NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ
सिटिजंस, देश के नागरिकों के नाम दर्ज करने की एक व्यवस्था है. इन दिनों इसे असम
में अपडेट किया जा रहा है. इसमें उन लोगों के नामों की पुष्टि की जा रही है, जो 24
मार्च 1971 की मध्यरात्रि को या उसके पहले यहाँ रहते थे. इसके पहले सन 1951 में
जनगणना के बाद यह सूची बनी थी. असम में यह काम सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार
हो रहा है, जिसने 17 दिसम्बर 2014 के अपने एक आदेश में कहा था कि 31 दिसम्बर 2017
तक यह सूची जारी कर दी जाए. असम में लम्बे अरसे से बांग्लादेश से आए लोगों की
पहचान करने और उन्हें वापस करने की माँग को लेकर आंदोलन चल रहा है. एनआरसी के
प्रकाशन पर विरोध करने वालों का कहना है कि यह काम मुसलमानों को बाहर निकालने के
लिए किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में इससे संबंधित विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई
चल रही है.
अखिल असम अल्पसंख्यक
छात्र संघ (आम्सू) ने एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के
खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है. आम्सू के विरोध की मुख्य वजह यह है कि गुवाहाटी हाईकोर्ट
ने लगभग 26 लाख लोगों के पहचान के दस्तावेजों को अवैध करार दिया है. इन दस्तावेजों
का सत्यापन पंचायत अधिकारियों व राज्य सरकार के सर्किल अफसरों ने किया था. एनआरसी
के सामने 3.29 करोड़ प्रार्थना पत्र आए हैं. रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई)
ने 31 दिसम्बर 2017 को पहला मसौदा जारी किया है, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों को कानूनी
रूप से भारत का नागरिक माना गया है. बाकी के नामों पर विभिन्न स्तरों पर जांच की
जा रही है.
चींटियाँ एक कतार में
क्यों चलती हैं?
प्रकृति ने सभी
जीव-जंतुओं को दिशा ज्ञान और आपस में सम्पर्क की सामर्थ्य दी है. मधुमक्खियाँ अपने छत्ते
की के आस-पास एक तरह की महक फैलाती हैं ताकि उनकी साथी मधुमक्खियाँ रास्ते से न
भटकें. चींटियाँ दिशा ज्ञान के लिए फ़ैरोमोंस (Pheromones) रसायन की मदद लेती हैं. वे सामाजिक प्राणी हैं
और मिलकर काम करती हैं. उन्हें अपने भोजन के लिए अपने बिल से दूर बाहर जाना होता
है. उनके पास कोई
नक्शा नहीं होता. वे अपने शरीर से एक प्रकार का सेंट जमीन पर छोड़ती जाती हैं. शेष चीटियाँ अपनी नेता
के पीछे चलती जाती हैं. चींटियों की ग्रंथियों से इस रसायन का स्राव होता है. यह स्राव दूसरी चींटियों
को रास्ता बताने का काम करता है. इस रसायन की महक ज्यादा देर टिकती नहीं है इसलिए पीछे आने
वाली चींटियाँ उसे ताज़ा बनाए रखने के लिए उसपर फेरोमोंस लगाती हुई एक के पीछे एक
चलती रहती हैं.
चींटियों के दो
स्पर्शश्रंगिकाएं या एंटीना होते हैं जिनसे वे सूंघने या टोह लेने का काम करती हैं. रानी चींटी भोजन की तलाश
में निकलती है तो फ़ैरोमोंस छोड़ती जाती है. दूसरी चींटियाँ अपने
एंटीना से उसे सूंघती हुई रानी चींटी के पीछे-पीछे चलती हैं. जब रानी चींटी फ़ैरोमोन
बनाना बंद कर देती है तो चीटियाँ, नई चींटी को रानी
चुन लेती हैं. फ़ैरोमोंस का इस्तेमाल दूसरी जगह भी होता है. कोई चींटी कुचल जाए तो
चेतावनी के फ़ैरोमोन का रिसाव करती है जिससे बाकी चींटियाँ सतर्क हो जाती हैं.
बॉलीवुड की फिल्में
शुक्रवार को रिलीज़ क्यों होती हैं?
शुक्रवार को फिल्में
रिलीज़ करने की परम्परा हॉलीवुड से आई है. अमेरिका में हफ्ते में काम करने का
आखिरी दिन शुक्रवार होता है. उसी दिन साप्ताहिक वेतन मिलता है. दो दिन के वीकेंड
का लुत्फ लेने का एक तरीका फिल्में देखना भी हैं. शनिवार और इतवार को सिनेमा
उद्योग की अच्छी कमाई हो जाती है. यों भारत में हर जगह शुक्रवार को ही फिल्में
रिलीज़ नहीं होतीं. लखनऊ में नई फिल्म गुरुवार को लगती है.
कोलम्बस दिवस कब मनाया
जाता है?
क्रिस्टोफर कोलम्बस ने
अमेरिका की खोज 12 अक्टूबर 1492 को की थी. उसकी इस खोज को याद रखने
के लिए हर साल इस दिन को कोलम्बस दिवस के रूप में मनाया जाता है. उस दिन अमेरिका
में ही नहीं, कई देशों में राष्ट्रीय अवकाश होता है. क्रिस्टोफर कोलम्बस की याद
में स्पेन के बार्सिलोना में एक स्मारक भी है. कोलम्बस दिवस मनाने का आरंभ अमेरिका
के कोलेरैडो में 1907 में हुआ. 1937 से इस दिन को अमेरिका में छुट्टी का दिन घोषित
किया गया.
No comments:
Post a Comment