एंड्रॉयड माने क्या?
एंड्रॉयड शब्द मोबाइल फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम के कारण लोकप्रिय हुआ है. आप जानते
हैं कि कम्प्यूटर में हार्डवेयर के अलावा एक ऑपरेटिंग सिस्टम होता है. लिनक्स पर आधारित
एंड्रॉयड टचस्क्रीन स्मार्टफोन और टेबलेट कम्प्यूटरों पर काम करने वाला दुनिया
का सर्वाधिक प्रचलित ऑपरेटिंग सिस्टम है. मोबाइल फोन के अलावा टीवी, गेम कंसोल, डिजिटल
कैमरा, कार और कलाई-घड़ी के लिए भी एंड्रॉयड उपलब्ध है. 'एंड्रॉयड इनकॉरपोरेटेड' की स्थापना अक्तूबर
2003 में एंडी रूबिन, रिच माइनर, निक सेयर्स और क्रिस ह्वाइट ने की थी. शुरू में इनका
इरादा डिजिटल कैमरा के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने का था. बाद में समझ में आया कि उसका
बाजार है नहीं तब मोबाइल फोन पर काम शुरू किया. पर इनके सामने पैसे की तंगी थी. उधार
लेना पड़ता था. 17 अगस्त 2005 में गूगल ने इसे खरीद लिया. उस समय तक गूगल मोबाइल फोन
के कारोबार में था नहीं. बाजार में आने वाला पहला एंड्रॉयड फोन एचटीसी ड्रीम था जिसे
22 अक्टूबर 2008 को लांच किया गया था.
एंड्रॉयड के हर वर्ज़न का नाम मिठाई पर होता है. और यह भी कि यह नाम अल्फाबैटिक ऑर्डर
में आगे बढ़ रहा है. कपकेक, डोनट, एक्लेयर, फ्रॉयो, जिंजरब्रैड, हनीकॉम्ब, आइसक्रीम
सैंडविच, जैलीबीन और किटकैट से होते हुए यह नवीनतम लॉलीपॉप तक सिलसिला तक आ पहुंचा
है. गूगल ने कभी यह स्पष्ट नहीं किया कि इसके नामों में यह मिठास क्यों है. अलबत्ता
कयास है कि गूगल भारत के महत्व को देखते हुए अगले वर्ज़न का नाम मलाई कुल्फी, नान खताई
और पेड़ा तो नहीं रखेगा?
एंड्रॉयड मूल ग्रीक शब्द एवप में अयड प्रत्यय जोड़ने से बना है. ड्रॉयड शब्द जॉर्ज ल्यूकस की फिल्म स्टारवॉर्स में इस्तेमाल हुआ
था. इस फिल्म में स्टारट्रैक में एंड्रॉयड नाम का रोबो था, जो इंसानी पुतले जैसा था.
एंड्रॉयड का प्रतीक चिह्न वही रोबो है. गूगल के तमाम एप्लीकेशन जैसे सर्च, गूगल मैप, यू-ट्यूब चलते तो तमाम
दूसरे फोन में भी हैं, लेकिन एंड्रॉयड में वे बेहतर होते हैं. एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर 'ओपन सोर्स' है यानी कोई भी इसके
लिए एप बना सकता है. एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर गूगल बना कर कंपनियों को मुहैया कराता है लेकिन
हर फोन कंपनी अपने फोन को अलग दिखाने के लिए, उसकी अलग पहचान बनाने के लिए, एंड्रॉयड सॉफ्टवेयर के
साथ कुछ बदलाव करके उसे अपने फोन में डालती है. इससे होता यह है कि जब गूगल एंड्रॉयड
सॉफ्टवेयर का नया और बेहतर वर्ज़न लांच होता है तो आप सीधे अपने फोन में इसे डाउनलोड
नहीं कर सकते. आपको इंतजार करना होगा कि आपकी फोन कंपनी आपके फोन के मॉडल के हिसाब
से सॉफ्टवेयर तैयार करके आपको मुहैया कराए.
आयर्स रॉक कहाँ हैं? क्या ये रंग बदलती हैं?
आयर्स रॉक मध्य ऑस्ट्रेलिया की नॉर्दर्न टैरीटरी में पाई जाती हैं। इनका स्थानीय
नाम उलुरु है। बलुआ पत्थरों की इन चट्टानों को यहाँ के अनुंगु मूल निवासी बहुत पवित्र
मानते हैं। दूर से ये शिलाएं वनस्पति विहीन ऊँचे मंच जैसी लगती हैं। इनके बीच पानी
के झरने छोटी दल धाराएं और गुफाएं भी हैं। इन गुफाओं में प्रागैतिहासिक चित्र भी मिलते
हैं। दिन भर में ये शिलाएं कई रंग बदलती हैं। इसकी वजह ये शिलाएं नहीं इन पर पड़ने
वाली रोशनी है। सुबह की फीकी धूप में कभी इनका रंग सुनहरा या भूरा होता है, दिन में तीखा लाल हो
जाता है। शाम को स्लेटी और नीला हो जाता है।
अशोक स्तम्भ को राष्ट्रीय चिह्न क्यों बनाया गया?
सारनाथ में अशोक ने जो स्तम्भ बनवाया था उसके शीर्ष भाग को सिंह चतुर्मुख कहते
हैं. इस मूर्ति में चार शेर पीठ-से-पीठ सटाए खड़े हैं. इसके आधार के मध्य भाग में बने
चार सिंह शक्ति, साहस, शौर्य और विश्वास के प्रतीक हैं. आधार पर बने सिंह, हाथी, घोड़ा और वृषभ चार दिशाओं
के रक्षक हैं. आधार के बीचों-बीच बना धर्मचक्र गतिशीलता का प्रतीक है. उसे भारत के
राष्ट्रीय ध्वज में बीच की सफेद पट्टी में भी रखा गया है. यह गतिशीलता का प्रतीक है. इसके नीचे लिखा ‘सत्यमेव जयते’ मुंडक उपनिषद से लिया
गया है.
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