राजस्थान पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 19 अप्रेल, 2025 को प्रकाशित
Sunday, April 20, 2025
‘गिरमिटिया’ प्रथा क्या थी?
सत्रहवीं सदी में अंग्रेज़ों ने भारत से मजदूरों को विदेश ले जाकर उनसे काम कराना शुरू किया। इन मज़दूरों को ‘गिरमिटिया’ कहा गया। गिरमिट शब्द अंग्रेजी के `एग्रीमेंट' शब्द का बिगड़ा हुआ रूप है। जिस कागज पर अँगूठे का निशान लगवाकर मज़दूर भेजे जाते थे, उसे मज़दूर और मालिक `गिरमिट' कहते थे। हर साल 10 से 15 हज़ार मज़दूर गिरमिटिया बनकर फिजी, ब्रिटिश गुयाना, डच गुयाना, ट्रिनीडाड, टोबेगो, दक्षिण अफ्रीका आदि जाते थे। यह प्रथा 1834 में शुरू हुई थी और 1917 में इसे खत्म कर दिया गया। इस प्रथा के विरुद्ध महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से अभियान प्रारंभ किया। भारत में गोपाल कृष्ण गोखले ने इंपीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल में मार्च 1912 में गिरमिटिया प्रथा समाप्त करने का प्रस्ताव रखा। कौंसिल के 22 सदस्यों ने तय किया कि जब तक यह अमानवीय प्रथा खत्म नहीं की जाती तब तक वे हर साल यह प्रस्ताव पेश करते रहेंगे। दिसंबर 1916 में कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भारत सुरक्षा और गिरमिट प्रथा अधिनियम प्रस्ताव रखा। बढ़ते आक्रोश को देखते हुए सरकार ने 12 मार्च, 1917 इस प्रथा को खत्म करने का आदेश गजट में प्रकाशित कर दिया।
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प्रमोदजी!
ReplyDeleteसन्१८३४ से अंग्रेज़ों द्वारा 'एग्रीमेंटेड-लेबरर' भेजने की शुरुआत का अर्थ तो १९वीं शताब्दी हुआ।
आप १७वीं शताब्दी से कुली-प्रथा की शुरुआत बता रहे हैं!
एक तथ्य आपके लिये--
संन्१९१५ के दौर में लक्ष्मणसिंह चौहान,आगरे में बीए की पढ़ाई के आखि़री साल में थे। तब वह विद्यार्थीजी के 'प्रताप' में लिख-छप रहे थे! उन्होंने इस विषय पर काफी अध्ययन करके 'कुली-प्रथा' नाम का नाटक लिखा,जो 'प्रताप' में धारावाहिक विद्यार्थीजी छापने लगे! (उन्हें यह कैसे मिला?इसका वृत्तान्त अलग है) बहरहाल! ब्रिटिश-सत्ता-विरोधी नाटक होने से 'प्रताप' को इस पर जमानत भी भरनी पड़ी! वह सब भुगत कर भी विद्यार्थीजी एक तो धारावाहिक रूप से नाटक को प्रकाशित करते रहे।दूसरे---उन्होंने लक्ष्मणसिंह सिंह से कहा कि इसकी भूमिका लिखकर भेजो! धारावाहिक रूप में छप करके यह खत्म हो,इससे पहले मैं किताब के रूप में छापकर,अपने प्रचार-तन्त्र के माध्यम से देश ही नहीं, विदेश तक इस नाटक को पहुंचा दूंगा!
और यह विद्यार्थीजी ने कर दिखाया! नतीजा-- तब सद्य:प्रकाशित नाट्य पुस्तक 'कुली-प्रथा' को भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने ज़ब्त कर,लेखक के खिलाफ वारण्ट जारी कर मुकद्दमा भी शुरू कर दिया! तब लक्ष्मणसिंह अलीगढ़ मुस्लिम कालेज,अलीगढ़ में कानून की पहले साल की पढ़ाई पूरी कर चुके थे। कभी भी गिरफ्तार हो सकते थे।यह बात उनके अति प्रिय एक मित्र को मालूम पड़। उसे पता था कि पितृविहीन लक्ष्मण की विधवा मां यह सुनकर कि बेटे को पुलिस पकड़ ले गयी है,प्राण दे देगी!
अतःउन्होंने लक्ष्मण को सीधे सन्देश से हिदायत दी:'तुम तुरन्त इलाहाबाद आओ। ला की डिग्री इलाहाबाद यूनीवर्सिटी देगी। यहां दाखिला लो।तुम्हारे साथ जो गुज़रेगी,हम मित्र लोग देख लेंगे!'
यह मई-जून १९१६की बात है!
भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शुरुआती उद्देश्य मसाले थे। पर धीरे-धीरे काम बढ़ता गया। भारतीय मज़दूरों का इस्तेमाल करने की अवधारणा शुरू में अनौपचारिक ही थी, पर थी। दास प्रथा के उन्मूलन और उपनिवेशों में श्रम के नए स्रोत खोजने की आवश्यकता का यह प्रत्यक्ष परिणाम था। 17वीं शताब्दी में, भारतीयों को ब्रिटिश साम्राज्य के अन्य इलाकों में ले जाने के कुछ उदाहरण मिलते हैं। यह मजदूरों का व्यवस्थित या बड़े पैमाने पर कारोबार नहीं था, जो 19वीं सदी में गिरमिटिया मजदूरी की प्रथा के रूप में विकसित हुआ, जिसमें भारतीयों को ब्रिटिश उपनिवेशों, खास तौर पर चीनी बागानों में अनुबंध के तहत काम करने के लिए भर्ती किया गया, पर यह गिरमिटिया प्रथा अचानक शुरू नहीं हो गई। उसकी पृष्ठभूमि भी है।
Deleteभारत में दासता, गुलामी या बँधुआ मजदूरी अंग्रेजों के आगमन के पहले ही शुरू हो गई थी।
Delete‘Slavery in India escalated during the Muslim domination of northern India after the 11th century. It became a social institution with the enslavement of Hindus, along with the use of slaves in armies, a practice within Muslim kingdoms of the time. According to Muslim historians of the Delhi Sultanate and the Mughal Empire era, after the invasions of Hindu kingdoms, other Indians were taken as slaves, with many exported to Central Asia and West Asia. Slaves from the Horn of Africa were also imported into the Indian subcontinent to serve in the households of the powerful or the Muslim armies of the Deccan Sultanates and the Mughal Empire.’
https://en.wikipedia.org/wiki/Slavery_in_India
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार कंपनी शासन में शुरू में बाहर से मजदूर भारत लाए गए, पर प्रकारांतर से भारतीय मजदूर भी बाहर जाने लगे।
Beginning in the early 1620s, the East India Company began using slave labour and transporting enslaved people to its facilities in Southeast Asia and India as well as to the island of St. Helena in the Atlantic Ocean, west of Angola. Although some of those enslaved by the company came from Indonesia and West Africa, the majority came from East Africa—from Mozambique or especially from Madagascar—and were primarily transported to the company’s holdings in India and Indonesia. Large-scale transportation of slaves by the company was prevalent from the 1730s to the early 1750s and ended in the 1770s.
https://www.britannica.com/topic/East-India-Company