Saturday, March 1, 2025

आर्टेमिस कार्यक्रम

बाहरी अंतरिक्ष में अनुसंधान के लिए अमेरिका की पहल पर शुरू हुआ यह अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है। इसमें 2027 तक चंद्रमा पर मनुष्य की यात्रा का प्रयास शामिल है। इसके अलावा इसका लक्ष्य मंगल ग्रह और उससे आगे अंतरिक्ष अन्वेषण का विस्तार करना है। 21 जनवरी 2025 को इस समझौते में फिनलैंड के प्रवेश के साथ, 53 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें यूरोप के 27, एशिया के नौ, दक्षिण अमेरिका के सात, उत्तरी अमेरिका के  पाँच, अफ्रीका के तीन और ओसनिया के दो देश शामिल हैं। समझौते पर मूल रूप से 13 अक्तूबर 2020 को आठ देशों की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए गए थे। ये देश हैं ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इटली, जापान, लक्ज़ेम्बर्ग, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका। जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस कार्यक्रम के समांतर चीन और रूस के नेतृत्व में इंटरनेशनल ल्यूनर रिसर्च स्टेशन (आईआरएलएस) नाम से एक और समझौता भी है। इसका इरादा भी चंद्र सतह पर या चंद्र कक्षा में व्यापक वैज्ञानिक अन्वेषण करना है। इसमें 13 सदस्य देश हैं। भारत इसमें शामिल नहीं है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 1 मार्च, 2025 को प्रकाशित


Saturday, February 22, 2025

अमेरिकी-स्मारक माउंट रशमोर

आपने अमेरिका के एक पहाड़ की तस्वीर देखी होगी, जिसमें कुछ लोगों के चेहरे बने हैं। दुनिया में राष्ट्रीय नेताओं की याद में बना यह अनोखा स्मारक है। इस पहाड़ को माउंट रशमोर कहते हैं। इस पर अमेरिका के चार पूर्व राष्ट्रपतियों जॉर्ज वॉशिंगटन, टॉमस जैफ़रसन, थियोडोर रूज़वेल्ट और अब्राहम लिंकन के चेहरे बनाए गए हैं। साठ फ़ुट लंबे ये चेहरे 5,725 फ़ुट की ऊँचाई पर बने हैं और काफी दूर से दिखाई देते हैं।1923 में इतिहासकार डोने रॉबिनसन के दिमाग में साउथ डकोटा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए माउंट रशमोर का विचार आया था। देश के 30वें राष्ट्रपति (1923-1929) केल्विन कूलिज का आग्रह था कि पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन के साथ, दोनों रिपब्लिकन और डेमोक्रेट को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। मूर्तिकार गुट्ज़ॉन बोर्गलम और 400 कर्मियों ने यह काम 1927 में शुरू करके 1941 में पूरा किया। यह काम पूरा हो ही रहा था कि मार्च 1941 में बोर्गलम का निधन हो गया। तब उनके बेटे लिंकन बोर्गलम ने इस काम को पूरा किया। मूलतः इसमें कमर तक की प्रतिमाएँ बनाने की योजना थी, पर अपर्याप्त धन के कारण इसे इतना ही बनाया जा सका। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 22 फरवरी, 2025 को प्रकाशित


Saturday, February 15, 2025

ध्रुव तारा क्या है?

साहित्य में अक्सर ‘ध्रुव-सत्य’ का इस्तेमाल अटल या अपरिवर्तनीय सत्य के रूप में होता। वास्तव में यह एक तारा नहीं है, बल्कि तारामंडल है, जिसमें छह मुख्य तारे हैं। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में 50वाँ सब से चमकदार तारा है, और लगभग 434 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। मुख्य ध्रुवतारा पोलरिस एए एफ7 श्रेणी का महादानव नक्षत्र है, जो उर्सा माइनर तारामंडल में स्थित है। इसके दो छोटे साथी हैं। पोलरिस एए का द्रव्यमान हमारे सूर्य का 5.4 गुना है। पोलरिस बी का 1.39 सौर द्रव्यमान है। एफ3वी श्रेणी का यह तारा 2400 खगोलीय इकाइयों (एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) की दूरी पर पोलरिस एए की परिक्रमा कर रहा है। धरती से सूरज की दूरी को एक एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट माना जाता है। तीसरा पोलरिस एबी एफ6 तारा है, जिसका द्रव्यमान 1.26 सौर द्रव्यमान है। चूंकि पोलरिस एए सीध में केवल मामूली झुकाव के साथ उत्तरी ध्रुव के ऊपर है इसलिए उसकी स्थिति हमेशा एक जैसी लगती है। सन 3100 के आसपास एक दूसरा तारा-मंडल उसका स्थान ले लेगा। मंदाकिनियों के विस्तार की वजह से धरती और सौरमंडल की स्थिति धीरे-धीरे बदलती है। तीन हजार साल पहले ध्रुव तारा वही नहीं था, जो आज है। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 15 फरवरी, 2025 को प्रकाशित



Sunday, February 9, 2025

यूनिकोड फॉन्ट क्या है?

जब धातु से ढाले गए अक्षरों या फॉन्ट के माध्यम से छपाई होती थी, तब छापाखाने में हरेक भाषा के अलग-अलग केस होते थे। अलग-अलग पॉइंट के, अलग-अलग टाइप फेस को रखना आसान काम नहीं था। कंप्यूटर के आगमन से यह काम कुछ आसान हो गया, पर इंटरनेट के आगमन के बाद गैर-अंग्रेजी, खासतौर से भारतीय भाषाओं के सामने समस्या आई। उन्हें पढ़ने के लिए फॉन्ट को डाउनलोड करने की जरूरत होती थी। यूनिकोड वैश्विक-मानक सॉफ़्टवेयर है, जिसे अमेरिका के यूनिकोड कंसोर्शियम ने वर्णों की एक व्यापक श्रेणी का प्रतिनिधित्व करने के लिए डिज़ाइन किया है। यह सभी भाषाओं के टेक्स्ट को एक ही तरीके से कोडित और प्रदर्शित करने का काम करता है। इसका इस्तेमाल सभी प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम, ब्राउज़र, सर्च इंजन, लैपटॉप, स्मार्टफ़ोन, और पूरे इंटरनेट में होता है। यह फ़ॉन्ट, ग्लिफ़ (यानी लिपि और दूसरे चिह्नों) को यूनिकोड मानक में परिभाषित कोड बिंदुओं पर मैप करता है। इसमें हर अक्षर के लिए एक खास संख्या होती है, जिसे यूनिकोड वर्ण कोड कहते हैं। इंटरनेट का विकास और विस्तार निजी क्षेत्र की कंपनियों ने किया है। इस लिहाज से इसकी उपलब्धि, महत्वपूर्ण और विश्वव्यापी है। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 8 फरवरी, 2025 को प्रकाशित



Tuesday, February 4, 2025

खेल प्रतियोगिताओं के मेडल

खेल की दुनिया का सबसे बड़ा समारोह होता है ओलंपिक। इसकी प्रेरणा यूनान के पुराने खेल समारोहों से ली गई है, जो ईसा से आठ सदी पहले से लेकर ईसा की चौथी सदी तक ओलंपिया में होते रहे। यानी तकरीबन बारह सौ साल तक ये खेल यूनान में हुए। पुराने यूनान में सिर्फ ओलंपिक ही नहीं, चार खेल समारोह होते थे। इन खेलों में विजेता को पदक नहीं दिए जाते थे, बल्कि उनके माथे पर जैतून के उस पेड़ की पत्तियों को बाँधा जाता था, जो ओलंपिया में लगा था। जब 1896 में आधुनिक ओलंपिक खेल शुरू हुए तो जैतून की पत्तियों की जगह मेडल ने ली। 1896 के पहले और सन 1900 के दूसरे ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल नहीं दिए गए। उनमें चाँदी और ताँबे के मेडल क्रमशः विजेता और उपविजेता को दिए गए। 1904 में अमेरिका के मिज़ूरी में तीन मेडलों का चलन शुरू हुआ। ओलंपिक के गोल्ड मेडल का आकार, डिजाइन और वज़न अलग-अलग ओलंपिक खेलों में बदलता रहता है। पदकों के अलावा खेलों में टीमों को ट्रॉफी और शील्ड भी दी जाती हैं। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 1 फरवरी, 2025 को प्रकाशित



Tuesday, January 28, 2025

लड़ाकू विमानों की पीढ़ियाँ

जेट लड़ाकू विमानों की पाँचवीं या छठी पीढ़ियाँ विकास में प्रमुख प्रौद्योगिकी छलाँगों को व्यक्त करती हैं। लड़ाकू विमानों के लिए जेनरेशन या पीढ़ी शब्द पहली बार 1990 के दशक में इस्तेमाल में आया। पहला जेट लड़ाकू विमान, द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में विकसित हुआ था। इसकी मुख्य विशेषता जेट  इंजन के रूप में थी। बाकी मामलों में वह प्रोपेपलर विमानों जैसा ही था। उसमें कोई एवियॉनिक्स-रेडार नहीं था। दूसरी पीढ़ी के विमानों में स्वैप्ट विंग्स, ट्रांससोनिक स्पीड, शुरूआती गन टार्गेटिंग सिस्टम, पहली हीटसीकिंग मिसाइलें थीं। तीसरी पीढ़ी में अधिक उन्नत रेडार प्रणालियाँ, इंफ्रारेड सर्च एंड ट्रैक, रेडार गाइडेड मिसाइलें, सीमित बियोंड विजुअल रेंज मिसाइलें इस्तेमाल में आने लगीं। मैक 2 गति के लिए आफ्टर बर्निंग इंजन का इस्तेमाल हुआ। चौथी पीढ़ी में बेहतर रेडार प्रणाली, लुक डाउन शूट डाउन और कंप्यूटर की सहायता से उड़ान, फ्लाई बाई वायर आदि। चौथी पीढ़ी के बाद 4.5 पीढ़ी के विमानों में एईएसए रेडार, नेटवर्किंग आदि शामिल हुए। पाँचवीं पीढ़ी में सबसे बड़ा तत्व स्टैल्थ यानी लोपन का जुड़ा। विमानों के बीच नेटवर्किंग शुरू हुई। अब छठी पीढ़ी की बातें हैं, पर उसकी विभाजक रेखा अभी स्पष्ट नहीं है। 

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 25 जनवरी 2025 को प्रकाशित



Monday, January 20, 2025

ग्रैंड मास्टर कौन होते हैं?

ग्रैंड मास्टर (जीएम) विश्व शतरंज संगठन फिडे (फ्रेंच फेडरेशन इंटरनेशनेल द एचे) द्वारा प्रदत्त सर्वोच्च उपाधि है। यह उपाधि जीवन भर के लिए होती है।  जीएम बनने की योग्यताएँ बदलती रही हैं। इस समय आधार है 2500+ फिडे क्लासिकल (या मानक) रेटिंग। मानदंड के कई नियम हैं। व्यक्ति को नौ-राउंड वाले फिडे टूर्नामेंट में प्रदर्शन रेटिंग की जरूरत होती है। ग्रैंड मास्टर के अलावा सुपर-ग्रैंडमास्टर शब्द भी प्रचलन में है, पर यह अनौपचारिक है। इसका तात्पर्य 2700+ रेटिंग वाले खिलाड़ी से है। 1950 में दुनिया के 27 खिलाड़ियों को पहला जीएम खिताब दिया गया था। ग्रैंड मास्टर्स में बड़ी संख्या पुरुषों की है।  2024 तक कुल 2000 ग्रैंड मास्टर में से 42 महिलाओं को यह खिताब मिला। महिला ग्रैंडमास्टर खिताब भी होता है, जिसके मापदंड कम कठोर हैं। भारत में 84 ग्रैंड मास्टर हैं, जिनमें तीन महिलाएँ हैं। इसके अलावा 136 इंटरनेशनल मास्टर हैं, जिनमें नौ महिलाएँ हैं। 18 महिला ग्रैंड मास्टर और 43 महिला अंतर्राष्ट्रीय मास्टर भे हैं। मैनुअल आरोन पहले भारतीय थे, जिन्हें 1961 में इंटरनेशनल मास्टर खिताब मिला। विश्वनाथन आनंद 1988 में पहले भारतीय ग्रैंडमास्टर बने।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 18 जनवरी, 2025 को प्रकाशित



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