Tuesday, August 12, 2025

एक से ज्यादा नामों वाले देश

 संविधान में देश के दो नाम हैं, भारत और इंडिया। हिंदुस्तान या हिंदुस्थान भी कहते हैं। पुराने ग्रंथों में जम्बूद्वीप नाम भी है। जापानी भाषा में देश का नाम ‘निप्पॉन’ या ‘निहोन’ है, यानी ‘सूर्य का उद्गम’। ‘जापानअंग्रेजी नाम है, जो संभवतः चीनी उच्चारण ‘रि-बेन’ से लिया गया है। आधिकारिक नाम ‘नीदरलैंड्स’, लेकिन दो प्रमुख प्रांतों (उत्तरी और दक्षिणी हॉलैंड) के कारण ‘हॉलैंड’ भी प्रचलित। ‘म्यांमार’ नाम, 1989 में सैन्य सरकार ने अपनाया। ‘बर्मा’ औपनिवेशिक काल का नाम था। औपनिवेशिक काल में श्रीलंका का नाम सीलोन था, जो 1972 के बाद से श्रीलंका है। हिंदी में चीन कहते हैं, पर चीनी भाषा में ‘चेंग ग्वो’, यानी ‘मध्य साम्राज्य’। ‘चायनाअंग्रेजी में, जो संभवतः छिन वंश से प्रेरित है। कोरिया को कोरियाई भाषा में हानगुक’ कहते हैं। जर्मनी का जर्मन नाम ‘ड्यूशलैंड’ है। फ्रेंच में ‘आलमानी’ और रूसी में ‘निम्स्को’। अरबी भाषा में देश का नाम ‘मिस्र’ है। प्राचीन मिस्रवासी इसे ‘किमेट’ कहते थे, यानी ‘काली भूमि’ (नील नदी की मिट्टी के कारण)। ग्रीक भाषा में देश का नाम ‘हेलास’ है। फ़ारसी और तुर्की प्रभाव के कारण हम इसे ‘यूनान’ भी कहते हैं। ‘स्विस कॉनफेडरेशन’ का ‘हेल्वेटिया’ रोमन काल से लिया गया नाम है।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 2 अगस्त, 2025 को प्रकाशित

 

Saturday, July 12, 2025

रेअर अर्थ क्या होता है?

रेअर अर्थ 17 रासायनिक तत्वों का समूह है, जिसमें 15 लैंथनाइड तत्व (लैंथेनम से ल्यूटेटियम) और स्कैंडियम व इट्रियम शामिल हैं। ये तत्व अपने विशेष भौतिक और रासायनिक गुणधर्मों के कारण उच्च तकनीकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, और अक्षय ऊर्जा उद्योगों में महत्वपूर्ण हैं। इन्हें रेअर या दुर्लभ इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये पृथ्वी की सतह पर केंद्रित रूप में कम पाए जाते हैं, पर ये पूरी तरह से दुर्लभ नहीं हैं। दुनिया में रेअर अर्थ भंडार का सबसे बड़ा स्रोत चीन में है, जहाँ अनुमानित 4.4 करोड़ टन का भंडार है, जो विश्व के सकल भंडार का करीब आधा है। चीन से वैश्विक उत्पादन का लगभग 60-70 प्रतिशत हिस्सा आता है, खासकर बायन ओबो खदान (इनर मंगोलिया) से। ऑस्ट्रेलिया दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक, जिसका भंडार लगभग 40 लाख टन है। भारत में करीब 69 लाख टन के भंडार हैं, जो मुख्यतः मोनाज़ाइट रेत में पाए जाते हैं, जो केरल, तमिलनाडु, और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में हैं। खनन और प्रोसेसिंग में बाधाओं के कारण उत्पादन करीब 2,900 टन है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, और भारत जैसे देश अब अपने संसाधनों को विकसित करने पर ध्यान दे रहे हैं ताकि आपूर्ति श्रृंखला में बाहरी निर्भरता कम हो।

राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 12 जुलाई 2025 को प्रकाशित

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