विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है. इसका
उद्देश्य जनसंख्या सम्बंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना जगाना है. यह 1987 से मनाया
जा रहा है। 11 जुलाई, 1987 को विश्व
की जनसंख्या 5 अरब को पार कर गई थी. तब संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या वृद्धि को
लेकर दुनिया भर में जागरूकता फैलाने का निश्चय किया. अलबत्ता पहला विश्व जनसंख्या दिवस
11 जुलाई 1990 को 90 देशों में मनाया गया. इसके बाद दिसंबर 1990 में संयुक्त
राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव 45/216 पास करके हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या
दिवस मनाने का फैसला किया. तब से इस विशेष दिन को हर साल परिवार कल्याण का संकल्प
लेने के दिन के रूप में याद किया जाने लगा. विश्व की जनसंख्या और दुनिया के 20
देशों की जनसंख्या की नवीनतम स्थिति जानने के लिए आप इस वैबसाइट पर जाकर वर्ल्ड पॉपुलेशन
मीटर देख सकते हैं http://www.worldometers.info/world-population/
ओलिंपिक खेलों में भाग लेने के लिए क्या कोई आयु सीमा भी
है?
ओलिंपिक चार्टर के अनुसार कोई आयु सीमा नहीं है. अलबत्ता
अलग-अलग खेल संघों ने अपनी तरफ से आयु सीमाएं तय कर रखी हैं. मसलन जिम्नास्टिक्स
में 16 साल के कम आयु के प्रतियोगी भाग नहीं ले सकते. सन 2016 के रियो ओलिंपिक में
नेपाल की तैराक गौरिका सिंह ने 13 वर्ष की आयु में ओलिंपिक प्रतिस्पर्धा में
हिस्सा लिया. वे रियो में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थीं. ओलिंपिक खेलों के इतिहास
में सबसे उम्रदराज प्रतिस्पर्धी थे स्वीडन के ऑस्कर स्वॉन, जिन्होंने 1920 की
शूटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया. उस वक्त उनकी उम्र थी 72 साल 281 दिन. रियो
ओलिंपिक में उज्बेकिस्तान जिम्नास्ट ओक्साना चुसोवितीना सबसे बुजुर्ग खिलाड़ी थीं.
उनकी उम्र थी 41 वर्ष. वे सन 1992 के ओलिंपिक से लगातार भाग ले रहीं थीं.
हम अक्सर कहते हैं हाथ या पैर सो गया. यह क्या होता है?
इसे अंग्रेजी में Paresthesia कहते हैं, जिसके लिए हिंदी
में शब्द हैं संवेदनशून्यता या अकड़ना. इसमें थोड़ी देर के लिए
हाथ-पैर या शरीर का कोई दूसरा अंग निर्जीव हो जाता है या झनझनाहट होने लगती है.
इसकी वजह है शरीर की किसी नाड़ी का दब जाना. जिस तरह शरीर में रक्त संचार के लिए
धमनियाँ हैं, उसी तरह शरीर के अंगों का मस्तिष्क से संपर्क नाड़ी तंत्र के माध्यम
से होता है. जब शरीर के किसी हिस्से पर लंबे अर्से तक दबाव पड़ता है तो धमनियों और
नाड़ियों दोनों के काम प्रभावित होते हैं. जैसे ही दबाव हटता है सारी गतिविधियाँ
फिर से शुरू हो जाती हैं.
दो शहरों को जोड़ने वाली सड़कों को हाइवे क्यों कहते हैं?
हाइवे शब्द प्राचीन रोमन साम्राज्य की देन है. रोमन
बादशाहों ने देश के 200 शहरों को सड़कों से जोड़ा था. ऐसी सड़कें पक्की होती थीं
और इतनी अच्छी बनाई जाती थीं कि उनपर से होकर सेना के घुड़सवार दस्ते और रथ वगैरह
आसानी से गुजर सकें. इन्हें जमीन की सामान्य सतह से कुछ ऊँचा बनाया जाता था ताकि दूर
से दिखाई पड़ें और यदि कोई शत्रु हमला करना चाहता है तो वह दिखाई पड़े. बारिश के
बाद इनमें पानी भी नहीं भरता था. इनकी ऊँचाई की वजह से इन्हें हाइवे कहा गया. बाद
में सारी दुनिया में शहरों को जोड़ने वाली सड़कों को हाइवे कहा जाने लगा.
ग्रेट विक्टोरिया रेगिस्तान कहाँ है?
द ग्रेट विक्टोरिया रेगिस्तान ऑस्ट्रेलियन रेगिस्तानों
में से एक है. इस रेगिस्तान का क्षेत्रफल 338,000 वर्ग किमी है. इस रेगिस्तान की यह
विशेषता है कि यहाँ वनस्पति बहुतायत से होती है. ब्रिटेन ने 1952 में जब एटम बम
बनाया तो उसका परीक्षण यहाँ आकर किया.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित