भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जो अमेरिका, चीन और रूस के बाद आता है। इसके ट्रैक की लंबाई 135,207 किलोमीटर (2024 तक) है, जिसमें रनिंग ट्रैक की लंबाई 109,748 किलोमीटर और रूट की लंबाई 69,181 किलोमीटर है। हमारे यहाँ तीन तरह की पटरियाँ हैं, ब्रॉड गेज़ 1.676 मीटर, मीटर गेज़ 1.00 मीटर, और नैरो गेज़ 76.2 सेमी और 61 सेमी। दुनिया के देशों में पटरियों के बीच की दूरी अलग-अलग होती है। स्टैंडर्ड गेज (1,435 मिमी) दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित है। ब्रॉड गेज़ को इंडियन गेज़ भी कहा जाता है। इसका उपयोग अपेक्षाकृत कम देशों में है। हमारे यहाँ ज्यादातर मेट्रो लाइनें स्टैंडर्ड गेज़ में हैं। दिल्ली में मेट्रो का निर्माण करते समय शुरू में इंडियन गेज़ को और बाद में स्टैंडर्ड गेज़ को अपनाया गया। इस तरह दिल्ली मेट्रो में दो तरह की लाइनें हैं। रेलवे में ब्रॉड गेज़ का संजाल भारत के ज्यादातर हिस्सों में फैला हुआ है। इंडियन गेज़ का निम्नलिखित देशों में भी उपयोग होता है: पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अर्जेंटीना, चिली, नेपाल। अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में आंशिक रूप से इंडियन या ब्रॉड गेज़ का उपयोग होता है।
राजस्थान
पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 28 जून 2025 को प्रकाशित
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