कॉन्सुलर एक्सेस का मतलब है किसी दूसरे देश में
अपने नागरिकों के साथ जरूरत पड़ने पर सम्पर्क. दो देशों के बीच सामान्यतः
दूतावासों के मार्फत सम्पर्क होता है. इन दूतावासों के अधीन कॉन्सल होते हैं, जो
दोनों देशों के कारोबारी रिश्तों को बेहतर बनाने के अलावा अपने देश के नागरिकों के
हितों की रक्षा का काम भी करते हैं. राजनयिक सम्पर्कों के नियमन के लिए सन 1963
में वियेना में एक अंतरराष्ट्रीय संधि हुई थी, जिसमें उन परिस्थितियों का विवरण
दिया गया है, जब दूसरे देश में रह रहे अपने किसी नागरिक को कॉन्सल की मदद की जरूरत
पड़े तो उसका निर्वहन किस प्रकार होगा. इस संधि में 79 अनुच्छेद हैं, जिसके
अनुच्छेद 5 में कॉन्सल के 13 कार्यक्रमों की सूची दी गई है.
इस संधि अनुच्छेद 23 के तहत मेजवान देश को यह
अधिकार दिया गया है कि वह किसी कॉन्सुलर स्टाफ को गैर-जरूरी घोषित करके वापस जाने को कह सके. अनुच्छेद 31 के तहत मेजवान
देश की जिम्मेदारी है कि वह कॉन्सुलेट में प्रवेश न करे और उसकी रक्षा करे. अनुच्छेद
36 के तहत किसी विदेशी नागरिक की गिरफ्तारी होने पर उसके दूतावास या कॉन्सुलेट को
इत्तला दी जानी चाहिए, जिसमें गिरफ्तारी के कारणों को बताया गया हो. हाल में यह
विषय पाकिस्तान में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दी गई सजा के संदर्भ में उठा
है. भारत का कहना है कि हमारे उच्चायोग को न तो गिरफ्तारी की जानकारी दी गई और न
कुलभूषण जाधव से सम्पर्क करने दिया गया.
भारतीय विज्ञान कांग्रेस
भारतीय विज्ञान कांग्रेस
या ‘भारतीय विज्ञान
कांग्रेस संघ’ (Indian Science Congress Association ) भारतीय वैज्ञानिकों की शिखर
शीर्ष संस्था है. इसकी स्थापना सन 1914 में कोलकाता में हुई थी. इसका
मुख्यालय भी कोलकाता में है. हर साल जनवरी के पहले हफ्ते में इसका सम्मेलन होता है
और प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करते हैं. अममून इसके आयोजन का समय और स्थान एक साल पहले
तय कर लिया जाता है. एक माने में देश में नए साल का यह पहला महत्वपूर्ण आयोजन होता
है. इस साल इसका 105 वाँ सम्मेलन 3 से 7 जनवरी तक उस्मानिया विश्वविद्यालय,
हैदराबाद में होना था, जिसे स्थगित कर दिया गया है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों
ने कैंपस में सुरक्षा कारणों से इसकी मेज़बानी करने में असमर्थता जाहिर की है.
पिछले साल तिरुपति में 104वीं भारतीय साइंस कांग्रेस हुई थी. सन 2014 इसका शताब्दी-सम्मेलन
कोलकाता में हुआ था. उस सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रीय
विज्ञान, तकनीक और नवोन्मेष की नई
नीति की घोषणा भी की थी. भारत ने सन 2010 से 2020 के दशक को ‘नवोन्मेष दशक’ (Decade
of Innovations) घोषित किया है.
वायु-प्रदूषण का मानक
क्या है?
इसे एयर क्वालिटी इंडेक्स
(AQI) कहते हैं. यह हवा में
मौजूद प्रदूषणकारी तत्वों की मात्रा को बताता है. इसे कुछ देशों में एयर पॉल्यूशन
इंडेक्स (API) और सिंगापुर में
पॉल्यूटेंट स्टैंडर्ड इंडेक्स (PSI). अलग-अलग देश अपने यहाँ वायु की शुद्धता के अलग-अलग मानक
और अलग-अलग नाम रखते हैं. भारत में केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड और राज्यों
के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने मिलकर देश के 240 शहरों के आँकड़ों के आधार पर ‘नेशनल एयर मॉनिटरिंग
प्रोग्राम(NAMP)’ बनाया है. देशभर में इस
काम के लिए 342 से ज्यादा मॉनिटरिंग स्टेशन हैं. चिकित्सकों, एयर क्वालिटी
विशेषज्ञों, एडवोकेसी समूहों के प्रतिनिधियों तथा प्रदूषण बोर्डों के प्रतिनिधियों
के एक विशेषज्ञ समूह ने आईआईटी कानपुर को अध्ययन का काम सौंपा. आईआईटी और विशेषज्ञ
समूह ने 2014 में AQI कार्यक्रम बनाया.
पुराने मानकों में तीन
पैरामीटर थे, जबकि नई अनुश्रवण प्रणाली में आठ पैरामीटर हैं. दिल्ली, मुम्बई, पुणे
और अहमदाबाद में निरंतर तत्काल डेटा प्रदान करने वाली प्रणालियाँ लगाई गई हैं. वायु
प्रदूषण से जुड़ी छह श्रेणियाँ बनाई गई हैं. ये हैं अच्छा (0-50), संतोषजनक (51-100),
हल्का प्रदूषण (101-200), खराब (201-300), बहुत खराब (301-400) और बेहद खराब Severe (401 से 500). AQI में आठ प्रदूषक तत्वों को शामिल किया
गया है. ये हैं पीएम10, पीएम2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन
डाई मोनोक्साइड, ओज़ोन, अमोनिया और लैड.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नंदा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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