Thursday, July 14, 2011

दुनिया में सबसे ज्यादा शादियाँ करने वाला कौन है?



दुनिया का वह कौन व्यक्ति है, जिसने सबसे ज्यादा शादियाँ की हैं?

जियोना चाना की पत्नियाँ

जियोना चाना का परिवार
इसका श्रेय भारत के ज़ियोना चाना को जाता है। मिजोरम के निवासी 64 वर्षीय जियोना चाना का परिवार 180 सदस्यों का है। उन्होंने 39 शादियाँ की हैं। इनके 94 बच्चे हैं, 14 पुत्रवधुएं और 33 नाती हैं। जियोना के पिता ने 50 शादियाँ की थीं। उसके घर में 100 से ज्यादा कमरे है और हर रोज भोजन में 30 मुर्गियाँ खर्च होती हैं। 
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ना नौ मन तेल होगा और ना राधा नाचेगी। ऐसा क्यों कहा जाता है?                                                                                                                                                                                                                                      

यह कहावत कब से चली आ रही है, बताना मुश्किल है। क्यों कहा जाता है इसे बताने वाले भी मुझे नहीं मिले। बस कहते हैं, कहा जाता है। बहरहाल एक-दो जगह मुझे कुछ कहानियाँ मिली हैं जो राधा के नाच से जुड़ती हैं। बताते हैं कि किसी गांव में राधा नाम की नाचने वाली रहती थी। एक दिन किसी बात पर नाराज होकर उसने कह दिया अब नाचना बंद। बहरहाल लोग उसे मनाने गए तो उसने एक शर्त रखी जब नौ मन तेल के दियों की रोशनी की जाएगी तभी वह नाचेगी। बताते हैं कि उस साल गाँव में सूखा पड़ा था सो नौ मन तेल होना नामुमकिन था . 

काले धन को काला धन क्यों कहा जाता है?
  
काला धन माने जो पैसा साफ-सुथरे सफेद ढंग से कमाया नहीं गया है। और जिसका हिसाब नहीं दिया गया है। काली कमाई का पैसा। सफेद पैसा वह है जिसपर टैक्स वगैरह चुकाया गया हो। It is like black hole we cant see through it.                                                                                                                                                                                                                                

शादी के बाद लड़की लड़के के घर क्यों जाती है? क्या कहीं ऐसी परम्परा है जहाँ लड़का विदा होकर लड़की के घर जाता है?         

विवाह नाम की संस्था का जन्म सभ्यता के काफी पहले हो गया लगता है। और तब से ही मनुष्य समाज पुरुष केन्द्रित है। लड़की शादी के बाद पति के घर में जाती रही है। यों मातृ प्रधान समाज का भी ज़िक्र मिलता है। कुछ जनजातीय समूहों में मातृ प्रधान व्यवस्था भी मिलती है, पर यह न तो व्यापक है और न इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं।

टाटा शब्द किस भाषा का है? बाई के साथ टाटा क्यों कहते हैं?

अंग्रेजी में विदाई के वक्त टाटा कहने का चलन है। यह शब्द बोली का है। इसका प्रचलन उन्नीसवीं सदी से हुआ है। 

दर्द तो तकलीफदेह होता है, फिर लोग दर्द को मीठा क्यों कहते हैं?

दर्द या तकलीफ आनन्द का विलोम है। दोनों का अतिरेक हृदय विदारक होता है। पर दोनों की क्षणिक या आंशिक अनुभूति मनुष्य को स्वीकार्य है। दर्द या तकलीफ एक जीवन अनुभव है। हम तकलीफ उठाकर ही कुछ हासिल करते हैं। उसमें जो आनन्द है वह सारे दर्द दूर कर देता है। दुख और दर्द भी हमारे साथी हैं। दर्द के साथ हमारे संघर्ष की स्मृतियाँ भी होती हैं, इसलिए उसे भी हम सँजोकर रखते हैं। बच्चन जी की कविता है
साथी, साथ न देगा दुख भी!

काल छीनने दु:ख आता है,
जब दु:ख भी प्रिय हो जाता है,
नहीं चाहते जब हम दु:ख के बदले चिर सुख भी!
साथी साथ ना देगा दु:ख भी!
महाभारत के पात्र कौन सी भाषा में बोलते थे?
आर्यों की पुरानी भाषा ऋग्वेद की वैदिक संस्कृत ही थी। ऋग्वेद की भी एक काल अथवा एक स्थान पर रचना नहीं हुई। कुछ मन्त्रों की रचना कन्धार में, कुछ की सिन्धु तट पर, कुछ की यमुना गंगा के तट पर हुई। ऋग्वेद के बाद ब्राह्मण ग्रन्थों और सूत्र ग्रन्थों का सृजन हुआ। शास्त्रीय संस्कृत और लो-भाषा (लौकिक) में पर्याप्त अंतर था। विद्वान् ही केवल शुद्ध संस्कृत बोल पाते होंगे, साधारण लोग जो बोली बोलते थे, शायद वही कालान्तर में प्राकृत कहलाई। भाषा के इन दोनों रूपों का उदाहरण वाल्मीकि रामायण में मिलता है, जबकि अशोक वाटिका में पवन पुत्र ने सीता से द्विजी’ (संस्कृत) भाषा में बात करके मानुषी’ (प्राकृत) भाषा में बातचीत की। महावीर स्वामी ने जैन मत के तथा महात्मा बुद्ध ने बौद्ध मत के प्रसार के लिए लोकभाषा को ही अपनी वाणी का माध्यम बनाया। भास, कालिदास आदि के नाटकों में सुशिक्षित व्यक्ति तो संस्कृत बोलते हैं, परन्तु अशिक्षित पात्र -विट-चेट विदूषक तथा दास-दासियाँ आदि प्राकृत में बात करते हैं। 
भारत में कुल कितने पोस्ट ऑफिस हैं?                                                                                                                                                                                                    
फरवरी 2010 में इनकी संख्या 1,55,333 थी। 


सलीम अनारकली की कहानी सच है या झूठी?
लाहौर में अनारकली का मकबरा

सलीम-अनारकली की कहानी इतिहास सम्मत नहीं है, पर वह इतनी लोकप्रिय है कि लोग उसे ऐतिहासिक मानते हैं। यों मान्यता है कि अनारकली पंजाब में लाहौर के आसपास की रहने वाली थी। लाहौर में अनारकली की एक मज़ार भी है। लाहौर का अनारकली बाजार शहर का सबसे पुराना बाजार है।  

1 comment:

  1. अच्छे सवालों का कोई जवाब क्यों नहीं देता? आपकी राय मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है| जरुर पधारें | www.akashsingh307.blogspot.com

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