इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर (आईएसबीएन) किसी किताब की विशिष्ट पहचान है। आमतौर पर यह किताब के पिछले कवर पर, कॉपीराइट पेज पर, या बारकोड के साथ छपा होता है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किताबों की बिक्री और पुस्तकालयों में ट्रैकिंग आसान हो जाती है। यह नंबर हरेक पुस्तक के अलग-अलग संस्करणों और परिवर्धित संस्करणों के लिए अलग होता है। इससे किताबों की वैश्विक-पहचान सुनिश्चित होती है। पुस्तक के पुनर्मुद्रण में नंबर वही रहता है। 1 जनवरी 2007 के पहले यह नंबर दस अंकों का होता था। उसके बाद से यह 13 अंकों का हो गया है। इसकी शुरुआत 1966 में 9 अंकों से हुई थी। इसका मानक इंटरनेशनल स्टैंडर्डाइजेशन ऑर्गनाइजेशन (आईएसओ) ने 1970 में तैयार किया था। इसमें प्रकाशक कोड, शीर्षक कोड, देश/भाषा कोड और अंत में चेक डिजिट होती है। कोई भी पुस्तक बगैर आईएसबीएन नंबर के भी प्रकाशित की जा सकती है। लेखक चाहे तो इसे प्रकाशन के बाद भी हासिल किया जा सकता है। पुस्तकों के अलावा पत्रिकाओं के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड सीरियल नंबर (आईएसएसएन) भी होता है। संगीत रचना के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड म्यूजिक नंबर (आईएसएमएन) होता है। इसकी एक अंतरराष्ट्रीय आईएसबीएन एजेंसी भी है, जो ब्रिटेन में स्थित है।
राजस्थान
पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 7 जून, 2025 को प्रकाशित
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