काँटे-चम्मच से खाने की शुरूआत कब और सबसे पहले कहाँ हुई थी?
-मीरा
काँटे और चाकू का इस्तेमाल हथियार या शिकार के लिए पहले हुआ होगा। इंसान ने शुरू में खाना अपने हाथ से ही शुरू किया था। यों पुराने यूनान में फॉर्क खाने की मेज पर आ गया था। मांसाहारी समाजों में गोश्त को तश्तरी पर रोके रहने और उसे चाकू से काटने के लिए इनकी मदद ली जाती थी। शुरूआती फॉर्क दो काँटे के होते थे। त्रिशूल के इस्तेमाल को देखते हुए ये तीन काँटे के हो गए। इनके साथ चम्मच भी होती है जो पत्थर युग में ईज़ाद कर ली गई थी। इंसान ने सीपियों को शुरू में चम्मच की तरह इस्तेमाल किया। बाद में लकड़ी से चम्मचें बनाईं। खाने को मुँह तक ले जाने के लिए चीनियों ने चॉपस्टिक का इस्तेमाल किया।
चाँद सिर्फ पन्द्रह दिन ही क्यों नज़र आता है?
ऐसा कहना गलत है कि चाँद सिर्फ 15 दिन नज़र आता है। चाँद महीने में एक दिन अपने पूरे आकार में और एक दिन पूरी तरह बेनज़र होता है। पूर्णिमा के बाद चन्द्रमा का आकार छोटा होता जाता है और अमावस्या के रोज़ वह दिखाई नहीं पड़ता। उसके बाद वह फिर से दिखाई पड़ना शुरू होता है और अगली पूर्णिमा के रोज़ पूरा दिखाई पड़ता है। औसतन चन्द्रमा का महीना 29 दिन, 12 घंटे और 44 मिनट का होता है। पर चन्द्रमा के सभी महीने एक बराबर नहीं होते।
सूर्य हमेशा जलता कैसे रहता है और पीला क्यों दिखाई पड़ता है? वह हवा में रुका कैसे है?
नीतीश कुमार, रोहिणी दिल्ली
सूर्य को अक्षय ऊर्जा का भंडार कहते हैं। यानी जो ऊर्जा कभी खत्म नहीं होगी। हालांकि ऐसा नहीं है। बहरहाल सूरज का जलना लकड़ी के जलने जैसा नहीं है, वह एक प्रकार का फ्यूज़न रिएक्टर है जिसके कोर में हाइड्रोजन अणु लगातार हीलियम में बदलते रहते हैं। इसकी गुरुत्व शक्ति इतनी है कि यह फटता नहीं। अनुमान है कि सूरज करीब नौ अरब साल तक हमें ऊर्जा देता रहेगा। वह अपनी उम्र का तकरीबन आधा वक्त तय कर चुका है। जहाँ तक उसके पीले रंग का सवाल है वह हमें सूरज की किरणों के धरती के वायुमंडल में रुकावट के कारण लगता है। शाम को अस्ताचल में कई बार वह लाल भी होता है। अंतरिक्ष में सूरज को देखें तो वह काले आसमान में सफेद दिखाई पड़ेगा।
क्या पानी में आग लगाई जा सकती है?
एक अर्थ में पानी में आग नहीं लगाई जा सकती, क्योंकि पानी आग और गर्मी का उत्पाद है। पर इसमें ऑक्सीजन और हाइड्रोजन हैं जो आग जलाने में सहायक हैं। आपने कभी पानी में चूने को मिलते देखा हो तो पता होगा कि किस तरह से पानी गरम हो जाता है। लिथियम, सोडियम, कैल्शियम, पोटेशियम और केसियम जैसे तत्व पानी से हाइड्रोजन को अलग कर देते हैं। हाइड्रोजन तेजी से जलने वाली गैस है। एक जमाने में हाइड्रोजन लैम्प जला करते थे। उनमें पानी में कोई ऐसा तत्व डाला जाता था, जो हाइड्रोजन को अलग कर दे।
हमें तेज़ रफ्तार चलती गाड़ी में नींद क्यों आती है?
मुन्ना
गाड़ी के रफ्तार में चलने से लगने वाले झटके एक खास लय और ताल में बदल जाते हैं और हम उस छोटे बच्चे की तरह आराम महसूस करते हैं, जिसे थपकी देकर माँ सुलाती है। शरीर को सोने के निर्देश मस्तिष्क देता है। ये निर्देश तभी जाते हैं जब आप खुद को आराम की स्थित में पाते हों।
एटम की नई स्ट्रिंग थ्योरी क्या है?
जसमेर सिंह
आधुनिक फिजिक्स का एक सिद्धांत है कि वैक्यूम में प्रकाश की किरणें जिस गति से चलती हैं उससे तेज गति से कोई चीज़ नहीं चल सकती। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने इस सिद्धांत को अपने सापेक्षता सिद्धांत से जोड़कर मास और इनर्जी का सूत्र E=mc2 था। वैज्ञानिक मानते हैं कि फिजिक्स के नियम किसी भी पर्यवेक्षण में समान रहेंगे। पर स्ट्रिंग थ्योरी पार्टिकल फिजिक्स में क्वांटम मिकेनिक्स और सामान्य सापेक्षता का सामंजस्य करके एक बड़ा सिद्धांत बनाने की कोशिश है। यह अभी परीक्षणों के दौर में है इसलिए इसे पूरी तरह साइंस कहना सम्भव नहीं। बहरहाल हाल में इटली की एक प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने पाया कि CERN(the European Organization for Nuclear Research) से भेजे गए न्यूट्रिनो प्रकाश की गति से तेज यात्रा करते हैं। ये गणनाएं पूरी तरह यही हैं या नहीं, अभी यह कहना सम्भव नहीं। हाँ यदि ये सही होंगी तो भौतिक विज्ञानियों को अपनी धारणाएं बदलनी होंगी। फिलहाल इन गणनाओं को लेकर तमाम थ्योरी हैं।
अंतरिक्ष में मौजूद पिंडों की संहिता या मास को कैसे मापा जाता है?
-तुषार दोशी, गुड़गाँव
इसके लिए आइज़क न्यूटन के लॉ ऑफ युनीवर्सल ग्रेविटेशन का सहारा लिया जता है। जिस तरह हम धरती का मास नापते हैं, उसी तरह सूरज का मास भी नापा जा सकता है।
फोटोसिंथेसिस क्या है? और इसका यह नाम कैसे पड़ा?
इसके लिए आइज़क न्यूटन के लॉ ऑफ युनीवर्सल ग्रेविटेशन का सहारा लिया जता है। जिस तरह हम धरती का मास नापते हैं, उसी तरह सूरज का मास भी नापा जा सकता है।
फोटोसिंथेसिस क्या है? और इसका यह नाम कैसे पड़ा?
फोटोसिंथेसिस या प्रकाश संश्लेषण एक रासायनिक प्रक्रिया है, जो प्रकृति में मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड को जैविक कम्पाउंड में तब्दील करती है। खसतौर से धूप से ऊर्जा लेकर चीनी बनाती है। वनस्पतियाँ, शैवाल यानी एल्गी और बैक्टीरिया की कई किस्मों में फोटोसिथेसिस क्रिया होती है। फोटोसिंथेटिक जीव अपना भोजन अपने आप तैयार करते हैं। धरती पर उपस्थित वायुजीवन के लिए फोटोसिंथेसिस बहुत महत्वपूर्ण है। यह कार्बन डाई ऑक्साइड और पानी का इस्तेमाल करती है और ऑक्सीजन को छोड़ती है, जो अधिकतर जीवधारियों की प्राणवायु है। इस प्रकार वनस्पतियाँ सौर ऊर्जा को भोजन में तब्दील करती है। फोटो का अर्थ प्रकाश है और सिंथेसिस माने संश्लेषण। इसका नाम इसीलिए फोटोसिंथेसिस पड़ा। 1893 में इस प्रक्रिया को फोटोसिंटैक्स नाम दिया, पर धीरे-धीरे प्रचलित नाम फोटोसिंथैसिस हो गया।
पूरी दुनिया में तरह-तरह की कौमें कैसे बनीं? इसके पीछे का इतिहास बताएं
-सारिका
कौमों के अर्थ अनेक हैं। मसलन एक अर्थ है राष्ट्रीयता। दूसरा अर्थ है प्रजाति। तीसरा अर्थ है समुदाय। फिर इनके आधार पर अनेक वर्गीकरण सम्भव हैं। राष्ट्रीयता में एक भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले, एक भाषा बोलने वाले, एक धर्म के अनुयायी और एक प्रकार की संस्कृति के लोग होते हैं। प्रजाति के अर्थ में वंशानुगत या जेनेटिकली समानता वाले लोग आते हैं। संस्कृति और सभ्यता से जुड़े समुदायों की अलग पहचान हैं। इन सबके विकास के कारण अलग –अलग हैं। भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार एडैप्टेशन करने वाले एक खास तरह की कौम बनते हैं। खेती करने वाले समुदाय दूसरे तरह की कौम बनते हैं। युद्धों का सामना करने वाले समुदाय अलग तरह के। यह वर्गीकरण बदलता भी रहता है।
पुरानी दुनिया में कौन-कौन से बड़े शहर हुआ करते थे? रमा
वाराणसी, विजयनगर, तक्षशिला, पटना, रोम, दमिश्क(सीरिया), शियान(चीन), बेरूत, लिसबन, यरूशलम, एथेंस।
हमारे देश का वर्गफल कितना है?
आपका आशय क्षेत्रफल से है। यह है 32 लाख, 87 हजार 263 वर्ग किलोमीटर।
मिसेज एंड मिस्टर 55 में जॉनीवॉकर के साथी कलाकार का नाम क्या था? -अजित सिंह दिल्ली
इस फिल्म में गुरुदत्त, मधुबाला, ललिता पवार, जॉनीवॉकर, यास्मीन, जगदीप और कुक्कू कलाकार थे। आपने स्पष्ट नहीं किया कि किस पात्र के बारे में जानना चाहते हैं। शायद आप यास्मीन के बारे में जानना चाहते हैं, जिनके साथ उनका मशहूर गीत जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी है।
कोणार्क मंदिर का इतिहास क्या है?
कोणार्क का सूर्य मंदिर उड़ीसा के राजा नरसिंहदेव ने तेरहवीं सदी में बनवाया था। इस मंदिर की खासियत है कि यह ओड़िया के साथ द्रविड़ स्थापत्य का अद्भुत समन्वय है। इस मंदिर को सूर्य के रथ के रूप में बनाया गया था, जिसमें चौबीस पहिए लगे थे और जिसे सात घोड़े खींच रहे थे। इस रथ के पहियों की तीलियाँ सौर घड़ी का काम करती हैं। बताते हैं कि इस मंदिर का मंडप करीब 200 फुट ऊँचा था। देश के किसी मंदिर का मंडप इतना ऊँचा नहीं है। इस मंदिर को सन 1508 में बंगाल के सुलतान सुलेमान खान के सिपहसालार काला पहाड़ ने बुरी तरह ध्वस्त कर दिया। धीरे-धीरे यहाँ के पत्थर और प्रतिमाएं गायब होती गईं। पूरा इलाका जंगल बन गया। यहाँ लोग जाने में घबराने लगे। अंग्रेज पुरातत्ववेत्ताओं ने मंदिर के रेत में दबे अवशेषों को निकाला। कोणार्क का चक्र हमारे राष्ट्रीय चिह्न का हिस्सा है।
जैली फिश क्या है? और ये कहाँ पाई जाती हैं?
जैलीफिश शब्द सागर में विचरण करने वाले जीव नाइडेरियनों के लिए प्रयुक्त होता है। इनका आकार छतरी जैसा होता है। इन्हें मछली मानना उचित नहीं होगा। ये कशेरुधारी प्राणी भी नहीं हैं। अलबत्ता समुद्री जीव के रूप में इन्हें भी खाया जाता है। जैलीफिश की कुछ प्रजातियों का दंश जानलेवा भी हो सकता है। ये दुनिया के सभी सागरों में मिलती हैं।
एफएम गोल्ड के कार्यक्रम बारिश सवालों की में 27 अक्तटूबर को प्रस्तुत सवाल। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले चन्द्रप्रभा, कपिला जी, विमलेश और सलीम ज़ैदी
माफ कीजिएगा.... आपकी किस पोस्ट के लिए कमेंट कहाँ लिखूँ यही समझ नहीं अरहा है। बरहाल कांटे और चम्मच वाली पोस्ट के लिए कहना चाहूंगी कि आपने काफी अच्छा लिखा है और बढ़िया जानकारी भी दी है, मैंने कभी इस विषय में सोचा नहीं था।
ReplyDeleteसमय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/2011/10/blog-post_27.html
एक से बढ़कर एक जानकारी
ReplyDeleteGyan Darpan
RajputsParinay
अच्छी सूचना है। मेरे विचार से रोज एक सवाल और उसका जवाब लिखें। शायद वह बेहतर हो।
ReplyDeleteधन्यवाद पल्लवी जी। मैं आपके ब्लॉग को पढ़ता रहा हूँ। आपके ब्लॉग पर ही प्रतिक्रिया लिखूँगा।
ReplyDeleteधन्यवाद उन्मुक्त जी। अभी मैं अपने रेडियो कार्यक्रम और राजस्थान पत्रिका के कॉलम में शामिल सवालों को ही ब्लॉग में शामिल कर रहा हूँ। कादम्बिनी के कॉलम की सामग्री अभी मैने इस्तेमाल नहीं की है। पिछले कुछ वर्षों में प्रकाशित सवालों के जवाबों को इसमें जगह दी जा सकती है। पर मैं अभी पूरी तरह व्यवस्थित नहीं हूँ। हफ्ते में दो लेख दो अखबारों के लिए ताज़ा घटनाक्रम पर लिखता हूँ। समय की कमी और व्यक्तिगत अनुशासन के कारण कई बार झमेला हो जाता है। छोटे जवाब देने के लिए भी कई बार काफी खओजबीन करनी होती है।
काँटे-चम्मच का लेख बहुत पसंद आया हालाँकि आप का लेख हमेशा ही उत्तम रहता है अभूतपूर्व जानकारी के लिए आपको सुक्रिया संजय श्रीवास्तव लखनऊ
ReplyDelete