साबुतदाना वैज है या नॉन वैज?
–राघवेन्द्र
इसे साबूदाना (सैगो पर्ल्स) कहते हैं। यह पूरी तरह शाकाहार है। साबूदाना छोटे-छोटे मोती की तरह सफ़ेद और गोल होता है। यह सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से निर्मित स्टार्च है। सैगो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है। मलय द्वीपसमूह के न्यूगिनी क्षेत्र में यह मुख्य भोजन है और आटे के रूप में भी मिलता है। भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था। इसमें टैपियोका की जड़ों को कुचल कर उसके तरल को छानकर उबालते और गाढ़ा करते हैं। फिर इस लेई जैसे गाढ़े पदार्थ को छन्ने से छानकर उसकी बूँदी की तरह छोटी छोटी गोलियां बनाकर सेंक लेते हैं। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है। पकने के बाद यह हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है। भारत में इससे पापड़, खीर और खिचड़ी बनाते हैं। सूप और अन्य चीज़ों को गाढ़ा करने के लिए भी इसका उपयोग होता है। आरारोट भी इसी तरह का एक उत्पाद है ।
इसे साबूदाना (सैगो पर्ल्स) कहते हैं। यह पूरी तरह शाकाहार है। साबूदाना छोटे-छोटे मोती की तरह सफ़ेद और गोल होता है। यह सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से निर्मित स्टार्च है। सैगो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है। मलय द्वीपसमूह के न्यूगिनी क्षेत्र में यह मुख्य भोजन है और आटे के रूप में भी मिलता है। भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था। इसमें टैपियोका की जड़ों को कुचल कर उसके तरल को छानकर उबालते और गाढ़ा करते हैं। फिर इस लेई जैसे गाढ़े पदार्थ को छन्ने से छानकर उसकी बूँदी की तरह छोटी छोटी गोलियां बनाकर सेंक लेते हैं। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है। पकने के बाद यह हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है। भारत में इससे पापड़, खीर और खिचड़ी बनाते हैं। सूप और अन्य चीज़ों को गाढ़ा करने के लिए भी इसका उपयोग होता है। आरारोट भी इसी तरह का एक उत्पाद है ।
सुरेन्द्र
मनुष्य जीवन का उद्देश्य है जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाना। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार सिर्फ इनसान की खासियत है कि वह न सिर्फ परिस्थितियों के अनुसार खुद को बदलता है, बल्कि परिस्थितियों को अपने अनुसार ढाल लेता है। उसकी यह सामर्थ्य तमाम समस्याओं का समाधान देती है, वहीं अपने आप में समस्या भी है। हम इस रंगमंच में कठपुतली की तरह किसी दूसरे की डोरी पर नाचते रह सकते हैं। और चाहें तो अपने प्रयत्न से कुछ नया भी कर सकते हैं। कुछ लोग समूचे समाज की बेहतरी सोचते हैं और कुछ सिर्फ अपनी। अपने उद्देश्यों को परिभाषित करके अपनी भूमिका निभाकर चले जाना भी जीवन एक उद्देश्य है।
सफल जीवन किसको कहते हैं?
मनुष्य जीवन का उद्देश्य है जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाना। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार सिर्फ इनसान की खासियत है कि वह न सिर्फ परिस्थितियों के अनुसार खुद को बदलता है, बल्कि परिस्थितियों को अपने अनुसार ढाल लेता है। उसकी यह सामर्थ्य तमाम समस्याओं का समाधान देती है, वहीं अपने आप में समस्या भी है। हम इस रंगमंच में कठपुतली की तरह किसी दूसरे की डोरी पर नाचते रह सकते हैं। और चाहें तो अपने प्रयत्न से कुछ नया भी कर सकते हैं। कुछ लोग समूचे समाज की बेहतरी सोचते हैं और कुछ सिर्फ अपनी। अपने उद्देश्यों को परिभाषित करके अपनी भूमिका निभाकर चले जाना भी जीवन एक उद्देश्य है।
सफल जीवन किसको कहते हैं?
-आमोद
जो संतोष के साथ बीत जाए। संतोष आपको और आपके पूरे माहौल को। जो सबको अपना मित्र लगे उससे ज्यादा सफल कोई नहीं।
क्या किसी ऐसे ईंधन की खोज हो रही है जो पेट्रोल, डीज़ल, सीएनजी का सब्स्टीट्यूट हो? क्योंकि महंगाई ने हमारी कमर तोड़ दी है।
जो संतोष के साथ बीत जाए। संतोष आपको और आपके पूरे माहौल को। जो सबको अपना मित्र लगे उससे ज्यादा सफल कोई नहीं।
हाइड्रोजन ईंधन की कार |
क्या किसी ऐसे ईंधन की खोज हो रही है जो पेट्रोल, डीज़ल, सीएनजी का सब्स्टीट्यूट हो? क्योंकि महंगाई ने हमारी कमर तोड़ दी है।
-मनीष
ज़रूर खोज हो रही है। पर जो वैकल्पिक स्रोत सामने आ रहे हैं, वे पूरी तरह सफल नहीं हैं। सोलर इनर्जी से चलने वाले वाहन भी बने हैं और बैटरी से चलने वाले भी। हाइड्रोजन के इस्तेमाल की सम्भावनाएं हैं और इससे चलने वाली कारें बनकर आ चुकी हैं।
पेट्रोल के दाम हमारे पड़ोसी मुल्कों में क्या हैं?
ज़रूर खोज हो रही है। पर जो वैकल्पिक स्रोत सामने आ रहे हैं, वे पूरी तरह सफल नहीं हैं। सोलर इनर्जी से चलने वाले वाहन भी बने हैं और बैटरी से चलने वाले भी। हाइड्रोजन के इस्तेमाल की सम्भावनाएं हैं और इससे चलने वाली कारें बनकर आ चुकी हैं।
पेट्रोल के दाम हमारे पड़ोसी मुल्कों में क्या हैं?
–पीयूष
मलेशिया में 25 रु प्रति लिटर के आस पास, पाकिस्तान में करीब 40 रुपए, श्रीलंका में करीब 45 रु और सिंगापुर में करीब 75 रु।
भारत का सबसे अमीर व्यक्ति कौन है?
मलेशिया में 25 रु प्रति लिटर के आस पास, पाकिस्तान में करीब 40 रुपए, श्रीलंका में करीब 45 रु और सिंगापुर में करीब 75 रु।
भारत का सबसे अमीर व्यक्ति कौन है?
–सुनील
अमीरी मापने का कोई पक्का तराजू नहीं है। मोटे तौर पर मुकेश अम्बानी देश के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। उनका रिलायंस ग्रुप कई प्रकार के कारोबारों से जुड़ा है।
अमीरी मापने का कोई पक्का तराजू नहीं है। मोटे तौर पर मुकेश अम्बानी देश के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। उनका रिलायंस ग्रुप कई प्रकार के कारोबारों से जुड़ा है।
सायकिल का आविष्कार कब हुआ और इसे चलाना किसने सिखाया?
-एम के गांधी
डैंडी हॉर्स |
सायकिल के पहले घोड़ागाड़ी, बग्घी वगैरह का आविष्कार हो चुका था। घोड़ागाड़ी भी दो से चार पहिए की बन चुकी थीं। अब दो पहियों को बराबर के बजाय आगे पीछे लगाने की बारी थी। डैंडी हॉर्स नाम से दो पहिए की गाड़ी जर्मन बैरन कार्ल वोन ड्रेज़ ने तैयार की। इसे ड्रेज़ियान भी कहते हैं। ड्रेज़ ने 1817 में जर्मनी के शहर मैनहाइम में और 1818 में पेरिस में प्रदर्शित किया। इसमें चालक गद्दी पर बैठकर पैर से जमीन पर धक्का देकर गाड़ी आगे बढ़ाता था। यह गाड़ी कुछ दूर तक बगैर धक्के के चलती जाती थी। इसके अगले पहिए पर हैंडल होता था। सन 1839 में स्कॉटलैंड के कर्कपैट्रिक मैकमिलन ने इसमें पैडल जोड़े। 1860 के दशक में फ्रेंच पियरे मिशो और पियरे लैलमें ने इसमें क्रैंक ड्राइव जोड़ा और बड़े पैडल अगले पहिए में लगाए।
संडे की छुट्टी कब से शुरू हुई?
संडे की छुट्टी कब से शुरू हुई?
-दिलीप
मूलतः यह ईसाई परम्परा है। बाइबिल के अनुसार ईश्वर ने पृथ्वी की रचना सात दिन में की। और सातवें दिन आराम किया। सातवाँ दिन आराम का और ईश्वर की प्रार्थना का दिन है। यों हर देश में रविवार को छुट्टी नहीं होती। हमारे पड़ोसी देश नेपाल में शनिवार छुट्टी का दिन होता है और रविवार काम का दिन। कुछ मुस्लिम देशों में यह शुक्रवार को होता है।
धनतेरस मनाने की शुरूआत कैसे हुई?
मूलतः यह ईसाई परम्परा है। बाइबिल के अनुसार ईश्वर ने पृथ्वी की रचना सात दिन में की। और सातवें दिन आराम किया। सातवाँ दिन आराम का और ईश्वर की प्रार्थना का दिन है। यों हर देश में रविवार को छुट्टी नहीं होती। हमारे पड़ोसी देश नेपाल में शनिवार छुट्टी का दिन होता है और रविवार काम का दिन। कुछ मुस्लिम देशों में यह शुक्रवार को होता है।
धनतेरस मनाने की शुरूआत कैसे हुई?
-आलोक
दीपावली के एक दिन पहले आयुर्वेद के जन्मदाता धन्वन्तरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए धनतेरस को 'धन्वन्तरि जयन्ती' भी कहते हैं। धन्वंतरि ने 100 प्रकार की मृत्यु का वर्णन किया है। इसमें एक है उम्र के कारण सहज मृत्यु और शेष बीमारी वगैरह के कारण अकाल मृत्यु। धन्वंतरि अकाल मृत्यु के मुकाबले आयुर्वेद लेकर आए। इसी दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। रात्रि होते समय यमराज के निमित्त एक दीपक जलाया जाता है। इस दीप को यमदीप कहते हैं। कहा जाता है कि जिन परिवारों में धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती। दीपावली की सजावट भी आज ही से प्रारम्भ हो जाती है। इस दिन घरों को स्वच्छ कर, लीप—पोतकर, चौक, रंगोली बना सायंकाल के समय दीपक जलाकर लक्ष्मी जी का आवाहन किया जाता है।
कुतुब मीनार के साथ एक और मीनार है। पूरी नहीं बन पाई। क्यों?
दीपावली के एक दिन पहले आयुर्वेद के जन्मदाता धन्वन्तरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए धनतेरस को 'धन्वन्तरि जयन्ती' भी कहते हैं। धन्वंतरि ने 100 प्रकार की मृत्यु का वर्णन किया है। इसमें एक है उम्र के कारण सहज मृत्यु और शेष बीमारी वगैरह के कारण अकाल मृत्यु। धन्वंतरि अकाल मृत्यु के मुकाबले आयुर्वेद लेकर आए। इसी दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। रात्रि होते समय यमराज के निमित्त एक दीपक जलाया जाता है। इस दीप को यमदीप कहते हैं। कहा जाता है कि जिन परिवारों में धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती। दीपावली की सजावट भी आज ही से प्रारम्भ हो जाती है। इस दिन घरों को स्वच्छ कर, लीप—पोतकर, चौक, रंगोली बना सायंकाल के समय दीपक जलाकर लक्ष्मी जी का आवाहन किया जाता है।
कुतुब मीनार के साथ एक और मीनार है। पूरी नहीं बन पाई। क्यों?
मंजीत
इसे अलाई मीनार कहते हैं। अलाउद्दीन खिलजी ने इसका निर्णाण शुरू कराया था। वे कुतुब मीनार से दुगनी ऊँची मीनार बनाना चाहते थे। इस मीनार की बुनियाद के अलावा करीब 80 फुट की ऊँचाई तक काम हो गया था, पर सन 1316 में अलाउद्दीन की मौत के बाद यह काम अधूरा रह गया।
इसे अलाई मीनार कहते हैं। अलाउद्दीन खिलजी ने इसका निर्णाण शुरू कराया था। वे कुतुब मीनार से दुगनी ऊँची मीनार बनाना चाहते थे। इस मीनार की बुनियाद के अलावा करीब 80 फुट की ऊँचाई तक काम हो गया था, पर सन 1316 में अलाउद्दीन की मौत के बाद यह काम अधूरा रह गया।
भारत की पहली कलर्ड फिल्म कौन सी थी?
-सोनी
भारत में पहली रंगीन फिल्म किसान कन्या थी जो 1937 में बनी। इम्पीरियल फिल्म कम्पनी की इस फिल्म के निर्देशक थे मोती बी गिडवानी।
भारत में पहली रंगीन फिल्म किसान कन्या थी जो 1937 में बनी। इम्पीरियल फिल्म कम्पनी की इस फिल्म के निर्देशक थे मोती बी गिडवानी।
छोटी सी ये दुनिया गीत किसने लिखा, कैसे लिखा?
-विजय
सन 1961 की फिल्म रंगोली का यह गीत शैलेन्द्र ने लिखा। यह उस ज़माने का गीत है जब शैलेन्द्र शंकर-जयकिशन के मार्फत काम पाने की कोशिश कर रहे थे। पर सफलता नहीं मिली। निराश होकर उन्होंने एक पर्ची पर एक वाक्य लिखा, छोटी सी ये दुनिया पहचाने रास्ते हैं, कहीं तो मिलोगे तो पूछेंगे हाल। यह पर्ची इन संगीतकारों के पास भेज दी। इन लाइनों ने शंकर-जयकिशन को शर्मिन्दा कर दिया। उन्होंने न सिर्फ शैलेन्द्र को काम दिया, इन पंक्तियों का इस्तेमाल गीत के रूप में किया। देखते ही देखते यह बेहद लोकप्रिय गीत बन गया।
एफएम गोल्ड के कार्यक्रम बारिश सवालों की में शामिल सवाल
सन 1961 की फिल्म रंगोली का यह गीत शैलेन्द्र ने लिखा। यह उस ज़माने का गीत है जब शैलेन्द्र शंकर-जयकिशन के मार्फत काम पाने की कोशिश कर रहे थे। पर सफलता नहीं मिली। निराश होकर उन्होंने एक पर्ची पर एक वाक्य लिखा, छोटी सी ये दुनिया पहचाने रास्ते हैं, कहीं तो मिलोगे तो पूछेंगे हाल। यह पर्ची इन संगीतकारों के पास भेज दी। इन लाइनों ने शंकर-जयकिशन को शर्मिन्दा कर दिया। उन्होंने न सिर्फ शैलेन्द्र को काम दिया, इन पंक्तियों का इस्तेमाल गीत के रूप में किया। देखते ही देखते यह बेहद लोकप्रिय गीत बन गया।
एफएम गोल्ड के कार्यक्रम बारिश सवालों की में शामिल सवाल
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