हाल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारत यात्रा के
दौरान जब अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का पहला सम्मेलन हुआ, तब दुनिया का ध्यान इस नए
उदीयमान संगठन की ओर गया, जो ऊर्जा की वैश्विक जरूरतों के लिए एक नया संदेश लेकर
आया है. नवम्बर 2015 में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लंदन के वैम्ब्ले
स्टेडियम में इस अवधारणा को प्रकट किया था और सौर-ऊर्जा के लिहाज से धनी देशों को
सूर्यपुत्र कहा था. इसके बाद इस गठबंधन की शुरुआत 30 नवम्बर 2015 को पेरिस में हुई
थी. यह गठबंधन कर्क और मकर रेखा पर स्थित देशों को नई ऊर्जा के विकल्प लेकर आया
है. इस इलाके में सौर ऊर्जा इफरात से मिलती है.
इस संगठन का उद्देश्य है, इन देशों के बीच सहयोग बढ़ाना. इसका सचिवालय
दिल्ली के करीब गुरुग्राम में बनाया गया है. इसके भवन की आधारशिला 25 जनवरी 2016
को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने रखी.
सन 2016 के मराकेश जलवायु सम्मेलन में इस संधि का प्रारूप पेश किया गया था. पहले
दिन इसपर 15 देशों ने दस्तखत किए. अब चीन और अमेरिका भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं. दोनों ने
अभी इससे जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, लेकिन दोनों ही जल्द
इससे जुड़ सकते हैं. चीन और अमेरिका के साथ आने से फायदा होगा, क्योंकि दोनों के पास
इससे जुड़ी पर्याप्त तकनीक है.
इस समझौते के तहत उष्णकटिबंधीय
देशों में सोलर पावर के इस्तेमाल को बढ़ाया दिया जाएगा. फिलहाल 62 देशों ने इसके
शुरुआती ढांचे पर रजामंदी जताते हुए दस्तखत किए हैं. भारत ने लक्ष्य रखा है कि वह
2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय या अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करने लगेगा. इसमें 100 गीगावॉट सोलर और 75 गीगावॉट पवन
ऊर्जा होगी. भारत
दुनिया में सौर ऊर्जा का वरण करने वाले देशों में बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस
साल फरवरी में देश की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता 20 गीगावॉट की थी. सन 2014 में यह
क्षमता 2.6 गीगावॉट थी. जो 20 गीगावॉट क्षमता हासिल की गई है, वह 2022 तक पाने का
हमारा लक्ष्य था.
प्रशंसक के अर्थ में ‘फैन’ शब्द कैसे बना?
दो साल पहले फिल्म 'फैन'
के नायक थे शाहरुख खान. व्यक्तिगत
बातचीत में कहीं शाहरुख ने कहा, फैन शब्द मुझे पसंद नहीं. उनका कहना था, फैन शब्द फैनेटिक (उन्मादी) से निकला है. यह कई बार नकारात्मक भी
होता है. आप ने अक्सर
लोगों को यह कहते सुना होगा कि मैं अमिताभ का फैन हूँ या सचिन तेंदुलकर, रेखा या
विराट कोहली का फैन हूँ. कुछ लोग मज़ाक में कहते हैं कि मैं आपका पंखा हूँ,
क्योंकि फैन का सर्वाधिक प्रचलित अर्थ पंखा ही है.
‘फैन’ का अर्थ उत्साही
समर्थक या बहुत बड़ा प्रशंसक भी होता है, पर इसका यह अर्थ हमेशा से नहीं था. इसका जन्म अमेरिका में बेसबॉल के मैदान में हुआ. इसका
पहली बार इस्तेमाल किया टेड सुलीवॉन ने, जो सेंट लुईस ब्राउन्ज़ बेसबॉल टीम के
मैनेजर थे. सन 1887 में फिलाडेल्फ़िया
की एक खेल पत्रिका ‘स्पोर्टिंग लाइफ़’ में इस शब्द के बारे में जानकारी दी गई.
इसमें बताया गया कि फैन शब्द ‘फैनेटिक’ का संक्षिप्त रूप है.
टेड सुलीवॉन ने बताया, ‘मैं टीम के
मालिक क्रिस से बात कर रहा था. क्रिस के निदेशक मंडल में बेसबॉल के दीवाने भी थे
जो मेरे कामों में हमेशा दखल देते रहते और क्रिस को यह बताते रहते कि टीम को कैसे
चलना चाहिए. मैंने क्रिस से कहा कि मुझे इतने सारे फैनेटिक्स की सलाह की ज़रूरत
नहीं है. इसी बातचीत में संक्षेप में फैन्ज़ शब्द बन गया. मैंने कहा कि क्रिस यहां
बहुत सारे फैन्ज़ हैं. बाद में अखबारों में यह शब्द चल निकला.’
पहले यह शब्द अमेरिकी खेल प्रेमियों के लिए ही प्रयोग होता रहा, लेकिन बाद
में यह दूसरे खेलों और फिर जीवन के सभी क्षेत्रों में छा गया. इस शब्द से फैनडम
शब्द बना. फिर फैन मेल, फैन लेटर और फैन क्लब तक बन गए.
‘रोबोट’ शब्द कब बना?
रोबोट शब्द चेकोस्लोवाकिया के नाट्य लेखक कारेल
चापेक ने 1921 में गढ़ा. उन्होंने एक नाटक लिखा ‘आरयूआर’ यानी कि
रोज़म्स युनीवर्सल रोबोट्स. इस
वैज्ञानिक फैंटेसी में मशीनी सेवक हैं, जो मनुष्यों के लिए काम करते हैं. चेक भाषा
में रोबोटा का मतलब होता है श्रमिक. इससे बना रोबोट शब्द. पर यहाँ से रोबोट की
अवधारणा का जन्म नहीं हुआ. यदि हम मनुष्यों की तरह काम करने वाली मशीन की अवधारणा
का इतिहास खोजें तो पाएंगे कि इससे पहले ऑटोमेटा की अवधारणा ने जन्म ले लिया था.
ऑटोमेटा सन1700 के आसपास बनाए गए खिलौने थे, जो घड़ीसाज़ी में काम आने वाली मशीनरी
के सहारे चलते थे. इतने चलते-फिरते पुतले कह सकते हैं. पिछले चार दशकों में
कम्प्यूटर और कृत्रिम मेधा (आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस) के विकास के साथ रोबोट का
मतलब काफी बदल गया है.
पूरी दुनिया में कुल
कितनी भाषाएं हैं?
पूरी दुनिया में
अनुमान है कि भाषाओं की संख्या तीन से आठ हजार के बीच है. वस्तुतः यह इस बात पर
निर्भर करता है कि आप भाषा को किस तरह से परिभाषित करते हैं. अलबत्ता दुनिया की
भाषाओं के एथनोलॉग कैटलॉग के अनुसार दुनिया में इस वक्त 6909 जीवित भाषाएं हैं.
इनमें से केवल 6 फीसदी भाषाएं ही ऐसी हैं, जिन्हें बोलने वालों की संख्या दस लाख
या ज्यादा है. एथनोलॉग कैटलॉग के बारे में जानकारी यहाँ मिल सकती है https://www.ethnologue.com/statistics/size.
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