Sunday, April 1, 2012

ज्यादातर शर्ट्स में बटन बीच में ही क्यों होते हैं?


ज्यादातर शर्ट्स में बटन बीच में ही क्यों होते हैं?
आशीष कुमार., चुरू

आज आप जो शर्ट पहन रहे हैं वह तकरीबन तीन हजार से ज्यादा समय से किसी न किसी रूप में विकसित होती रही है। मिस्र के पिरामिडों का अध्ययन करने वाले विद्वान फ्लिंडर्स पर्ट्री ने ईसा से तकरीबन तीन हजार साल पुरानी शर्ट तरकन के मकबरे से हासिल की थी। उन्नीसवीं सदी तक शर्ट अंडर गार्मेंट की तरह पहनी जाती थी। यानी उसके ऊपर किसी तरह का लबादा पहना जाता था। भारतीय कुर्ता, बंडी या अंगरखा भी शर्ट का एक रूप है। यह कमीज़ एक ज़माने में इतनी लम्बी होती थी कि अधोवस्त्र की जगह ले लेती थी। आज भी आप निहंग सिखों को लम्बा कुर्ता पहने देख सकते हैं।
आज शर्ट की अनेक किस्में प्रचलित हैं। इनमें कैम्प शर्ट, डिनर शर्ट, टी शर्ट, पोलो शर्ट, रग्बी शर्ट और ड्रेस शर्ट प्रचलित हैं। आप जिस शर्ट की बात कर रहे हैं वह ड्रेस शर्ट है, जिसमें कॉलर के बाद बटनों की कतार सीने के पास खत्म होती है। एक शर्ट ऐसी भी होती है जिसमें आगे वाला हिस्सा दो भागों में बँटा होता है और बटनों से जुड़ता है। बहरहाल आपने जानना चाहा है कि ज्यातर शर्ट्स में बटन बीच में ही क्यों होते हैं। इसकी वजह है औपचारिक परिधान के रूप में इसकी स्वीकृति। इसे टाई और कोट के साथ भी पहना जा सकता है और अनौपचारिक पोशाक के रूप में भी। तमाम तरह की कमीजों में कॉलर का फर्क होता है। कई में कॉलर नहीं होते या सीधे खड़े कॉलर होते हैं। पर सबसे ज्यादा कमीजें मुड़े और मध्यम लम्बाई के कॉलरों वाली होती हैं। एक अरसे तक प्रयोगों के बाद सारी दुनिया के लोगों को जो कमीज़ पसंद आई वह यह है।

ओम जय जगदीश हरे आरती गीत किसने लिखा?
ओम जय जगदीश हरे आरती गीत के रचयिता थे पं. श्रध्दाराम शर्मा फिल्लौरी। प. श्रध्दाराम शर्मा का जन्म 1837 में पंजाब के लुधियाना के पास फिल्लौर में हुआ था। 1870 में उन्होंने ओम जय जगदीश की आरती की रचना की। लगता है उन्हें जय जगदीश हरे शब्द की प्रेरणा जयदेव के गीत गोविन्द की इस पंक्ति से मिली थी
प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम् ॥
विहितवहित्रचरित्रमखेदम्॥
केशवाधृतमीन शरीर जय जगदीश हरे॥

मोमबत्ती का आविष्कार कैसे हुआ?
मोमबत्ती पुरानी मशालों का सुधरा रूप है। पुराने राजमहलों में लगने वाले शैंडलेयर कैंडिल लगाने के लिए ही थे। सबसे पुरानी मोमबत्ती का उल्लेख ईसा से 200 साल पहले चीन में मिलता है। उस समय तक मोम का आविष्कार नहीं हुआ था। चीन में ह्वेल मछली की चर्बी से प्रकाश-बत्ती बनती थी। युरोप में चर्बी, ऑलिव ऑयल और प्राकृतिक मोम को मिलाकर कैंडल बनाई गईं। पैराफिन वैक्स जिसे आज हम मोम कहते हैं 1830 में खोजा गया।


राजस्थान पत्रिका के कॉलम नॉलेज कॉर्नर में प्रकाशित

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