सृष्टि क्या है, मनुष्य क्या है, जीव जगत क्या है और मनुष्य समाज का प्रकृति से रिश्ता क्या है? ऐसे सवालों के जवाब शुरू में करीब-करीब सभी धर्मों और पंथों ने देने और समझने की कोशिश की थी. इन्हीं कोशिशों में से विज्ञान का जन्म हुआ, जिसने सत्यान्वेषण के तरीके विकसित किए. विज्ञान ने असहमतियों को सम्मान दिया और असहमत विचार की पुष्टि होने पर उसे स्वीकार करना जारी रखा. इसके विपरीत धर्म अपनी धारणाओं पर स्थिर रहे. असहमतियों को अस्वीकार किया गया. धर्मों ने नैतिकता को बचाए रखा है, ऐसी धारणा कितनी सही है, इसकी जानकारी इतिहास के पन्नों में देखें. भावी दिशा क्या है, इसके बारे में आप खुद सोचें.
Friday, April 3, 2020
धर्म और विज्ञान
सृष्टि क्या है, मनुष्य क्या है, जीव जगत क्या है और मनुष्य समाज का प्रकृति से रिश्ता क्या है? ऐसे सवालों के जवाब शुरू में करीब-करीब सभी धर्मों और पंथों ने देने और समझने की कोशिश की थी. इन्हीं कोशिशों में से विज्ञान का जन्म हुआ, जिसने सत्यान्वेषण के तरीके विकसित किए. विज्ञान ने असहमतियों को सम्मान दिया और असहमत विचार की पुष्टि होने पर उसे स्वीकार करना जारी रखा. इसके विपरीत धर्म अपनी धारणाओं पर स्थिर रहे. असहमतियों को अस्वीकार किया गया. धर्मों ने नैतिकता को बचाए रखा है, ऐसी धारणा कितनी सही है, इसकी जानकारी इतिहास के पन्नों में देखें. भावी दिशा क्या है, इसके बारे में आप खुद सोचें.
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