ही, मुद्रा तिजोरियों के व्यापक रूप से फैले नेटवर्क के माध्यम से मुद्रा प्रबंधन
का कार्य कर रहा है. ये कार्यालय बैंकनोट मुद्रण प्रेसों से नए बैंक नोट प्राप्त
करते हैं. भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालय वाणिज्यिक बैंकों की निर्दिष्ट
शाखाओं को नये बैंकनोट भेजते हैं.
हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली (मिंट से जुड़े कार्यालय)
स्थित रिज़र्व बैंक के कार्यालय सर्वप्रथम, टकसालों से सिक्के प्राप्त
करते हैं. उसके बाद, ये कार्यालय रिज़र्व बैंक के अन्य कार्यालयों
को सिक्के भेजते हैं, जो उन्हें मुद्रा तिजोरियों और छोटे सिक्का
डिपो को भेजते हैं. बैंकनोट और रुपया सिक्के मुद्रा तिजोरियों तथा छोटे सिक्के
छोटे सिक्का डिपो में रखे जाते हैं. इसके बाद, जनता में वितरण हेतु, बैंकों की शाखाएं उन बैंकनोटों और सिक्कों को मुद्रा तिजोरियों और छोटे सिक्का
डिपो से प्राप्त करती हैं .
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