मंत्री कितने प्रकार के
होते हैं?
सामान्यतः मंत्रिपरिषद के
तीन स्तर होते हैं.1.कैबिनेट मंत्री- कैबिनेट मंत्री के पास एक या एक से ज्यादा
विभागों की जिम्मेदारी होती है. सरकार के सभी फैसलों में कैबिनेट मंत्री शामिल
होते हैं. आमतौर पर हर सप्ताह कैबिनेट की बैठक होती है. सरकार अपने निर्णय, अध्यादेश, नए कानून, कानूनों में संशोधन वगैरह कैबिनेट की बैठक से ही पास कराती
है. 2.राज्य मंत्री- स्वतंत्र प्रभार- मंत्रिपरिषद में स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य-मंत्रियों
के पास आवंटित मंत्रालय और विभाग की पूरी जवाबदेही होती है लेकिन वे आमतौर पर
कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हो सकते. कैबिनेट इनको उनके मंत्रालय या विभाग से
संबंधित मसलों पर चर्चा और फैसलों के लिए खास मौकों पर बुला सकती है. 3.राज्य
मंत्री-ये कैबिनेट मंत्री के अधीन काम करने वाले मंत्री हैं. एक कैबिनेट मंत्री के
अधीन एक या उससे ज्यादा राज्य मंत्री हो सकते हैं.
कैबिनेट कमेटियाँ?
मंत्रीfपरिषद में शामिल
कैबिनेट मंत्रियों की कुछ कमेटियाँ भी होती है. इन्हें बोलचाल में सुपर कैबिनेट भी
कह सकते हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है सीसीएस यानी कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी
यानी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी. इसमें सामान्यतः प्रधानमंत्री के अलावा
गृहमंत्री, रक्षामंत्री, विदेशमंत्री और वित्तमंत्री शामिल होते हैं. यह कमेटी अहम नीतिगत और राजनयिक
प्रश्नों पर विचार करती है. सीसीएस दूसरे देशों से संधियों, समझौतों, हथियारों की खरीद-बिक्री, देश के अंदर सुरक्षा हालात पर
फैसले करती है. एसीसी यानी अपॉइंटमेंट्स कमेटी ऑफ द कैबिनेट भी महत्वपूर्ण होती है. इसमें प्रधानमंत्री
के अलावा गृहमंत्री होते हैं. यह कमेटी कैबिनेट सचिव और सचिवों जैसे महत्वपूर्ण
पदों पर नियुक्ति करती है. इनके अलावा कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स, कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री
अफेयर्स,
कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स भी होती हैं.
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