अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के
बीच सुरक्षा से जुड़े मसलों पर अनौपचारिक संवाद को ‘क्वॉड’ का नाम दिया गया है,
जो ‘क्वॉड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग’ का संक्षिप्त रूप है.
इसे हाल के वर्षों में महत्व मिला है. हालांकि इसका घोषित उद्देश्य चीन की शक्ति
के विस्तार को रोकना नहीं है, पर माना जाता है कि चीन
की आर्थिक और सामरिक शक्ति के विस्तार को देखते हुए इसे चलाया जा रहा है. इस
सिलसिले में अनौपचारिक चर्चा 2004 में ही शुरू हो गई थी. उस
साल हिन्द महासागर में सुनामी आई थी. इन चारों देशों ने सहायता कार्य में सहयोग
किया था. इसके सामरिक पहलुओं पर संवाद की शुरुआत सन 2007 में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की पहल पर हुई थी. इस
पहल ने संगठनात्मक रूप नहीं लिया, क्योंकि चीन ने शुरू से
ही इसका विरोध किया. भारत इसमें सकुचाते हुए शामिल हुआ है. मनमोहन सिंह सरकार की ‘लुक ईस्ट’ और नरेन्द्र मोदी की ‘एक्ट ईस्ट’ नीतियों का क्रमिक विकास
हुआ है और अब भी यह शैशवावस्था में है.
सुरक्षा के संदर्भ में
एशिया-प्रशांत की जगह अब हिन्द-प्रशांत या इंडो-पैसिफिक शब्द का इस्तेमाल होने लगा
है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस इलाके में जापानी सेना ने काफी दूर तक बढ़त ले
ली थी. पिछले दो-तीन दशक से भारत इस इलाके में बड़ी ताकत के रूप में उभर रहा है. नेटो
की तरह क्वॉड का औपचारिक संगठन नहीं है, पर जैसे नेटो का उद्देश्य
पहले जर्मनी को और बाद में रूस को रोकना और अमेरिका की भूमिका को स्थापित करना था
उसी तरह इसका उद्देश्य चीन को रोकना है. गत 11-12 नवम्बर को फिलीपींस की राजधानी
मनीला में आसियान शिखर सम्मेलन के हाशिए पर इन चारों देशों के अधिकारियों ने प्रस्तावित
गठजोड़ के सवालों पर विचार किया. चारों देश वैचारिक सहमति की प्रक्रिया में हैं. अब
मंत्रि-स्तरीय बैठकें होंगी और फिर शिखर बैठकें.
मालाबार युद्धाभ्यास क्या
है?
मालाबार युद्धाभ्यास
भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाओं के बीच होने वाला स्थायी वर्षिक सैनिक
युद्धाभ्यास है. मूलतः यह युद्धाभ्यास 1992 में भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के
बीच शुरू हुआ था. सन 1998 में जब भारत ने परमाणु बमों का परीक्षण किया, तो अमेरिका
ने खुद को इस युद्धाभ्यास से अलग कर लिया. उस समय तक दोनों देशों के बीच तीन
युद्धाभ्यास हो चुके थे. अमेरिका पर 11 सितम्बर 2000 के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय
आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के अभयान में भारत भी शामिल हुआ और 2002 के
बाद यह अभ्यास फिर से शुरू हो गया. सन 2007 के युद्धाभ्यास में भारत और अमेरिका के
अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर की नौसेनाएं भी इसमें शामिल हुईं. पहली बार
यह युद्धाभ्यास हिंद महासागर के बाहर जापान के ओकीनावा द्वीप के पास हुआ. सन 2015
से जापान भी इस युद्धाभ्यास का स्थायी सदस्य बन गया. अब इसमें ऑस्ट्रेलिया को भी
शामिल करने का प्रयास है.
वासेनार अरेंजमेंट क्या
है?
भारत हाल में वासेनार
समूह के 42वें सदस्य के रूप में शामिल हुआ है. पारम्परिक शस्त्रों और दोहरे इस्तेमाल
की तकनीक के निर्यात पर नियंत्रण की वासेनार व्यवस्था 42 देशों के निर्यात
नियंत्रण का समूह है. इसकी स्थापना 12 जुलाई 1996 को नीदरलैंड्स के वासेनार नामक
स्थान पर हुई थी. इसका सचिवालय वियेना, ऑस्ट्रिया में है. सन 2001 से ही भारत
अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण से जुड़े चार समझौतों में शामिल होने की माँग करता
रहा है. सन 2008 के न्यूक्लियर डील के बाद अमेरिका ने भारत को इन चारों महत्वपूर्ण
ग्रुपों का सदस्य बनवाने का वादा किया था. ये हैं, न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम, वासेनार अरेंजमेंट और
चौथा ऑस्ट्रेलिया ग्रुप. भारत अब इनमें से दो ग्रुपों का सदस्य है.
राष्ट्रीय गणित दिवस
क्यों मनाते हैं?
भारत में हर साल 22
दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है. यह महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर
रामानुजन का जन्मदिन है. देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 22
दिसंबर 2012 को चेन्नई में रामानुजन की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक
कार्यक्रम में 2012 को राष्ट्रीय गणित और रामानुजन के जन्मदिन 22 दिसंबर को राष्ट्रीय
गणित दिवस घोषित किया था. रामानुजन का जन्म 22 दिसम्बर 1887 को हुआ था.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’सोशल मीडिया पर हम सब हैं अनजाने जासूस : ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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