भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु को लेकर
लिविंग विल और पैसिव यूथेनेशिया को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है. कॉमन कॉज
नाम की ग़ैर सरकारी संस्था की याचिका पर अदालत ने ये फ़ैसला सुनाया.
इच्छा-मृत्यु अर्थात को अंग्रेजी में यूथेनेशिया
(Euthanasia) कहते
हैं. यह मूलतः ग्रीक शब्द है. जिसका अर्थ है Eu=अच्छी, Thanatos= मृत्यु.
इच्छा-मृत्यु या दया मृत्यु पर दुनियाभर में बहस है. इसके साथ क़ानूनी के अलावा
मेडिकल और सामाजिक पहलू भी जुड़े हुए हैं. दुनियाभर में इच्छा-मृत्यु की इजाज़त
देने की माँग बढ़ी है. मेडिकल साइंस में इच्छा-मृत्यु यानी किसी की मदद से
आत्महत्या और सहज मृत्यु या बिना कष्ट के मरने के व्यापक अर्थ हैं. चिकित्सकीय
परिभाषाओं में इसके निम्नलिखित प्रचलित रूप हैं:-
स्वेच्छया एक्टिव यूथेनेशिया: मरीज़ की मंज़ूरी के बाद ऐसी दवाइयां
देना जिससे मरीज़ की मौत हो जाए. यह नीदरलैंड और बेल्जियम में वैध है.
गैर-स्वेच्छया एक्टिव यूथेनेशिया: मरीज़
मानसिक तौर पर अपनी मृत्यु की मंज़ूरी देने में असमर्थ हो, तब उसे मारने की दवाएं देना.
यह पूरी दुनिया में ग़ैरक़ानूनी है.
निष्क्रिय यूथेनेशिया: इलाज बंद करना या जीवन-रक्षक प्रणालियों को हटाना. यह प्रायः पूरी दुनिया में प्रचलित है.
एक्टिव यूथेनेशिया: ऐसी दवाएं देना ताकि मरीज़ को राहत मिले, पर बाद
में उसकी मौत हो जाए. यह तरीक़ा भी दुनिया के कुछ देशों में वैध माना जाता है.
सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 का मतलब क्या
है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों
को उनकी संख्या से याद किया जाता है. प्रस्ताव संख्या 1267 मूलतः अलकायदा-तालिबान
प्रस्ताव के रूप में पहचाना जाता है. इसे 15 अक्तूबर 1999 को पास किया गया था.
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के शासन के दौरान अल-कायदा की बढ़ती गतिविधियों के कारण
1998 में सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव 1189, 1193 और 1214 पास किए थे.
प्रस्ताव 1267 के माध्यम से ओसामा बिन लादेन
और उनके सहयोगियों को आतंकवादी घोषित करके ऐसे सभी व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ
पाबंदियाँ लगाने की घोषणा की गई, जो उन्हें शरण देंगे. इन प्रतिबंधों का दायरा
पूरी दुनिया में फैला दिया गया. प्रस्ताव 1267 के तहत सुरक्षा परिषद की एक समिति
ने ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं की सूची तैयार की है, जिनका रिश्ता अल-कायदा और
तालिबान से रहा है. इस सिलसिले में 19 दिसम्बर 2000 में प्रस्ताव 1333 भी पास किया
गया. दोनों का लक्ष्य अफगानिस्तान के तत्कालीन तालिबान प्रशासन पर दबाव डालना था.
30 जुलाई 2001 को प्रस्ताव 1363 के मार्फत एक निगरानी टीम भी बनाई गई.
प्रस्ताव 1267 के तहत पाकिस्तानी उग्रवादी
संगठन जैशे-मोहम्मद अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन है. भारत इस संगठन के मुखिया
मसूद अज़हर को भी आतंकवादियों की सूची में डालने के प्रयास करता रहा है. इन
प्रयासों को अभी तक चीनी अड़ंगे के कारण सफलता नहीं मिली है. पठानकोट हवाई अड्डे
पर हमले के बाद भारत ने 1267 की मंजूरी समिति में अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का
प्रस्ताव रखा था.
चमगादड़ पक्षी नहीं है, तो उड़ता कैसे है?
चमगादड़ एकमात्र ऐसा
स्तनधारी है जो उड़ सकता है तथा रात में भी उड़ सकता है. इसके अग्रबाहु पंख मे
परिवर्तित हो गए हैं जो देखने में झिल्ली (पेटाजियम) के समान लगते हैं. त्वचा की
यह झिल्ली गरदन से लेकर हाथ की अंगुलियों तथा शरीर के पार्श्व भाग से होती हुई
पूँछ तक चली जाती है एवं पंख का निर्माण करती है. पिछली टाँगें पतली, छोटी और नख-युक्त होती
हैं. इसके शरीर पर बाल कम ही होते हैं. चमगादड़ के पंखों का आकार 2.9 सेंटीमीटर
से लेकर 1500 सेंटीमीटर तक तथा इनका वज़न 2 ग्राम से 1200 ग्राम तक होता है. चमगादड़
उलटे लटकते हैं क्यों कि उल्टे लटके रहने से वे बड़ी आसानी से उड़ान भर सकते हैं.
पक्षियों की तरह वे ज़मीन से उड़ान नहीं भर पाते, क्योंकि उनके पंख भरपूर उठान नहीं देते और
उनके पिछले पैर इतने छोटे और अविकसित होते हैं कि वे दौड़ कर गति नहीं पकड़ पाते.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
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