उज्जैन मध्य प्रदेश राज्य
का एक प्रमुख शहर है जो क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है। यह सम्राट विक्रमादित्य का
शहर है। इसके अलावा यह महाकवि कालिदास की नगरी है। कालिदास सम्राट विक्रमादित्य के
दरबार के नवरत्नों में से एक थे। इनको उज्जयिनी अत्यंत प्रिय थी। कालिदास ने अपने
काव्य मेघदूत में इस शहर का सुंदर वर्णन किया है। सम्राट विक्रमादित्य ही महाकवि
कालिदास के वास्तविक आश्रयदाता के रूप में प्रख्यात है।
यहाँ हर 12 वर्ष पर सिंहस्थ
कुंभ मेला लगता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक
महाकाल इस नगरी में स्थित है। इसके दूसरे प्रसिद्ध नाम हैं, अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि है।
उज्जैन मंदिरों की नगरी है। पुराणों और महाभारत में उल्लेख आता है कि वृष्णि-वीर
कृष्ण व बलराम यहाँ गुरु सांदीपनी के आश्रम में विद्याप्राप्त करने हेतु आये थे।
कृष्ण की एक पत्नी मित्रवृन्दा उज्जैन की ही राजकुमारी थी।
दुनिया का पहला बल्ब कब बना?
हम जानते हैं कि पहला बल्ब
टॉमस अल्वा एडीसन ने बनाया था. उन्होंने इस बल्ब में मोटे सूती धागे का फिलामेंट
बनाया था, तो जलने के बाद कार्बन में बदल गया था. यह बल्ब 19 अक्तूबर, 1879 में जलना शुरू हुआ था. यह लगातार रोशनी देता रहा और कुल मिलाकर 48 घंटे और 40 मिनट तक इसने रोशनी
दी और 21 अक्तूबर, 1879 को इसका फिलामेंट टूट गया
और यह बुझ गया. बाद वाली तारीख इसके आविष्कार की तारीख मानी जाती है.
कांग्रेस
पार्टी कब बनी?
भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना, 72 प्रतिनिधियों
की उपस्थिति के साथ 28दिसंबर 1885 को
बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी. इसके प्रथम
महासचिव(जनरल सेक्रेटरी) एओ ह्यूम थे और कोलकता के वोमेश चंद्र बैनर्जी प्रथम
पार्टी अध्यक्ष थे. अपने शुरुआती दिनों में कांग्रेस का दृष्टिकोण एक कुलीन वर्गीय
संस्था का था. स्वराज का लक्ष्य सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया था. 1907 में काँग्रेस में दो दल बन गए. गरम दल और नरम
दल. गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला
लाजपत राय एवं बिपिन चंद्र पाल(जिन्हें लाल-बाल-पाल भी कहा जाता है) कर रहे थे.
नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोज़शाह
मेहता एवं दादा भाई नौरोजी. गरम दल पूर्ण स्वराज की मांग कर रहा था परन्तु नरम दल
ब्रिटिश राज में स्वशासन चाहता था.
प्रथम विश्व
युद्ध के छिड़ने के बाद सन 1916 की लखनऊ
बैठक में दोनों दल फिर एक हो गए और होम रूल आंदोलन की शुरुआत हुई जिसके तहत
ब्रिटिश राज में भारत के लिए अधिराज्य अवस्था(डॉमिनियन स्टेटस) की मांग की जा रही
थी. 1916 में गांधी जी के भारत आगमन के साथ कांग्रेस में बहुत बड़ा बदलाव आया.
चम्पारन एवं खेड़ा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जन समर्थन से अपनी पहली
सफलताएँ मिली. 1919 में जालियाँवाला बाग हत्याकांड के
पश्चात गांधी जी काफी सक्रिय हुए और उनके मार्गदर्शन में कॉंग्रेस जनांदोलन के
रास्ते पर चली.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन सतीश धवन और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDelete