आमतौर पर कीड़ों का वजन इतना कम होता है कि वे पानी के पृष्ठ तनाव या सरफेस टेंशन को तोड़ नहीं पाते. पानी और दूसरे द्रवों का एक गुण है जिसे सरफेस टेंशन कहते हैं. इसी गुण के कारण किसी द्रव की सतह किसी दूसरी सतह की ओर आकर्षित होती है. पानी का पृष्ठ तनाव दूसरे द्रवों के मुकाबले बहुत ज्यादा होता है. इस वजह से बहुत से कीड़े मकोड़े आसानी से इसके ऊपर टिक सकते हैं. इन कीड़ों का वजन पानी के पृष्ठ तनाव को भेद नहीं पाता. सरफेस टेंशन एक काम और करता है. पेन की रिफिल या कोई महीन नली लीजिए और उसे पानी में डुबोएं. आप देखेंगे कि पानी नली में काफी ऊपर तक चढ़ आता है. पेड़ पौधे ज़मीन से पानी इसी तरीके से हासिल करते है. उनकी जड़ों से बहुत पतली पतली नलियां निकलकर तने से होती हुई पत्तियों तक पहुंच जाती हैं. सन 1995 में प्रतिमाओं के दूध पीने की खबर फैली थी. वस्तुतः पृष्ठ तनाव के कारण चम्मच का दूध पत्थर की प्रतिमा में ऊपर चढ़ जाता था. इसे लोगों ने प्रतिमाओं का दूध पीना घोषित कर दिया.
रबी, खरीफ और जायद में फर्क क्या है?
भारत में ऋतुओं पर आधारित तीन प्रकार की फसलें होती हैं।
रबीः-शीत ऋतु की फसलों को रबी कहा जाता है| इन फसलों को अक्टूबर से दिसंबर के बीच मे लगाया जाता है| फरवरी से अप्रैल के बीच मे इनकी कटाई होती है| रबी में मुख्यतः गेहूं, मटर,चना वगैरह उगाए जाते हैं।
खरीफः-वर्षा ऋतु की फसल होती है खरीफ। इसे मई से जुलाई के बीच मे लगाया जाता है और इनकी कटाई सितम्बर और अक्टूबर के बीच मे की जाती है | इसमें धान, मक्का, जूट, सोयाबीन, बाजरा, कपास, मूँगफली, शकरकन्दग, उर्द, मूँग, लोबिया, ज्वार, तिल, ग्वा,र, जूट, सनई, अरहर, ढैंचा, गन्नाम, सोयाबीन, भिंण्डीर वगैरह को उगाया जाता है।
जायदः- इसे पूरे साल कृत्रिम सिंचाई के माध्यम से उगाया जाता है | ये दो प्रकार की होती है- जायद रबी और जायद खरीफ | जायद खरीफ की फसल को अगस्त से सितम्बर के बीच मे बोते हैं और इसकी कटाई दिसंबर और जनवरी के बीच मे होती है| जायद खरीफ फसल के मुख्य उदहारण है- धान,ज्वार,कपास इत्यादि| जायद रबी की फसल को फरवरी से मार्च के बीच मे बोया जाता है और इसकी कटाई अप्रैल और मई के बीच मे होती है| जायद रबी फसल के मुख्य उदहारण है- खरबूज,तरबूज,सब्जियाँ इत्यादि|
अब पॉली हाउस की मदद से अलग-अलग मौसम में भी खेती हो रही है।
लक्ष्मीतरु क्या है?
लक्ष्मी तरु या सिमारूबा ग्लाउका ( Simarouba Glauca DC) मूलत: उत्तरी अमेरिका का पेड़ है. इसके बीजों से खाद्य तेल बनता है तथा अन्य भाग भी बहुत उपयोगी हैं. इसके बीज से 60 प्रतिशत तक तेल निकाला जा सकता है, जो बायो डीजल का काम करेगा. उससे वाहनों को भी चलाया जा सकेगा. इसे "स्वर्ग का पेड़" (पैराडाइज ट्री) कहा जाता है. नीम और तुलसी की तरह इस पेड़ के औषधीय गुण भी हैं. चिकनगुनिया जैसे बुखार, गैस्ट्रायटिस और अल्सर वगैरह में यह लाभकारी है. देश के कुछ कृषि विश्वविद्यालयों में इस पर शोध चल रहा है.राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
रबी, खरीफ और जायद में फर्क क्या है?
भारत में ऋतुओं पर आधारित तीन प्रकार की फसलें होती हैं।
रबीः-शीत ऋतु की फसलों को रबी कहा जाता है| इन फसलों को अक्टूबर से दिसंबर के बीच मे लगाया जाता है| फरवरी से अप्रैल के बीच मे इनकी कटाई होती है| रबी में मुख्यतः गेहूं, मटर,चना वगैरह उगाए जाते हैं।
खरीफः-वर्षा ऋतु की फसल होती है खरीफ। इसे मई से जुलाई के बीच मे लगाया जाता है और इनकी कटाई सितम्बर और अक्टूबर के बीच मे की जाती है | इसमें धान, मक्का, जूट, सोयाबीन, बाजरा, कपास, मूँगफली, शकरकन्दग, उर्द, मूँग, लोबिया, ज्वार, तिल, ग्वा,र, जूट, सनई, अरहर, ढैंचा, गन्नाम, सोयाबीन, भिंण्डीर वगैरह को उगाया जाता है।
जायदः- इसे पूरे साल कृत्रिम सिंचाई के माध्यम से उगाया जाता है | ये दो प्रकार की होती है- जायद रबी और जायद खरीफ | जायद खरीफ की फसल को अगस्त से सितम्बर के बीच मे बोते हैं और इसकी कटाई दिसंबर और जनवरी के बीच मे होती है| जायद खरीफ फसल के मुख्य उदहारण है- धान,ज्वार,कपास इत्यादि| जायद रबी की फसल को फरवरी से मार्च के बीच मे बोया जाता है और इसकी कटाई अप्रैल और मई के बीच मे होती है| जायद रबी फसल के मुख्य उदहारण है- खरबूज,तरबूज,सब्जियाँ इत्यादि|
अब पॉली हाउस की मदद से अलग-अलग मौसम में भी खेती हो रही है।
लक्ष्मीतरु क्या है?
लक्ष्मी तरु या सिमारूबा ग्लाउका ( Simarouba Glauca DC) मूलत: उत्तरी अमेरिका का पेड़ है. इसके बीजों से खाद्य तेल बनता है तथा अन्य भाग भी बहुत उपयोगी हैं. इसके बीज से 60 प्रतिशत तक तेल निकाला जा सकता है, जो बायो डीजल का काम करेगा. उससे वाहनों को भी चलाया जा सकेगा. इसे "स्वर्ग का पेड़" (पैराडाइज ट्री) कहा जाता है. नीम और तुलसी की तरह इस पेड़ के औषधीय गुण भी हैं. चिकनगुनिया जैसे बुखार, गैस्ट्रायटिस और अल्सर वगैरह में यह लाभकारी है. देश के कुछ कृषि विश्वविद्यालयों में इस पर शोध चल रहा है.राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित
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