Saturday, May 3, 2025

संसदीय विशेषाधिकार क्या होते हैं?

भारत में संसद सदस्यों और समितियों को दिए गए विशेष अधिकार, उन्मुक्ति और छूट हैं जिन्हें संसदीय विशेषाधिकार कहा जाता है। इनका उद्देश्य संसदीय कार्यों के दौरान सदस्यों को बाहरी दबावों और विधिक दायित्वों से संरक्षण देना है। इनकी व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 105 में और राज्य विधानमंडलों के संदर्भ में अनुच्छेद 194 में निहित हैं। सबसे महत्‍वपूर्ण विशेषाधिकार है सदन और समितियों में स्वतंत्रता के साथ विचार रखने की छूट। सदस्य द्वारा कही गई किसी बात के संबंध में उसके विरूद्ध किसी न्यायालय में कार्रवाई नहीं की जा सकती। कोई सदस्य उस समय गिरफ्तार नहीं किया जा सकता जबकि उस सदन या समिति की बैठक चल रही हो, जिसका वह सदस्य है। अधिवेशन से 40 दिन पहले और उसकी समाप्ति से 40 दिन बाद भी उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। संसद परिसर में केवल अध्‍यक्ष/सभापति के आदेशों का पालन होता है। विशेषाधिकार भंग करने या सदन की अवमानना करने वाले को भर्त्सना, ताड़ना या कारावास की सज़ा दी जा सकती है। सदस्यों के मामले में सदस्यता से निलंबन या बर्खास्तगी भी की जा सकती है। ये दंड सदनों के सामने किए गए अपराधों तक सीमित न होकर सदन की सभी अवमाननाओं पर लागू होते हैं। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 3 मई, 2025 को प्रकाशित



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