यह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का
अंग्रेज़ी में संक्षिप्त नाम है. इसका उद्देश्य है दुनिया में वित्तीय अपराधों को
रोकने के लिए सदस्य देशों को दिशा देना और दुनिया में एंटी-मनी लाउंडरिंग
नियमन-व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नीतियों और प्रक्रियाओं को दुरुस्त बनाना.
इसमें वैश्विक निगरानी शामिल है. चूंकि मनी लाउंडरिंग तथा अन्य अपराधों से जुड़े
लोग, आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे का इंतजाम भी करते हैं, इसलिए यह आतंकी
गतिविधियों के इस पक्ष पर भी ध्यान देता है. इन गतिविधियों से जुड़े लोगे अपनी हरकतों
में बदलाव लाते रहते हैं, इसलिए यह संगठन अपनी सिफारिशों में बदलाव लाता रहता है.
प्रभात खबर अवसर में प्रकाशित
यह संगठन सन 1989 में जी-7 देशों के पेरिस
शिखर सम्मेलन की देन है. 11 सितम्बर 2011 के आतंकवादी हमले के बाद से इसने सन 2001
में आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के खिलाफ भी सिफारिशें देना शुरू
किया और अब यह जन-संहार के हथियारों के प्रसार के विरुद्ध भी नीति-निर्देश दे रहा
है. इसकी सिफारिशों में व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और भ्रष्टाचार को रोकने से
जुड़ी सिफारिशें भी शामिल हैं. इसके गठन के वक्त 16 देश इसके सदस्य थे, जिनकी
संख्या इस वक्त 37 है. इनमें भारत भी शामिल है.
भारत सन 2006 में इसका पर्यवेक्षक बना और सन
2010 में पूर्ण सदस्य बन गया. भारत इसका 34वाँ सदस्य देश बना. इसके सदस्यों में युरोपियन
कमीशन और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) भी शामिल हैं. इसका सदस्य बनने के लिए देश को रणनीति-दृष्टि से महत्वपूर्ण
होना चाहिए. यानी उसके पास बड़ी आबादी, बड़ी जीडीपी, विकसित बैंकिंग और इंश्योरेंस
सेक्टर वगैरह होने चाहिए. FATF में विश्व के अनेक महत्वपूर्ण संगठन पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होते
हैं. इनमें इंटरपोल, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन
(ओईसीडी) तथा विश्व बैंक शामिल हैं. सन 1990 में FATF ने पहली बार अपनी सिफारिशें जारी की थीं. इसके बाद
2001, 2003 और 2012 में इनमें संशोधन किए गए. संगठन की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है
इसकी महासभा, जिसकी साल में तीन बैठकें होतीं हैं.
इसकी वॉच लिस्ट का मतलब?
अपनी स्थापना के बाद FATF ने अपनी पहली रिपोर्ट में मनी लाउंडरिंग को
रोकने के लिए 40 सिफारिशें की थीं. सन 2003 में इन सिफारिशों में संशोधन किया गया.
इन 40 सिफारिशों के अलावा आतंकवादियों को मिल रहे धन पर रोक लगाने वाली 9 विशेष सिफारिशें
इनमें जोड़ी गईं. सन 2000 में FATF ने ‘नॉन कोऑपरेटिव कंट्रीज़
ऑर टेरिटरीज़(NCCT)’ नाम से 15 देशों की एक
सूची भी जारी की. इसके बाद 2001 में इसमें आठ और देशों के नाम शामिल हो गए. इसे
आमतौर पर FATF की काली सूची कहा जाता
है. यह सूची संशोधित होती रहती है.
FATF के सामान्य दिशा-निर्देशों के मुकाबले इसकी काली
सूची से अराजक देश घबराते हैं. ऐसा पाकिस्तान के मामले में देखने से भी लगता है. सन
2008 में मुम्बई हमले के बाद पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाला गया था, जिसके
बाद पाकिस्तान ने अपने यहाँ सक्रिय कुछ संगठनों पर नकेल डाली थी. सन 2015 में वह
इस सूची से बाहर आ गया, पर लश्करे तैयबा को मिल रही लगातार ढील के कारण वह फिर से
इस संगठन की निगरानी सूची में आ गया है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इस
सूची के तहत किसी प्रकार की औपचारिक बंदिशें ऐसे देशों पर नहीं लगतीं, पर
व्यवहारिक रूप से ऐसे देशों पर वित्तीय दबाव इतना पड़ता है कि वे चूं बोलने लगते
हैं. इस सूची में ऐसे देश भी होते हैं, जो टैक्स चोरों को पनाह देते हैं. पिछली 23
फरवरी को जारी नवीनतम ग्रे लिस्ट में नौ देशों के नाम हैं. जून, 2018 से पाकिस्तान
का नाम भी इस सूची में डाल दिया जाएगा.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
कब से मनाया जा रहा है?
महिला दिवस पहली बार
सन 1909
में मनाया गया, हालांकि तब तारीख 8 मार्च नहीं थी, बल्कि 28 फरवरी थी. अमेरिका की
सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार नेशनल महिला दिवस मनाया था. इसके एक साल पहले 1908 में न्यूयॉर्क की एक
कपड़ा मिल में काम करने वाली करीब 15 हजार महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर तनख्वाह और वोट
का अधिकार देने के लिए प्रदर्शन किया था. पहले महिला दिवस को मनाए जाने के एक साल
बाद अगस्त 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में महिलाओं की
कॉन्फ्रेंस में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर महिला दिवस मनाने का फैसला किया गया और 1911 में पहली बार 19 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय
महिला दिवस मनाया गया. सन 1913 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की तारीख 8 मार्च कर दी गई. तब से
हर 8 मार्च को विश्व भर में
महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 1975 का साल महिला वर्ष
घोषित किया था और 8 मार्च को
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को आधिकारिक स्वीकृति प्रदान की थी.
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