मतदान के पहले वह सर्वेक्षण जिसमें वोटरों से पूछा जाता है कि आप किस पार्टी
को देंगे, ओपीनियन पोल कहलाता है. मतदान के
दिन जब वोटर वोट डाल कर निकलता है तो सर्वे करने वाले उससे यह पूछते हैं कि आपने किसे
वोट दिया है. इस सर्वे को एग्जिट पोल कहते हैं.
भारत में एक लम्बे समय तक दोनों होते रहे, पर धीरे-धीरे यह महसूस किया गया कि
इन सर्वेक्षणों से चुनाव में मतदाता का फैसला प्रभावित होता है. इन बातों को लेकर
22-23 दिसम्बर 1997 को पहली बार तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ एमएस गिल ने
राजनीतिक दलों के साथ बैठकर इस विषय पर विचार-विमर्श किया. फरवरी में लोकसभा और
कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले थे.
इनपर पहली बार रोक कब लगी?
इस बैठक के बाद 11 जनवरी 1998 को चुनाव आयोग ने एक दिशा निर्देश जारी किया,
जिसके अंतर्गत 14 फरवरी को शाम के पाँच बजे के बाद से लेकर 7 मार्च को शाम पाँच
बजे तक चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों और एग्जिट पोल के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई. इस
दिशा निर्देश को अदालतों में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को स्थगित
नहीं किया और सन 1998 के चुनाव देश के अकेले चुनाव थे, जब किसी प्रकार का सर्वे
प्रकाशित नहीं हुआ.
एग्जिट पोल पर पाबंदी का कानून कब बना?
इसके बाद 1999 में फिर से लोकसभा चुनाव हुए. चुनाव आयोग ने फिर से वही आदेश
जारी किया, पर देश के अनेक मीडिया हाउसों ने इस आदेश को नहीं माना. इसपर आयोग ने
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी. अदालत ने इसके लिए संविधान पीठ का गठन किया. पीठ ने
कहा कि आयोग को इस प्रकार का आदेश जारी करने का कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं है. सन
2004 में चुनाव आयोग ने विधि मंत्रालय से निवेदन किया कि जन प्रतिनिधित्व कानून
में बदलाव करके ओपीनियन पोल और एग्जिट पोल पर रोक लगाई जाए.
इस सुझाव को आंशिक रूप से स्वीकार किया गया और फरवरी 2010 में उपरोक्त अधिनियम
की धारा 126 (ए) में संशोधन करके एग्जिट पोल पर रोक लगा दी गई. इसके बाद नवम्बर
2013 में चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ फिर से विमर्श किया कि ओपीनियन पोल
पर भी रोक लगाई जाए. इसपर भाजपा को छोड़कर सभी दलों ने राय दी कि चुनाव की घोषणा
होने के बाद ओपीनियन पोल पर पाबंदी लगा दी जाए. यह सुझाव विधि मंत्रालय को दिया
गया, पर उसके बाद इस विषय में कोई कार्यवाही नहीं हुई.
विदेश में क्या व्यवस्था है?
यूरोपीय संघ के
16 देशों में मतदान के 24 घंटे से लेकर एक महीना पहले तक ओपीनियन पोल पर रोक है.
फ्रांस में सन 1977 में 7 दिन पहले की रोक लगाई गई थी, जिसपर वहाँ की एक अदालत ने
इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक मानते हुए खारिज कर दिया. फ्रांस में यह रोक
अब 24 घंटे पहले की है. इंग्लैंड में ओपीनियन पोल पर कोई रोक नहीं है. वहाँ एग्जिट
पोल मतदान पूरा होने के बाद ही प्रकाशित किए जा सकते हैं। अमेरिका में ओपीनियन पोल
लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा माने जाते हैं.
अन्नाद्रमुक
पार्टी कब बनी?
अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम की स्थापना 17 अक्तूबर 1972 को एमजी
रामचंद्रन ने की थी. इसके पहले वे द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम के सदस्य थे. पार्टी के
नेता के करुणानिधि के साथ व्यक्तिगत मतभेदों के कारण उन्होंने एक नया संगठन बनाया.
अन्नाद्रमुक शुरुआती दिनों में कांग्रेस पार्टी के करीब थी. सन जून 1975 में देश
में इमर्जेंसी लगाए जाने का पार्टी ने स्वागत किया था. दिसम्बर 1987 में एमजी रामचंद्रन
के निधन के बाद कुछ समय तक आंतरिक सत्ता-संघर्ष चला. अंततः सन 1989 में जे जयललिता
इस पार्टी की एकछत्र नेता बनने में कामयाब हुईं. 5 दिसम्बर 2016 को जयललिता के
निधन के बाद वीके शशिकला पार्टी की महासचिव मनोनीत हुईं.
तमिलनाडु राज्य
कब बना?
अंग्रेजी राज में
यह प्रांत मद्रास प्रेसीडेंसी का भाग था. स्वतन्त्रता के बाद मद्रास प्रेसीडेंसी
को विभिन्न भागों में बाँट दिया गया. इसके बाद इस राज्य का बड़ा हिस्सा मद्रास कहलाया.
सन 1968 में मद्रास राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु कर दिया गया. तमिलनाडु शब्द तमिल
भाषा के तमिल तथा नाडु यानी देश या वास-स्थान,
से मिलकर बना है
जिसका अर्थ तमिलों का घर या तमिलों का देश होता है.
जीडीपी क्या है?
जीडीपी है ग्रॉस
डोमेस्टिक प्रोडक्ट अर्थात सकल घरेलू उत्पाद. पूरे देश की आर्थिक गतिविधियों को एक
साथ जोड़कर एक जगह रखें तो जो हिसाब बनेगा वह है जीडीपी. आर्थिक गतिविधियों में
उत्पादन और सेवाएं दोनों शामिल हैं. उत्पादन में उद्योगों, खेती और तमाम छोटे
धंधों का काम शामिल है. सेवाएं मुख्यत: चिकित्सा, शिक्षा, हॉस्पिटैलिटी यानी होटल और टेलीफोन आदि की हैं. देश के निजी और सरकारी उपभोग, पूँजी निवेश और सभी गतिविधियों का वास्तविक मूल्य जोड़कर प्राप्त राशि को देश
की जनसंख्या से भाग देने पर जो राशि प्राप्त होती है वह औसत प्रति व्यक्ति सकल
घरेलू उत्पाद है. इसमें होने वाली वृद्धि के प्रतिशत के आधार पर हम अपनी प्रगति को
आँकते हैं.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित