गत 29 जनवरी को बजट सत्र के अभिभाषण में राष्ट्रपति
रामनाथ कोविंद ने राज्य विधानसभाओं के और लोकसभा के चुनाव एकसाथ कराने की वकालत
करते हुए कहा कि इस विषय पर चर्चा और संवाद बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के
किसी न किसी हिस्से में लगातार हो रहे चुनाव से अर्थव्यवस्था और विकास पर विपरीत
प्रभाव पड़ता है। इससे मानव संसाधन पर बोझ तो बढ़ता ही है, आचार संहिता लागू होने से देश की विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है। इसके
बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में कहा कि विधानसभाओं और लोकसभा के
चुनावों के साथ स्थानीय निकाय-चुनावों को भी शामिल किया जा सकता है। इसके साथ ही
इस विषय पर देश में बहस चल पड़ी है। इस अवधारणा के विरोधियों का कहना है कि देश की
भौगोलिक और राजनीतिक विविधता को देखते हुए ऐसा करना उचित नहीं होगा। पिछले कुछ समय
में संसद की स्थायी समिति और नीति आयोग ने दो अलग-अलग रिपोर्टों में साथ-साथ चुनाव
कराने का समर्थन किया है।
देश के पहले आम चुनाव 1951-52 में हुए थे। उस
वक्त सभी विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव साथ-साथ ही हुए। इसके बाद 1957, 1962 और
1967 तक साथ-साथ चुनाव हुए। सन 1967 में कई राज्यों में गैर-कांग्रेसी सरकारें
बनीं। कुछ राज्यों में समय से पहले ये सरकारें गिरीं और वहाँ चुनाव हुए, जिससे
एकसाथ चुनावों का चक्र टूट गया। इसके बाद सन 1970 में पहली बार केन्द्र सरकार ने
समय से पहले चुनाव कराने का फैसला किया और 1971 में केवल लोकसभा के चुनाव हुए।
पकौड़ा कहाँ से आया?
पकौड़ा, पकौड़ी, फक्कुरा, भजिया, भाजी और
पोनाको दक्षिण एशिया में प्रचलित नमकीन व्यंजन है, जो खासतौर से भारत, नेपाल,
पाकिस्तान और बांग्लादेश में गली-गली बनता मिलेगा। दुनिया में जबसे डीप फ्राई
व्यंजनों का चलन शुरू हुआ है पकौड़ा किसी न किसी रूप में हमेशा हाजिर रहा है। यह
शब्द सम्भवतः पक्व+वट से मिलकर बना है। वट, वटक और वड़ा
इसके दूसरे रूप हैं। आंध्र प्रदेश में पकौडा है तो उत्तर भारत के कुछ इलाकों में
पकौरा भी चलता है।
दक्षिण भारत का बोंडा और मुम्बई में पाव के साथ
मिलने वाला वड़ा इस पकौड़े का ही एक रूप है। बांग्लादेश के कुछ इलाकों में फक्कुरा।
र और ड़ के उच्चारण की भिन्नता के कारण भी ऐसा है। कर्नाटक में भाजी है, तो
अफ्रीका के सोमालिया में बजिए। दक्षिण अफ्रीका के कुछ इलाकों में ढाल्टी नाम से
पकौड़ों जैसा व्यंजन बनता है, जो मुस्लिम इलाकों में रोजों के दौरान इफ्तार में
खाया जाता है। दक्षिण एशिया में यह आमतौर पर बेसन या चने की दाल को पीसकर तैयार
पेस्ट में सब्जियाँ मिलाकर बनाया जाता है।
मूँग की दाल से बनता है, तो मुँगौड़ा और उरद की
दाल से वड़ा। देश के अलग-अलग इलाकों में अलग-लग ढंग से बनने वाली कढ़ी में भी इसे
जगह मिली है। पुर्तगाली डिश टेम्पूरा, जापान में जाकर काफी लोकप्रिय हुआ है। इसी
तरह दुनियाभर में मिलने वाले तरह-तरह के फ्रिटर्स भी पकौड़े ही हैं। इसमें अंडे और
सीफूड को भी जगह मिल गई। भारत में सामान्यतः यह बेसन से बनता है, पर आटे, सूजी और
मैदा की मिलावट के साथ इसके नाम भी बदलते जाते हैं। राजस्थान का मिर्ची वड़ा,
दिल्ली का ब्रेड पकौड़ा, अंडा पकौड़ा, प्याज पकौड़ा, पनीर पकौड़ा से लेकर चिकन
पकौड़ा और फिश पकौड़ा तक इसके तमाम रूप हैं।