भारतीय संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343(1) में कहा गया है कि संघ की राज भाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। राजभाषा से जुड़े प्रस्ताव को संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को स्वीकार किया था। इसी निर्णय को प्रतिपादित करने और हिंदी को हर क्षेत्र में बढ़ावा देने के इरादे से राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन 1954 से 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई। 10-11नवंबर 1953 को काका साहब न.वि. गाडगिल की अध्यक्षता में नागपुर में हुए 'अखिल भारतीय राष्ट्रभाषा प्रचार सम्मेलन' के पाँचवें अधिवेशन में इस आशय का औपचारिक प्रस्ताव पारित हुआ। हिंदी दिवस मूलतः राजभाषा से जुड़ा होने के कारण सरकारी संस्थानों में ‘हिंदी सप्ताह’ और ‘हिंदी पखवाड़े’ के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान हिंदी से जुड़े कार्यक्रम और समारोह भी होते हैं. राजभाषा के रूप में दो पुरस्कार उल्लेखनीय हैं. एक है ‘राजभाषा गौरव पुरस्कार,’ जो हिंदी में तकनीकी या विज्ञान के विषय पर लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जाता है। दूसरा है ‘राजभाषा कीर्ति पुरस्कार,’ जो सरकारी कार्यों में हिंदी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने वाले 39 कर्मियों को दिया जाता है।
राजस्थान
पत्रिका के नॉलेज कॉर्नर में 30 अगस्त, 2025 को प्रकाशित
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